पूर्वी अफ्रीका के कई देशों में लोगों के पास आज भी बिजली नहीं है. एक जर्मन कंपनी वहां मोबाइल फोन से बिजली का कनेक्शन दिलवा रही है, वो भी बिना किसी नकदी के.
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जर्मन कंपनी मोबीसोल सालों से पूर्वी अफ्रीका में सोलर पैनल बेच रही है. इनसे बनने वाली ऊर्जा सैकड़ों परिवारों को बिजली मुहैया कराती है. बड़े पैनलों की मदद से फ्रिज या फिर फैक्ट्रियों और अस्पतालों में मशीनों को भी चलाया जा सकता है.
चार साल पहले थोमास गॉटशाल्क ने मोबीसोल कंपनी की स्थापना की. विचार था हर उस जगह बिजली पहुंचाना जहां अब तक लोग इससे महरूम हैं. गॉटशाल्क बताते हैं कि आइडिया सहसंस्थापक की पत्नी से आया, "वो अफ्रीका गयी थीं और वहां लोगों की परेशानी देख चुकी थीं. लोगों के पास बिजली की तो कमी है लेकिन मोबाइल नेटवर्क है. साथ ही पिछले कुछ सालों में सोलर मॉड्यूल काफी सस्ते हो गए हैं. हमने इस सब का हिसाब लगाया और वहीं से मोबीसोल की शुरुआत हुई."
अफ्रीका से बर्लिन
सबसे छोटे सोलर पैनल 30 वॉट बिजली पैदा करते हैं और इनकी कीमत है 250 यूरो. इससे मोबाइल फोन चार्ज हो सकता है, रेडियो चल सकता है और एक लाइट भी. ग्राहक के पास पैसे चुकाने के लिए तीन साल का वक्त होता है. किश्त मोबाइल फोन के जरिए चुकाई जा सकती है. गॉटशाल्क बताते हैं, "हमारे अधिकतर ग्राहकों के पास बैंक खाते नहीं हैं, लेकिन सभी के पास मोबाइल फोन हैं. इसके अलावा मोबाइल मनी ऐप भी हैं जो एक से दूसरी जगह पैसा ट्रांसफर करते हैं. आपको पैसा जमा करने के लिए लोगों की जरूरत नहीं है, ना ही नकद दिया जाता है. पैसा इकट्ठा करने का यह एक बेहतरीन विकल्प है." एक छोटी सी वर्कशॉप में इंजीनियर तकनीक पर काम करते हैं. रेडियो सर्किट बर्लिन के मुख्यालय को डाटा मुहैया कराता है. इसी से पता चलता है कि कितनी बिजली की जरुरत है और कहीं किसी पैनल में कोई खराबी तो नहीं. एक कम्यूनिकेशन इंटरफेस के जरिए सारे डाटा को डाटा बैंक में डाला जाता है ताकि तकनीक का विस्तार किया जा सके और कस्टमर केयर को भी सुधारा जा सके.
बर्लिन से चीन
पूर्वी अफ्रीका और बर्लिन में कर्मचारियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. बर्लिन के मुख्यालय में इस तकनीक के विकास, प्रोडक्शन और बिक्री पर चर्चा होती है. दिलचस्प बात यह है कि कर्मचारी तीन भाषाओं का इस्तेमाल करते हैं, जर्मन, अंग्रेजी और चीनी, क्योंकि पैनल चीन से ही बन कर आते हैं. थोमास गॉटशाल्क बताते हैं, "मोबीसोल तीन महाद्वीपों में सक्रिय है. हम जर्मनी और चीन में उत्पादन करते हैं और अफ्रीका में बेचते हैं. इन सभी देशों, महाद्वीपों के बीच लॉजिस्टिक्स एक बड़ी चुनौती है. कई बार ट्रक खराब हो जाते हैं. और जिन जगहों में ग्राहक हैं, वहां पैनल पहुंचाना, यह बहुत ही चुनौती भरा काम है."
एक ऐसी चुनौती, जिसे अब तक कंपनी बखूबी पूरा करती रही है. यही वजह है कि बर्लिन का ब्यूरो अब छोटा पड़ गया है. जल्द ही नया बड़ा दफ्तर लेने की तैयारी है.
