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म्यांमार में प्रदर्शनकारियों पर पहली बार गोली चली

१५ फ़रवरी २०२१

म्यांमार में सैन्य प्रशासन जुंटा ने और ज्यादा सैनिकों को सड़कों पर उतार दिया है. प्रदर्शन कर रहे लोग भी मानने को तैयार नहीं और विरोध जता रहे हैं. एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि पहली बार प्रदर्शनों में गोली चलाई गई है.

Myanmar Proteste nach Militärputsch in Yangon
तस्वीर: REUTERS

म्यांमार में यंगून की सड़कों पर बख्तरबंद गाड़ियां और सैनिकों के दस्ते गश्त कर रहे हैं. देश के बाकी हिस्से में भी सेना की तैनाती बढ़ा दी गई है. सोमवार को कई घंटे तक इंटरनेट बंद रहा और फिर बाद में बहाल किया गया. हालांकि ज्यादातर लोगों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं करने दिया जा रहा है. सैन्य प्रशासन की इन सारी कवायदों के बावजूद प्रदर्शन करने वाले लोग डटे हुए हैं.

इस बात की आशंका मजबूत हो रही है कि सेना विरोध करने वालों पर ज्यादा सख्त कार्रवाई कर सकती है. उत्तरी शहर मितकिना में सैनिकों ने रविवार की रात पहले आंसू गैस के गोले दागे और फिर गोलियां चलाई. मौके पर मौजूद एक पत्रकार ने यह जानकारी दी हालांकि यह पता नहीं चल सका है कि वो असली गोलियां थीं या फिर रबर बुलेट.

तस्वीर: REUTERS

दो हफ्ते पहले यहां की सेना ने सरकार का तख्तापलट कर कामकाज अपने हाथ में ले लिया और एक साल के लिए आपातकाल लगा दिया. इसके साथ ही राजनीतिक नेता आंग सान सूची को उनकी पार्टी के सैकड़ों लोगों के साथ हिरासत में ले लिया गया. इसमें लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार के सदस्य भी शामिल हैं. सोमवार को अदालत में सूची के मामले में सुनवाई होनी थी लेकिन उसे बुधवार तक के लिए टाल दिया गया.

दिन में मारेंगे, रात में चोरी करेंग, टीवी पर झूठ बोलेंगे

एक बैंक के सामने जमा हो कर प्रदर्शन कर रहे करीब एक हजार लोगों की भीड़ में शामिल 46 साल की नाइन मोइ ने कहा, "बख्तरबंद गाड़ियों में गश्त लगाने का मतलब है कि वो लोगों को धमका रहे हैं." यंगून में इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी के सैकड़ों छात्र भी प्रदर्शन करने सड़कों पर निकले. शहर के दक्षिणी हिस्से में भी सोमवार को एक रैली हुई जिसे फेसबुक पर लाइव स्ट्रीम के जरिए दिखाया गया. इस रैली में सैकड़ों लोग बैंड के साथ मार्च करते नजर आए. राजधानी नेप्यीदॉ और म्यांमार के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले में बड़ी संख्या में लोग प्रदर्शन करने निकले हैं. यहां कुछ लोगों ने सेना के खिलाफ बैनर ले रखे थे जिन पर लिखा है, "वे दिन में मारेंगे, रात में चोरी करेंग, टीवी पर झूठ बोलेंगे."

तस्वीर: Sai Aung Main/AFP

अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के राजदूतों ने एक संयुक्त बयान जारी कर सैन्य बलों से अनुरोध किया है कि वे आम लोगों को नुकसान ना पहुंचाएं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेस ने भी यही मांग रखी है. गुटेरेस ने प्रवक्ता के जरिए कहलवाया है कि सेना तुरंत स्विस राजदूत को म्यांमार आने की अनुमति दे ताकी वास्तविक स्थिति का पता लगाया जा सके. अमेरिका ने अपने नागरिकों को सुरक्षित रहने और रात के कर्फ्यू का उल्लंघन नहीं करने की सलाह दी है.

पुलिस अधिकारी भी प्रदर्शनकारियों में शामिल हुए

एक फरवरी को आंग सान सूची को हिरासत में लेने के बाद से देश के ज्यादातर हिस्से में अशांति फैली हुई है. सूची को हिरासत में रखने की अवधि सोमवार को खत्म हो रही है लेकिन उनके वकील ने एक जज का हवाला दे कर बताया है कि वो 17 फरवरी तक हिरासत में रहेंगी. अब तक करीब 400 लोगों को हिरासत में लिया गया है. हालांकि इसके बाद भी बड़ी संख्या में लोग विरोध प्रदर्शन करने निकल रहे हैं. दावाइ में सात पुलिस अधिकारी भी प्रदर्शनकारियों में शामिल हो गए.

तस्वीर: Thet Htoo/AFP

देश के कई हिस्सों में लोगों ने पहरेदारी के लिए ब्रिगेड बना लिए हैं ताकी नागरिक अवज्ञा में शामिल हो रहे लोगों को गिरफ्तारी से बचाया जा सके. यंगून में सड़कों पर गश्त कर रहे इसी तरह के दल के एक सदस्य ने कहा, "हमें इस वक्त किसी पर भरोसा नहीं है, खासतौर से उन लोगों पर जो वर्दी में हैं."

सैन्य शासक हालांकि अंतरराष्ट्रीय आलोचनाओं से बेपरवाह हैं. जुंटा ने इस बात पर जोर दिया है कि उन्होंने कानूनी तौर पर शासन अपने हाथ में लिया है. उन्होंने पत्रकारों को भी निर्देश दिया है कि वो उन्हें ऐसी सरकार के रूप में पेश ना करें जिसने तख्तापलट से सत्ता हथियाई है.

एनआर/आईबी (एएफपी)

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