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"मौत के व्यापार" में उलझता जर्मनी

१४ नवम्बर २०१२

जर्मनी ने इस साल हथियारों के निर्यात के लिए 14 प्रतिशत ज्यादा लाइसेंस दिए हैं. जर्मन मंत्रिमंडल अब इस रिपोर्ट के नतीजों पर बहस करने वाली है.

जर्मनी ने सबमरीन डॉल्फिन को इस्राएल को बेचा है.तस्वीर: picture-alliance/dpa

रिपोर्ट के मुताबिक हथियारों में उन सारी चीजों को शामिल किया गया है जिनका इस्तेमाल रणक्षेत्र में होता है, जैसे पिस्तौल, राइफल और यहां तक कि ट्रक और सैनिक गाड़ियां भी. हथियारों की बिक्री भी इस साल बढ़ी है लेकिन टैंकों, जहाजों और मशीन गनों को पिछले साल के मुकाबले इस साल कम ग्राहक मिले. पिछले साल जर्मनी के हथियार उद्योग ने कुल 2.1 अरब यूरो कमाए. इस साल कमाई केवल 1.3 अरब यूरो रही. 2011 में निर्यात किए गए हथियारों का 68 प्रतिशत हिस्सा इराक, सिंगापुर और ब्रुनेई को गया.

सरकारी प्रवक्ता श्टेफन जाइबर्ट ने रिपोर्ट के बारे में कहा कि सरकार निर्यात पर कड़ा नियंत्रण रख रही है. खास तौर से छोटे हथियारों के लिए निर्यात लाइसेंस बड़े ध्यान से दिए जाते हैं. लाइसेंस औद्योगिक वजहों से नहीं बल्कि राष्ट्र और राजनीतिक स्थिरता को देखते हुए दिए जाते हैं. 2011 पर आधारित रिपोर्ट में लिखा गया है कि सरकार ने 40 प्रितशत हथियार उन देशों को बेचे हैं जो न तो यूरोपीय संघ और न ही नाटो में शामिल हैं. जर्मनी इस्राएल को भी हथियार निर्यात करता है और कुछ समय पहले तक इस सौदे के बारे में खास जानकारी नहीं थी. लेकिन हाल ही में पता चला कि जर्मनी इस्राएल को पनडुब्बियां बेचता है, जिन पर परमाणु मिसाइल लगाए जा सकते हैं. जर्मन अधिकारियों को इसकी जानकारी रही है.

तस्वीर: Reuters

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के मंत्रिमंडल को अब इस रिपोर्ट को मंजूरी देनी है. इससे पहले मैर्केल ने खुद इन देशों को हथियार निर्यात करने का बचाव किया है और कहा है कि इससे कमजोर देशों को मदद मिलेगी. मैर्केल और उनकी सरकार जिस तरह हथियार निर्यात का सहयोग कर रहे हैं, उसकी बहुत आलोचना हो रही है.

विपक्षी सोशल डेमोक्रैट्स पार्टी एसपीडी का कहना है कि मैर्केल की सरकार इसके जरिए मानवाधिकार हनन को अनदेखा कर रही है. एसपीडी नेता गेर्नोट एर्लर ने आरोप लगाया कि हथियारों के निर्यात से सरकार अपनी विदेश और सुरक्षा नीति को बनाने की कोशिश कर रही है. इस दौरान मानवाधिकार या मनुष्यों के घायल होने जैसे मुद्दे प्राथमिकता खोते जा रहे हैं.

वामपंथी डी लिंके पार्टी के प्रवक्ता यान फैन आकेन का कहना है कि चांसलर मैर्कल "शस्त्रीकरण चांसलर" हैं. उन्होंने इसे "मौत का व्यापार" कहा और कहा कि इसमें संसद कोई भी भूमिका नहीं निभा रहा. निर्यात पर कितना नियंत्रण है, वह इससे पता चलता है कि हथियार निर्यात के लिए करीब 17,000 आवेदनों में से केवल 105 को खारिज किया गया. बाकी सबको लाइसेंस दे दिए गए.

एमजी/एजेए (डीपीए, एएफपी)

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