भारत के कुछ इलाकों में गांव वालों को अपनी कुछ समस्याएं सुलझाने में मोबाइल फोन की मदद मिल रही है. यह संभव हुआ है सीजीनेट स्वरा के एक खास अभियान के कारण. इस तरह बढ़ रही है डिजिटल इंडिया में मोबाइल तकनीक की भूमिका.
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चाहे बेगार में काम लिये जाने की परेशानी हो, या इलाके में हैंडपंप की कमी - ऐसी समस्याओं से निपटने में कई लोगों को मोबाइल से मदद मिल रही है. भारत जैसे विकासशील देशों में एक तरफ तेजी से विकास करते और दूसरी ओर विकास से अलग थलग पड़े देश के दोनों हिस्सों को जोड़ने में मोबाइल तकनीक अहम भूमिका निभा रही है. सीजीनेट स्वरा का काम भी ऐसी ही एक मिसाल है.
यह मोबाइल आधारित रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म है, जिसे एक पूर्व पत्रकार शुभ्रांशु चौधरी ने माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च इंडिया के बिल थीस के साथ मिल कर विकसित किया था. सन 2010 में इसके लॉन्च से अब तक इन्हें कोई 575,000 कॉल्स मिल चुकी हैं और यह 7,000 से भी अधिक रिपोर्ट्स प्रकाशित कर चुके हैं. चौधरी को काफी सस्ती हो चुकी मोबाइल इंटरनेट सेवा और नई तकनीकों के आने के कारण इसके और विस्तार की उम्मीद है. चौधरी कहते हैं, "ज्यादातर मेनस्ट्रीम मीडिया और पूरा सोशल मीडिया पढ़े लिखे, शहरी, अंग्रेजी बोलने वाले लोगों पर ही ध्यान देता है. यह प्लेटफॉर्म डिजिटल डिवाइड के दूसरी तरफ के लोगों के लिए है, जिन्हें पहले कभी बोले या सुने जाने का मौका नहीं मिला."
इंटरनेट के इस्तेमाल में चीन ने सबको पछाड़ा
चीन में इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या में जबरदस्त उछाल आया है. पूरे यूरोप की जितनी आबादी है, चीन में उतने लोगों के पास इंटरनेट पहुंच चुका है.
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चीन अव्वल
चीन में इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या बढ़ कर 73.1 करोड़ हो गई है. अब चीन दुनिया में इंटरनेट उपभोक्ताओं के मामले में अव्वल है.
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वृद्धि
चाइना इंटरनेट नेटवर्क इंफॉर्मेशन सेंटर के अनुसार 2016 में चीन में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या में 6.2 प्रतिशत का उछाल आया है.
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मोबाइल में दुनिया
चीन में 2016 के दौरान मोबाइल फोन के जरिए इंटरनेट चलाने वाले लोगों की संख्या 69.5 करोड़ रही और यह लगातार बढ़ रही है.
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कैशलेस
इंटरनेट के जरिए पेमेंट करने वालों की संख्या भी चीन में तेजी से बढ़ रही है. 2016 में 47.5 करोड़ लोगों ने ऑनलाइन पेमेंट किया.
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"इंटरनेट प्लस"
अर्थव्यवस्था में ऑनलाइन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए बीजिंग में “इंटरनेट प्लस” के नाम से खास प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है.
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बंदिशें
चीन दुनिया के उन चंद देशों में से एक है जहां इंटरनेट पर सख्त सेंसरशिप लागू है. वहां लोग गूगल और फेसबुक जैसे बड़ी वेबसाइट नहीं देख सकते.
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कारोबारी फायदा
इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल से ई-कॉमर्स कंपनियों की चांदी हो रही है. 11 नवंबर को अलीबाबा की ऑनलाइन सेल में लोगों ने 17.8 अरब डॉलर का सामान खरीदा.
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जीडीपी में योगदान
बड़े पैमाने पर इंटरनेट के इस्तेमाल का सीधा फायदा दुनिया की दूसरी सबसे बड़े अर्थव्यवस्था चीनी अर्थव्यवस्था को मिल रहा है.
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यूजरों के हिसाब से भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन मार्केट है. सवा अरब की आबादी वाले देश में एक अरब से अधिक मोबाइल सब्सक्राइबर हैं. सस्ते फोन उपलब्ध हैं और कॉल रेट के हिसाब से भी दुनिया के सबसे सस्ते देशों में आता है. फिर भी लोगों में विभाजन है. वो ऐसे कि जहां 60 फीसदी शहरी भारतीय इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं वहीं देहात के लोगों के पांचवे हिस्से से भी कम लोग इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं.
