म्यांमार में 38 और लोग मारे गए
१५ मार्च २०२१सू ची के खिलाफ आरोपों पर सुनवाई यांगून की एक अदालत में होगी. उनके वकील खिन मौंग ने बताया कि सुनवाई वीडियो लिंक से होगी. सू ची के खिलाफ कम से कम चार आरोप हैं - बिना लाइसेंस के वॉकी टॉकी रखना, कोरोना वायरस से जुड़े प्रतिबंधों का उल्लंघन करना, टेलीकॉम कानूनों का उल्लंघन करना और जनता में अशांति फैलाने का इरादा रखना.
सेना ने उन पर 6,00,000 डॉलर नगद और बड़ी मात्रा में सोने के रूप में अवैध भुगतान लेने का भी आरोप लगाया है. सू ची के वकीलों का कहना कि ये आरोप "बेबुनियाद" हैं. सू ची को एक फरवरी को तख्ता पलट के दौरान ही हिरासत में ले लिया गया था. उनके वकील खिन मौंग का कहना है कि उन्हें भी सू ची से मिलने नहीं दिया गया है. हालांकि उन्होंने बताया कि एक मार्च को जब वीडियो लिंक के जरिए 75-वर्षीय सू ची अदालत में पेश हुई थीं तब वो स्वस्थ लग रही थीं.
सू ची को रिहा करने और लोकतंत्र को बहाल करने की मांग लिए प्रदर्शनकारी देश के कई हिस्सों में अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं और प्रदर्शनों को खत्म करने के लिए सेना भी कड़े कदम उठा रही है. रविवार को यंगून में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सुरक्षाबलों की कार्रवाई में कम से कम 38 लोग मारे गए. प्रदर्शनकारियों ने चीन की कई कपड़ा फैक्टरियों को भी जला दिया, क्योंकि कई प्रदर्शनकारी मानते हैं कि चीन तख्तापलट का समर्थन कर रहा है.
देश में हालात की निगरानी करने वाले एक समूह असिस्टेंस एसोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रिजनर्स ने बताया कि ताजा हिंसा के बाद अभी तक मारे जाने लोगों की संख्या 120 से भी ज्यादा हो गई है. खिन मौंग ने कहा, "सत्तारूढ़ सेना ने अपना नकाब उतार दिया है और अपना असली रूप दिखा दिया है." सरकारी टीवी चैनल ने यह भी दावा किया कि बागो शहर में एक पुलिस अफसर को भी गोली मार दी गई.
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में इस हिंसा को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है, लेकिन म्यांमार की सेना के जनरलों ने अभी तक संयम बरतने की मांगों को मानने का कोई संकेत नहीं दिया है. संयुक्त राष्ट्र के म्यांमार से संबंधित उच्च मानवाधिकार अधिकारी टॉम एंड्रूज ने ट्वीट किया कि रविवार की वारदात से उनका दिल टूट गया है. उन्होंने लिखा, "सेना के नेताओं को सत्ता में नहीं बल्कि सलाखों के पीछे होना चाहिए. उन्हें पैसों और हथियारों की आपूर्ति बंद कर देनी चाहिए."
रविवार रात को सरकारी मीडिया ने यह भी घोषणा की कि लाइंग थरयार और श्वेपाइथा शहरों में मार्शल क़ानून लगाया जा रहा है. लाइंग थरयार ही वो शहर है जहां कपड़ा फैक्टरियों को जला दिया गया.
सीके/एए (एएफपी)