रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर अमेरिका म्यांमार के खिलाफ कई कदमों पर विचार कर रहा है, जिनमें प्रतिबंध भी शामिल हैं. इन कदमों से उन अधिकारियों को निशाना बनाया जाएगा जो रोहिंग्या लोगों के खिलाफ अभियान में शामिल हैं.
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रोहिंग्या मसले पर अमेरिका ने म्यांमार के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है. अमेरिका म्यांमार पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रहा है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीथर नॉर्ट ने कहा, "अमेरिका रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ रखाइन प्रांत में हुई हिंसा पर गहरी चिंता प्रकट करता है. अब यह अनिवार्य हो गया है कि इस हिंसा और ज्यादती के लिए जिम्मेदार लोगों और संस्थाओं की जवाबदेही तय की जाए." नॉर्ट ने बताया कि अमेरिकी कानून के तहत उपलब्ध जवाबदेही के विकल्पों को तलाशा जा रहा है. म्यांमार की सेना के जो सदस्य रखाइन प्रांत के उत्तरी हिस्से में चल रहे अभियान में शामिल हैं, वे अमेरिका के सहायता कार्यक्रमों का हिस्सा नहीं बन पाएंगे.
यूरोपीय संघ की प्रतिबद्धता
बांग्लादेश पहुंचे रोहिंग्या शरणार्थियों की मदद के लिए सोमवार को जेनेवा में हुई संयुक्त राष्ट्र की एकदिवसीय फंडरेजिंग कॉन्फ्रेंस में फरवरी तक 43.4 करोड़ डॉलर इकट्ठा करने का लक्ष्य रखा गया. सम्मलेन में यूरोपीय आयोग ने रोहिंग्या शरणार्थियों की मदद के लिए 3 करोड़ यूरो देने का वादा किया है. कॉर्डिनेशन ऑफ ह्यूमेनिटेरियन अफेयर्स मामलों पर संयुक्त राष्ट्र में काम कर रहे मार्क लोकॉक ने कहा, "हमें बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए ज्यादा धन चाहिए. यह अचानक पैदा हुआ संकट नहीं है बल्कि यह दशकों से हो रहे उत्पीड़न, हिंसा और विस्थापन का ताजा दौर है." कॉन्फ्रेंस में रोहिंग्या समुदाय के लिए विभिन्न सरकारों ने तकरीबन 34.5 करोड़ डॉलर की रकम देने का वादा किया है. संयुक्त राष्ट्र ने इसे एक "उत्साहवर्धक" कदम बताया है.
दुनिया में कहां-कहां बसे हैं रोहिंग्या मुसलमान
रोहिंग्या मुसलमानों के मसले पर संयुक्त राष्ट्र समेत पूरी दुनिया म्यांमार के रुख पर सवाल उठा रही है. भारत में तो रोहिंग्या मुसलमानों का मामला न्यायालय तक पहुंच गया है. एक नजर उन देशों पर जहां रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं.
तस्वीर: DW/M. Mostqfigur Rahman
म्यांमार
म्यांमार में गरीबी और मुफलिसी का जीवन बिता रहे ये रोहिंग्या मुसलमान देश के रखाइन प्रांत को अपना गृहप्रदेश मानते हैं. आंकड़ों के अनुसार म्यांमार में तकरीबन 6 लाख रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं.
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भारत
देश में तकरीबन 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं. भारत की मोदी सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों को देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बताया है और इन्हें वापस भेजने की बात कही है. फिलहाल मामला उच्चतम न्यायालय में है.
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बांग्लादेश
म्यांमार से भागे शरणार्थी बांग्लादेश में ही शरण ले रहे हैं. बांग्लादेश में तकरीबन 9 लाख रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं. बांग्लादेश सरकार, म्यांमार से बार-बार इन्हें वापस लेने की बात कह रही है लेकिन म्यांमार सरकार इन्हें बांग्लादेशी करार देती है.
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पाकिस्तान
दुनिया के तमाम मुस्लिम देश रोहिंग्या मुसलमानों की हालत पर सवाल उठा रहे हैं लेकिन मुस्लिम राष्ट्रों में भी रोहिंग्या समुदाय की हालत कोई बहुत अच्छी नहीं है. पाकिस्तान में 40 हजार से 2.50 लाख तक रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं.
