म्यांमार में विद्रोहियों पर हमला
२ जनवरी २०१३राष्ट्रीय सेना तातमादाव और काचिन स्वतंत्रता संगठन (केआईओ) के बीच का संघर्ष हाल के दिनों में और गहरा गया है. दोनों के बीच शांति की कोशिश कर रहे एक सरकारी वार्ताकार ने बताया कि सरकारी सेना देश के उत्तरी हिस्से पर फिर से कब्जा जमाने की कोशिश कर रही है. राष्ट्रपति थान शेन के सलाहकार मला माउंग श्वे ने बताया, "हमने सुना है कि सेना ने हेलिकॉप्टर और ट्रेनिंग विमानों का इस्तेमाल किया है."
उन्होंने इस बात का खुलासा नहीं किया कि ये हवाई हमले क्यों किए गए लेकिन बर्मी भाषा में छपने वाली सेना की वेबसाइट में लिखा गया है कि इन हमलों की मदद से सेना ने 30 दिसंबर को एक बड़े हिस्से पर दोबारा कब्जा कर लिया है. पिछले साल जून में सरकार और काचिन विद्रोहियों के बीच 17 साल पुराना संघर्ष विराम टूट गया. इसके बाद से जारी संघर्ष और हिंसा की वजह से हजारों लोगों को घर बार छोड़ना पड़ा है. विद्रोहियों की मांग है कि उन्हें ज्यादा राजनीतिक अधिकार दिए जाएं और सेना जिस तरह से मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रही है, वे खत्म हों.
काचिन विद्रोहियों कि अलावा सरकार को रखीने प्रांत में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. इन मुद्दों के सामने आने के बाद म्यांमार सरकार पर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं. म्यांमार ने पिछले दिनों में अपनी छवि को बहुत बदला है और वहां हुए बदलावों के बाद दुनिया भर में उसकी तारीफ हो रही है.
काचिन विद्रोहियों के विदेश मामलों के उपाध्यक्ष कर्नल जेम्स लुम डाऊ ने कहा कि पिछले हफ्ते से उनके इलाके में जंग और गंभीर हो गई है. उन्होंने बताया कि यह संघर्ष चीनी सीमा से करीब सात किलोमीटर दूर उनके प्रमुख गढ़ लाइजा के पास चल रहा है. उन्होंने कहा, "पहले वे हेलिकॉप्टर से हमला कर रहे थे. अब वे जेट विमानों का भी इस्तेमाल करने लगे हैं."
म्यांमार ने 1948 में ब्रिटेन से आजादी पाई. उसके बाद से ही वहां लगातार गृह युद्ध हो रहे हैं. वहां की नई सरकार ने प्रमुख विद्रोही संगठनों से संघर्ष विराम कर लिया है. लेकिन देश के उत्तरी हिस्से में शांति की लगातार कोशिशों के बाद भी वहां सरकार को सफलता नहीं मिल पाई है.
सरकारी प्रवक्ता का कहना है कि काचिन विद्रोहियों ने उनकी बातचीत की पहल का जवाब नहीं दिया है. संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में म्यांमार सरकार से अपील की है कि उसे काचिन इलाके में सप्लाई की जा रही राहत सामग्रियों पर रोक नहीं लगानी चाहिए.
एजेए/एनआर (डीपीए, एएफपी)