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मौत को मात देते मजदूर

Ujjawal Bhattacharya१२ अक्टूबर २०१०

तू जिंदा है तो जिंदगी की जीत में यकीन कर. किसी शायर के इन शब्दों को चिली के उन 33 मजदूरों ने सच साबित कर दिया जो 10 सप्ताह से जमीन में हजारों फुट नीचे मौत को हर पल शिकस्त दे रहे थे.

मौत को दी माततस्वीर: AP

चिली में अटाकामा का रेगिस्तान अब तक के ऐसे विलक्षण बचाव अभियान का गवाह बना है जिसमें मौत को हराती जिंदगी को जीतते दुनिया ने देखा. बीते दस सप्ताह से सोने और तांबे की खदान में जमीन से 622 मीटर नीचे फंसे 33 मजदूरों का हौसला विज्ञान की मदद से मौत को मात दे रहा है.

जमीन से 2000 गज नीचे ढह चुकी खदान में दो महीने से ज्यादा समय तक फंसे रहने के बाद सही सलामत निकल आने का यह पहला वाकया होगा. इन मजदूरों को बचाने के लिए नासा और न जाने कहां कहां के वैज्ञानिकों की मदद ली गई. यह मदद पूरी तरह से रंग लाई और ये सभी मजदूर संभवतः कल का सूरज धरती पर देख सकेंगे.

लंबे समय से सांसे थामे बैठे इनके घरवालों के लिए भी बेचैनी और इंतजार की घड़ी अब खत्म होने को है. इन लोगों के लिए इससे बड़ी खुशी की बात और क्या होगी कि जिन्हें मरा हुआ मान लिया गया था वे अब उसी जिंदगी को नए सिरे से शुरू करेंगे. किस्से कहानियों के उलट इस युग के लिए तो यही पुनर्जन्म होगा. पांच अगस्त को खदान ढहने के बाद मजदूरों का कुछ पता न चलने पर इन्हें मृत मान लिया गया. अचानक 17 दिन बाद इनके जिंदा होने के संकेतों ने उम्मीद का सेंसेक्स आसमान पर चढ़ा दिया. इसके साथ ही दवा और दुआओं की रसद के सहारे मजदूर धरती की अंधेरी गहराई में सांसे लेते रहे और तकनीकी के हाथ आहिस्ता आहिस्ता इन तक पंहुचने में जुट गए.

आखिरकार विज्ञान को कामयाबी मिली और मजदूरों को खदान से बाहर निकालने का अंतिम चरण मंगलवार को शुरू कर दिया गया. फिलहाल उस चेंबर तक खोदी गई नई सुरंग में पाइप डालने का काम सफलता पूर्वक चल रहा है जिसमें मजदूर पनाह लिए बैठे हैं.

पाइप डालने का काम कल तक पूरा हो जाएगा और इसके बाद मजदूरों को एक एक कर बाहर निकाला जाएगा. हर मजदूर को ऊपर तक आने में 15 से 20 मिनट लगेंगे. सब कुछ ठीकठाक रहा तो मंगलवार को और अगर कुछ बाधा आई तो गुरूवार तक हर हाल में ये मजदूर धरती की सतह पर होंगे. इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनने के लिए चिली और बोलीविया के राष्ट्रपति सहित दुनिया भर के पत्रकार और हजारों लोग अटाकामा में डेरा डाले बैठे हैं. इन मजदूरों में 32 चिली के और एक बोलीविया का नागरिक है. चिली के राष्ट्रपति सेबेस्टियन पेनीरा ने बताया कि खुशी का वह पल आने ही वाला है जिसका लंबे समय से इंतजार था. उन्होंने कहा कि वह बोलीविया के राष्ट्रपति इवो मोरालेस के साथ बुधवार को जश्न में शरीक होंगे.

धरती की गिरफ्त से जिंदगी को सकुशल बचा लाने वाली तकनीकी और मौत को मात देने वाले इंसानी हौसले का जोरदार स्वागत करने की हर कोई बाट जोह रहा है. इसके लिए मुकम्मल इंतजाम भी कर लिए गए हैं. बाहर आते ही मजदूरों की सेहत को जांचने के लिए सुरंग के मुहाने पर मेडीकल सांइस की हर विधा का विशेषज्ञ मुस्तैद है.

कल की भोर देखने का इंतजारतस्वीर: picture-alliance/dpa

मजे की बात तो यह है कि खदान में फंसे मजदूरों में से सबसे पहले कौन बाहर निकलेगा इसके लिए जोर आजमाइश चल रही हैं. इसे इंसानियत की भी जीत न कहें तो क्या कहें क्योंकि हर मजदूर सबसे पहले बाहर आने से बच रहा है. हर कोई चाहता है कि उसके साथियों में से कोई सबसे पहले जाए. एक मजदूर अल्बर्टो सेगोविया ने कल भेजे अपने संदेश में बताया "मुझे सब से पहले बाहर आने में काफी डर लग रहा है. सच पूछें तो हम में से हर कोई खुद को पहले आने से बचाना चाहता है."

खैर इस झंझट से निपटने का बचाव कर्मियों ने हल खोज लिया है. चेंबर तक पाइप डालने का काम पूरा होते ही दो खदान विशेषज्ञों और दो नर्सों को मजदूरों के पास भेजा जाएगा. ये लोग मजदूरों की कद काठी के हिसाब से इनके बाहर आने का क्रम तय करेंगे. सबसे मजबूत कदकाठी वाले मजदूर को पहले आना होगा.

रिपोर्टः एजेंसियां/निर्मल

संपादनः उज्ज्वल भट्टाचार्य

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