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थाईलैंड
भारत के साथ सांस्कृतिक रूप से जुड़ाव रखने वाले थाईलैंड में भी तकरीबन 5000 रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं. इनमें से अधिकतर ऐसे शरणार्थी हैं जो म्यांमार से भाग कर थाईलैंड आये और वहीं बस गये.
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मलेशिया
म्यांमार के रखाइन प्रांत में हुई हिंसा का विरोध मलेशिया में भी हुआ था. मलेशिया में तकरीबन एक लाख रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं जो म्यांमार और बांग्लादेश में रहने वाले रोहिंग्या समुदाय से हमदर्दी रखते हैं.
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सऊदी अरब
सुन्नी बहुल मुस्लिम समुदाय वाले सऊदी अरब में भी तकरीबन 2 लाख रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं. लेकिन म्यांमार के साथ अपने कारोबारी हितों के चलते सऊदी अरब के तेवरों में रोहिंग्या मसले पर वैसी तल्खी नजर नहीं आती जैसा अन्य मुस्लिम देश अपनाये हुए हैं.
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तकरीबन 9 लाख शरणार्थी
म्यांमार के रखाइन प्रांत में हिंसा और सैन्य कार्रवाई के बीच अगस्त से अब तक तकरीबन छह लाख से अधिक रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश का रुख कर चुके हैं. इनमें बड़ी संख्या महिलाओं और बच्चों की है. लगभग तीन लाख रोहिंग्या बांग्लादेश में पहले से ही रह रहे हैं. इस तरह वहां अब रोहिंग्या लोगों की संख्या लगभग नौ लाख तक पहुंच सकती है. संयुक्त राष्ट्र में बांग्लादेश के राजदूत शमीम अहसान ने जेनेवा में कहा, "बांग्लादेश एक बेकाबू स्थिति का सामना कर रहा है." उन्होंने बताया कि बांग्लादेश सरकार म्यांमार के साथ इस मुद्दे पर बातचीत कर रही है लेकिन म्यांमार लगातार इस बात पर जोर दे रहा है कि रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश से अवैध तरीके से आये आप्रवासी हैं. वहीं रोहिंग्या खुद को पश्चिमी रखाइन से जुड़ा मानते हैं. अहसान के मुताबिक, "तमाम दावों के बावजूद रखाइन प्रांत में रोहिंग्या लोगों के खिलाफ हिंसा नहीं थम रही है."
यूरोपीय संघ के साथ कॉन्फ्रेंस की मेजबानी करने वाले कुवैत ने 1.5 करोड़ डॉलर देने का आश्वासन दिया है. ब्रिटेन ने 6.2 करोड़ डॉलर और ऑस्ट्रेलिया ने तकरीबन 1 करोड़ डॉलर की प्रतिबद्धता जतायी है.
कौन हैं रोहिंग्या मुसलमान
म्यांमार के पश्चिमी रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों की आबादी लगभग दस लाख है. लेकिन उनकी जिंदगी प्रताड़ना, भेदभाव, बेबसी और मुफलिसी से ज्यादा कुछ नहीं है. आइए जानते हैं, कौन हैं रोहिंग्या लोग.
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इनका कोई देश नहीं
रोहिंग्या लोगों का कोई देश नहीं है. यानी उनके पास किसी देश की नागरिकता नहीं है. रहते वो म्यामांर में हैं, लेकिन वह उन्हें सिर्फ गैरकानूनी बांग्लादेशी प्रवासी मानता है.
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सबसे प्रताड़ित लोग
म्यांमार के बहुसंख्यक बौद्ध लोगों और सुरक्षा बलों पर अक्सर रोहिंग्या मुसलमानों को प्रताड़ित करने के आरोप लगते हैं. इन लोगों के पास कोई अधिकार नहीं हैं. संयुक्त राष्ट्र उन्हें दुनिया का सबसे प्रताड़ित जातीय समूह मानता है.
