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म्यांमार: सू ची के पास नहीं है वकील

४ जून २०२१

आंग सान सू ची के वकील ने कहा है कि सेना ने उन पर जो मुकदमा किया है उसमें उनका पक्ष रखने के लिए उनके किसी वकील का नाम सूचीबद्ध नहीं किया है. इस बात को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं कि सू ची को न्याययुक्त सुनवाई नहीं मिल पाएगी.

Myanmar Protest Demonstration Aung San Suu Kyi
तस्वीर: AFP/Getty Images

सू ची के सबसे वरिष्ठ वकील खिंग मौंग जाऊ ने बताया की देश के सुप्रीम कोर्ट की घोषणा के मुताबिक सेना द्वारा सू ची पर दायर किये गए गोपनीयता कानून तोड़ने के मुकदमे में 23 जून को सुनवाई होगी. इसमें सू ची के अलावा चार और लोग शामिल हैं, लेकिन अदालत की घोषणा में बताया गया है कि सभी अपना अपना पक्ष खुद रखेंगे. खिन मौंग जाऊ ने पत्रकारों को बताया, "हमें चिंता है कि अदालत में उनका पक्ष रखने वाला कोई भी वकील नहीं होगा और सुनवाई में कोई पारदर्शिता नहीं होगी."

उन्होंने यह भी कहा, "सामान्य रूप से तो उन्हें सुनवाई की घोषणा करने से पहले मुल्जिमों से संपर्क करना चाहिए और उन्हें मौका देना चाहिए कि वो अपने वकीलों से संपर्क करें." अभी तक सुप्रीम कोर्ट या सेना के प्रवक्ताओं से इस पर कोई टिप्पणी नहीं मिली है. गोपनीयता कानून तोड़ने के आरोप सबसे गंभीर हैं और अगर उन्हें साबित कर दिया गया तो सू ची को 14 साल के कारावास की सजा हो सकती है.

म्यांमार में एक स्कूल के बाहर तैनात सशस्त्र पुलिसकर्मीतस्वीर: STR/AFP/Getty Images

सू ची कुछ ही दिनों पहले अदालत के सामने पेश भी हुई थीं लेकिन कोविड-19 के नियम तोड़ने जैसे हलके मामलों की वजह से. गोपनीयता कानून तोड़ने के मामले को सीधा सुप्रीम कोर्ट में क्यों ले जाया गया इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अपील नहीं की जा सकती है. सेना ने एक फरवरी को तख्तापलट करके सू ची को सत्ता से हटा दिया था और इस क्रम में एक दशक से चल रहे लोकतांत्रिक सुधारों को भी रोक दिया था.

वो सुधार जिस लंबे अभियान का नतीजा थे, सू ची उसकी नेता थी और उनकी इस भूमिका की वजह से वो एक राष्ट्रीय हीरो बन गई थीं और नोबेल शांति पुरस्कार भी पा चुकी थीं. सेना ने सू ची पर आरोप लगाया है कि नवंबर 2020 में हुए चुनावों में उन्होंने धोखे से जीत हासिल की थी. इन आरोपों को चुनाव आयोग और चुनाव पर्यवेक्षक पहले ही खारिज कर चुके हैं. तख्तापलट के बाद से सू ची के अलावा 4,500 से भी ज्यादा लोगों को हिरासत में रखा गया है. म्यांमार में अशांति का माहौल है और रोज प्रदर्शन और हड़तालें हो रही है. नस्लीय संघर्ष भी फिर से सिर उठा रहे हैं.

सीके/एए (रॉयटर्स) 

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