आंग सान सू ची के वकील ने कहा है कि सेना ने उन पर जो मुकदमा किया है उसमें उनका पक्ष रखने के लिए उनके किसी वकील का नाम सूचीबद्ध नहीं किया है. इस बात को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं कि सू ची को न्याययुक्त सुनवाई नहीं मिल पाएगी.
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सू ची के सबसे वरिष्ठ वकील खिंग मौंग जाऊ ने बताया की देश के सुप्रीम कोर्ट की घोषणा के मुताबिक सेना द्वारा सू ची पर दायर किये गए गोपनीयता कानून तोड़ने के मुकदमे में 23 जून को सुनवाई होगी. इसमें सू ची के अलावा चार और लोग शामिल हैं, लेकिन अदालत की घोषणा में बताया गया है कि सभी अपना अपना पक्ष खुद रखेंगे. खिन मौंग जाऊ ने पत्रकारों को बताया, "हमें चिंता है कि अदालत में उनका पक्ष रखने वाला कोई भी वकील नहीं होगा और सुनवाई में कोई पारदर्शिता नहीं होगी."
उन्होंने यह भी कहा, "सामान्य रूप से तो उन्हें सुनवाई की घोषणा करने से पहले मुल्जिमों से संपर्क करना चाहिए और उन्हें मौका देना चाहिए कि वो अपने वकीलों से संपर्क करें." अभी तक सुप्रीम कोर्ट या सेना के प्रवक्ताओं से इस पर कोई टिप्पणी नहीं मिली है. गोपनीयता कानून तोड़ने के आरोप सबसे गंभीर हैं और अगर उन्हें साबित कर दिया गया तो सू ची को 14 साल के कारावास की सजा हो सकती है.
सू ची कुछ ही दिनों पहले अदालत के सामने पेश भी हुई थीं लेकिन कोविड-19 के नियम तोड़ने जैसे हलके मामलों की वजह से. गोपनीयता कानून तोड़ने के मामले को सीधा सुप्रीम कोर्ट में क्यों ले जाया गया इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अपील नहीं की जा सकती है. सेना ने एक फरवरी को तख्तापलट करके सू ची को सत्ता से हटा दिया था और इस क्रम में एक दशक से चल रहे लोकतांत्रिक सुधारों को भी रोक दिया था.
वो सुधार जिस लंबे अभियान का नतीजा थे, सू ची उसकी नेता थी और उनकी इस भूमिका की वजह से वो एक राष्ट्रीय हीरो बन गई थीं और नोबेल शांति पुरस्कार भी पा चुकी थीं. सेना ने सू ची पर आरोप लगाया है कि नवंबर 2020 में हुए चुनावों में उन्होंने धोखे से जीत हासिल की थी. इन आरोपों को चुनाव आयोग और चुनाव पर्यवेक्षक पहले ही खारिज कर चुके हैं. तख्तापलट के बाद से सू ची के अलावा 4,500 से भी ज्यादा लोगों को हिरासत में रखा गया है. म्यांमार में अशांति का माहौल है और रोज प्रदर्शन और हड़तालें हो रही है. नस्लीय संघर्ष भी फिर से सिर उठा रहे हैं.
सीके/एए (रॉयटर्स)
म्यांमार में दमन का कुचक्र
एक फरवरी 2021 को म्यांमार में सेना द्वारा तख्ता पलट देने और सत्ता हथिया लेने के बाद वहां लगातार नागरिकों के अधिकारों का दमन हो रहा है. तीन मार्च को एक ही दिन में सुरक्षाबलों की फायरिंग में 38 प्रदर्शनकारी मारे गए.
तस्वीर: STR/AFP/Getty Images
हिंसा का दौर
तख्तापलट के बाद से ही लोग लोकतंत्र की बहाली की मांग कर रहे हैं और देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन आयोजित कर रहे हैं. सेना और पुलिस प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सख्ती से पेश आ रहे हैं, जिसकी वजह से देश में हिंसा का दौर थम ही नहीं रहा है. तीन मार्च को सुरक्षाबलों की फायरिंग में 38 लोग मारे गए.
तस्वीर: AP Photo/picture alliance
बढ़ते जनाजे
इन 38 लोगों को मिला कर अभी तक कम से कम 50 प्रदर्शनकारियों की जान जा चुकी है. यह तस्वीर 19 साल की क्याल सिन के शव की अंतिम यात्रा की है. वो तीन मार्च को मैंडले में सेना के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थीं जब सुरक्षाबलों ने गोलियां चला दीं. उन्हें सिर में गोली लगी और उनकी मौत हो गई.
तस्वीर: REUTERS
बल का प्रयोग
प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए पुलिस ने पहले आंसू गैस का भी इस्तेमाल किया. सुरक्षाबल लगातार आंसू गैस, रबड़ की गोलियां, ध्वनि बम जैसे हथकंडों का इस्तेमाल कर रही है. प्रदर्शन शांत ना होने पर गोली चला दी जा रही है.
तस्वीर: Aung Kyaw Htet/ZumaWire/Imago Images
बचने के तरीके
प्रदर्शनकारियों को अपनी सुरक्षा का इंतजाम भी करना पड़ रहा है. आंखों को ढकने के लिए बड़े बड़े चश्मे, हेलमेट और ढालों का इस्तेमाल किया जा रहा है.
तस्वीर: STR/AFP/Getty Images
नाकामयाब कोशिशें
प्रदर्शनकारी भी खुद को बचाने के लिए धुंआ छोड़ रहे हैं लेकिन धुंआ और किसी तरह से बनाए हुए बैरिकेड भी उन्हें पुलिस की गोलियों से बचा नहीं पा रहे हैं.
तस्वीर: STR/AFP/Getty Images
मीडिया पर हमले
गिरफ्तारियों का सिलसिला भी लगातार चल रहा है और प्रदर्शनकारियों के अलावा पुलिस पत्रकारों को भी गिरफ्तार कर रही है. प्रदर्शनों पर खबर कर रहे एसोसिएटेड प्रेस के थेइन जौ और पांच और पत्रकारों को गिरफ्तार कर लिया गया है. उन्हें तीन साल तक की जेल हो सकती है.
तस्वीर: Thein Zaw family/AP/picture alliance
सू ची की छाया
प्रदर्शनकारियों में से कई म्यांमार की नेता आंग सान सू ची के समर्थक हैं, जिन्हें सेना ने पहले ही गिरफ्तार कर लिया था. प्रदर्शनों में सू ची की रिहाई और लोकतंत्र की बहाली की मांग उठ रही है.