म्यांमारः विद्रोही कर रहे हैं बाल सैनिकों की भर्ती
२५ जनवरी २०११ह्युमन राइट्स वॉच की सालाना रिपोर्ट में म्यांमार में मानवाधिकारों की स्थिति पर चिंता जाहिर की गई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक देश की सेना विवादित इलाकों में हमलों और दुर्व्यव्हार की जिम्मेदार है. इन दुर्व्यव्हारों में व्यापक बलात् मजदूरी, हत्या, बारुदी सुरंगे बिछाना और लड़कियों और महिलाओं पर होने वाले यौन अपराध शामिल हैं.
ह्युमन राइट्स वॉच ने विवादग्रस्त इलाकों में अत्याचार, मारपीट, खाद्यान्न उत्पादन को निशाना बनाना और जमीन जायदाद हड़प लेने के मामलों के बारे में भी रिपोर्ट में लिखा है.
1962 से म्यांमार में जारी सैनिक शासन के बाद इस महीने वहां संसद शुरू होने वाली है. हालांकि नवंबर में हुए चुनावों को पश्चिमी देशों ने दिखावा करार दिया था.रिपोर्ट में कहा गया है, "म्यांमार की सेना बराबर पूर्वी हिस्से के कारेन और कारेन्नी और शान इलाकों में नागरिकों पर हमले कर रही है. ऐसे ही सीधे हमले पश्चिमी म्यांमार के चाइना और अराकान इलाकों में भी किए जा रहे हैं."
रिपोर्ट के मुताबिक पांच लाख लोग देश में विस्थापित हैं जबकि एक लाख 40 हजार से ज्यादा थाईलैंड में शिविरों में रह रहे हैं. रोहिंग्या अल्पसंख्यको में से 28 हजार बांग्लादेश के अस्थाई शिविरों में हैं जबकि दो लाख लोग सीमाई हिस्सों में रह रहे हैं.
वहीं म्यांमार के विवादग्रस्त इलाकों में ऑल पार्टी लगातार बच्चों को सेना में भर्ती कर रही हैं और उनका इस्तेमाल भी. यह तब हो रहा है जब सरकार अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन के साथ मिल कर इन बच्चों को यहां से निकालने में सहयोग कर रही है. रिपोर्ट कहती है, "विद्रोही गुट गंभीर दुर्व्यव्हार कर रहे हैं. वह बच्चों को सेना में भर्ती कर रहे हैं, म्यांमार युद्ध कैदियों को मार रहे हैं और रहवासी इलाकों के आस पास बारुदी सुरंगे बिछा रहे हैं."
स्वायत्तता और अधिकारों की मांग कर रहे विद्रोही गुटों ने म्यांमार के सैन्य शासन के साथ शांति प्रस्ताव की बात कही है लेकिन इन गुटों को सीमा बलों के तौर पर रखने के मुद्दे पर तनाव है. नवंबर में हुए चुनावों के पहले सरकार ने इन हथियारबद्ध गुटों पर दबाव डाला था कि वह समर्पण कर दें या फिर सरकार के नियंत्रण में आ जाएं.
रिपोर्टः एएफपी आभा/एम