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आने जाने पर भी रोक
ये लोग न तो अपनी मर्जी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा सकते हैं और न ही अपनी मर्जी काम कर सकते हैं. जिस जगह वे रहते हैं, उसे कभी खाली करने को कह दिया जाता है. म्यांमार में इन लोगों की कहीं सुनवाई नहीं है.
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बंगाली
ये लोग दशकों से रखाइन प्रांत में रह रहे हैं, लेकिन वहां के बौद्ध लोग इन्हें "बंगाली" कह कर दुत्कारते हैं. ये लोग जो बोली बोलते हैं, वैसी दक्षिणपूर्व बांग्लादेश के चटगांव में बोली जाती है. रोहिंग्या लोग सुन्नी मुसलमान हैं.
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जोखिम भरा सफर
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि 2012 में धार्मिक हिंसा का चक्र शुरू होने के बाद से लगभग एक लाख बीस हजार रोहिंग्या लोगों ने रखाइन छोड़ दिया है. इनमें से कई लोग समंदर में नौका डूबने से मारे गए हैं.
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सामूहिक कब्रें
मलेशिया और थाइलैंड की सीमा के नजदीक रोहिंग्या लोगों की कई सामूहिक कब्रें मिली हैं. 2015 में जब कुछ सख्ती की गई तो नावों पर सवार हजारों रोहिंग्या कई दिनों तक समंदर में फंसे रहे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F. Ismail
इंसानी तस्करी
रोहिंग्या लोगों की मजबूरी का फायदा इंसानों की तस्करी करने वाले खूब उठाते हैं. ये लोग अपना सबकुछ इन्हें सौंप कर किसी सुरक्षित जगह के लिए अपनी जिंदगी जोखिम में डालने को मजबूर होते हैं.
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बांग्लादेश में आसरा
म्यांमार से लगने वाले बांग्लादेश में लगभग आठ लाख रोहिंग्या लोग रहते हैं. इनमें से ज्यादातर ऐसे हैं जो म्यांमार से जान बचाकर वहां पहुंचे हैं. बांग्लादेश में हाल में रोहिंग्याओं को एक द्वीप पर बसाने की योजना बनाई है.
तस्वीर: Reuters/M.P.Hossain
आसान नहीं शरण
बांग्लादेश कुछ ही रोहिंग्या लोगों को शरणार्थी के तौर पर मान्यता देता है. वो नाव के जरिए बांग्लादेश में घुसने की कोशिश करने वाले बहुत से रोहिंग्या लोगों को लौटा देता है.
तस्वीर: Reuters
दर ब दर
बाग्लादेश के अलावा रोहिंग्या लोग भारत, थाईलैंड, मलेशिया और चीन जैसे देशों का भी रुख कर रहे हैं.
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सुरक्षा के लिए खतरा
म्यांमार में हुए हालिया कई हमलों में रोहिंग्या लोगों को शामिल बताया गया है. उनके खिलाफ होने वाली कार्रवाई के जवाब में सुरक्षा बलों का कहना है कि वो इस तरह के हमलों को रोकना चाहते हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/Y. Aung Thu
मानवाधिकार समूहों की अपील
मानवाधिकार समूह म्यांमार से अपील करते हैं कि वो रोहिंग्या लोगों को नागरिकता दे और उनका दमन रोका जाए.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S. Yulinnas
कानूनी अड़चन
म्यांमार में रोहिंग्या लोगों को एक जातीय समूह के तौर पर मान्यता नहीं है. इसकी एक वजह 1982 का वो कानून भी है जिसके अनुसार नागरिकता पाने के लिए किसी भी जातीय समूह को यह साबित करना है कि वो 1823 के पहले से म्यांमार में रह रहा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/N. Win
आलोचना
रोहिंग्या लोगों की समस्या पर लगभग खामोश रहने के लिए म्यांमार में सत्ताधारी पार्टी की नेता आंग सान सू ची की अक्सर आलोचना होती है. माना जाता है कि वो इस मुद्दे पर ताकतवर सेना से नहीं टकराना चाहती हैं. सू ची हेग को अंतरराष्ट्रीय अदालत में रोहिंग्या मुसलमानों के नरसंहार से जुड़े आरोपों का सामना करने के लिए जाना पड़ा है.