बेटीना टी शाडे/आईबी
हवा में उड़ते गुब्बारे से बिजली
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने हवा में तैरने वाली विंडमिल तैयार की है. यह जमीन से करीब 600 मीटर की ऊंचाई पर रहकर परंपरागत टर्बाइनों के मुकाबले दोगुनी ऊर्जा पैदा करने में सक्षम है.
तस्वीर: Altaeros Energies
गुब्बारे का साथ
गर्म हवा के गुब्बारे के साथ हवा में तैरने वाली इस विंडमिल को विकसित किया है अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने. गुब्बारा टर्बाइन को हवा में करीब 600 मीटर की ऊंचाई तक ले जा सकता है.
तस्वीर: Altaeros Energies
ऊर्जा का खजाना
वैज्ञानिकों ने पाया कि करीब 600 मीटर की ऊंचाई पर मिलने वाली ऊर्जा का घनत्व धरती के मुकाबले पांच से छह गुना तक बढ़ जाता है. इस तरह अगर इसी ऊंचाई पर बने रहा जा सके तो ड्रिफ्ट जेनरेटर परंपरागत विंडमिल या पवनचक्कियों के मुकाबले दोगुनी बिजली पैदा कर सकता है.
तस्वीर: Altaeros Energies
हीलियम और तारें
एमआईटी के इस कृत्रिम विंडमिल का व्यास करीब 3.7 मीटर है. इसे गर्म हवा के गुब्बारे के केन्द्र में कुछ ऐसे लगाया गया है कि यह एक टर्बाइन विमान जैसा दिखता है. हवा में चक्कर लगाते हुए गुब्बारे में हीलियम गैस भरी होती है और इससे तारें निकली होती हैं जो ऊर्जा को धरती तक पहुंचाती हैं.
तस्वीर: Altaeros Energies
फटाफट असेंबली संभव
एमआईटी की इस तकनीक का निर्माण कर रही कंपनी आल्टीरोस एनर्जीस के अनुसार गुब्बारे वाली इस विंडमिल को 24 घंटों के भीतर जोड़ा जा सकता है. गुब्बारे को इस तरह बनाया गया है कि इसे दूरदराज के इलाकों और आपदाग्रस्त क्षेत्रों में ऊर्जा की सप्लाई के लिए इस्तेमाल किया जा सके.
तस्वीर: Altaeros Energies
टेलिफोन और इंटरनेट सुविधा भी
आल्टीरोस एनर्जीस ने बताया कि गुब्बारे ना केवल विंडमिल बल्कि टेलिफोन और इंटरनेट कनेक्शन के लिए जरूरी सेलुलर ट्रांसमीटर भी ले जा सकते हैं. इसी कारण से इनका फायदा अफ्रीका और एशिया के उन तमाम इलाकों में भी उठाया जा सकता है जहां बिजली उपलब्ध ना हो.
तस्वीर: Altaeros Energies
व्यर्थ जाती तेज हवाएं
इस तकनीक में शुरु से ही धरती से कुछ ऊंचाई पर उपलब्ध तेज हवाओं का फायदा उठाने की बात सोची गई थी. वैज्ञानिकों का मानना है कि चूंकि हवा हमेशा ही मौजूद होती है, वायु ऊर्जा का अधिक से अधिक इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
तस्वीर: Altaeros Energies
तूफानों का सामना
चूंकि इसकी डिजाइन पूरी तरह हवा पर ही निर्भर है, जाहिर है कि अगर तूफानी मौसम में तेज हवाएं हों तो इससे मशीन की कार्यप्रणाली प्रभावित होगी. आल्टीरोस ने बताया कि यह विंडमिल वाले गुब्बारे करीब 160 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से बहती तेज हवाओं तक का मुकाबला करने में सक्षम हैं. 2010 में स्थापित हुई कंपनी ने बताया कि गुब्बारे में एक सेंसर भी लगा है जो मौसम बिगड़ने पर इसे धरती पर उतारने में सक्षम है.
तस्वीर: Altaeros Energies
जेब पर हल्की ऊर्जा
यह हवाई विंडमिल ना केवल वजन में कम है बल्कि उपभोक्ताओं की जेब पर भी हल्का होगा. उद्योग, सेना, द्वीपों या फिर आपदाग्रस्त इलाकों में भी यह बहुत काम आ सकते हैं. कंपनी ने इसे बनाने में आने वाली लागत के बारे में नहीं बताया है लेकिन इतना जरूर कहा है कि इसकी कीमत एक परंपरागत विंडमिल से काफी कम है.