सीजी स्वरा में सीजी का मतलब है सेंट्रल गोंडवाना. मध्य और पूर्वी भारत के इस इलाके में गोंड समुदाय के लोग रहते हैं. ये राज्य हैं मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडीशा, झारखंड और बिहार. देश के यही राज्य सबसे गरीब भी हैं. सीजी स्वरा ऐसे काम करता है कि यूजर इनके सेंट्रल नंबर पर मिस्ड कॉल देता है, जहां से लोगों को उनके नंबर पर वापस कॉल किया जाता है. एक इंटरएक्टिव वॉयस रिस्पॉन्स सिस्टम है जो कॉलर को गाइड करते हुए किसी समस्या को दर्ज करवाने या दूसरों की रिकॉर्ड की हुई बातों को सुनने का विकल्प देता है. एक बार किसी समस्या के रिकॉर्ड हो जाने के बाद उसे सुलझाने के लिए सीजी स्वरा संबंधित अधिकारियों को कॉल करता है. हर दिन ऐसी करीब 900 कॉल आती हैं. जिनमें से ज्यादातर स्कूलों की खराब हालत, खस्ताहाल सड़कों, किसी सरकारी योजना में गड़बड़ या जमीन और जंगल के अधिकारों से जुड़ी होती हैं.
आपको भी स्मार्टफोन का नशा तो नहीं
लोवा स्टेट यूनिवर्सिटी के मुताबिक कई लोगों में नोमोफोबिया की समस्या बढ़ रही है. नोमोफोबिया यानि इस बात का डर कि आपका फोन आपके हाथ में नहीं है. ये कुछ संकेत हैं जो बताते हैं कि आपको स्मार्टफोन की लत है.
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बैटरी
फोन आपके हाथ में है लेकिन आपको लगातार चिंता लगी रहती है कि ना जाने कब स्मार्टफोन की बैटरी खत्म हो जाएगी.
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इंटरनेट
आपका 3जी या 4जी स्मार्टफोन काम नहीं कर रहा या वाईफाई से कनेक्ट नहीं हो रहा और आप लगातार ढूंढते रहते हैं कि क्या आसपास कोई वाई फाई कनेक्शन है.
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खोने का डर
अगर आपके पास आपका स्मार्टफोन नहीं है तो आपको लगातार डर लगा रहता है कि अंजानी जगह में आप कहीं खो ना जाएं.
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सोशल नेटवर्किंग
फेसबुक या अन्य सोशल नेटवर्किंग साइट पर खुद का स्टेटस अपलोड ना कर पाने या दूसरों के स्टेटस ना पढ़ पाने पर आपको बेचैनी होती है.
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फोन और एसएमएस
अगर आप तक मेसेज या कॉल नहीं पहुंच रहे तो आप परेशान होने लगते हैं, आपको तनाव होने लगता है.
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जानकारी
अगर आप स्मार्टफोन से जरूरी जानकारी नहीं निकाल पा रहे तो आप परेशान हो जाते हैं. जैसे कि किसी न्यूज ऐप या मौसम बताने वाले ऐप का काम ना करना.
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घबराहट
अगर आपके पास प्रीपेड कनेक्शन है तो स्मार्टफोन में बैलेंस कम होते ही आपको घबराहट होने लगती है.
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अकेलापन
स्मार्टफोन के बगैर आपको बेचैनी रहती है और समझ नहीं आता कि इसके अलावा और क्या करें. आप सोते समय भी इसे हाथ में रखते हैं.
देहाती आबादी में भी विभाजन दिखता है. कॉल करने वालों में अभी महज एक तिहाई ही महिलाएं हैं. ग्रामीण इलाकों में मोबाइल पर भी ज्यादातर पुरुष ही नियंत्रण रखते हैं. ऊपर से महिलाओं के बाहर निकलने, अनजान लोगों से बात करने को लेकर आज भी तमाम पाबंदियां लगायी जाती हैं. ऐसे में फोन पर कॉल कर बात करना अपेक्षाकृत आसान होने के कारण यह माध्यम महिलाओं को भी बेहतर तरीके से शामिल कर पा रहा है. चौधरी इसे "समाज में समावेश और एकीकरण की शक्ति रखने वाला" मानते हैं.