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म्यांमार: सेना खर्च करेगी 20 लाख डॉलर प्रचार पर

१० मार्च २०२१

तख्तापलट कर चुकी म्यांमार की सेना ने दुनिया के सामने अपना पक्ष रखने के लिए 20 लाख डॉलर में लॉबी करने वाले एक शख्स की सेवाएं ली हैं. आरी बेन-मेनाशे का काम होगा दूसरे देशों को म्यांमार की "असली स्थिति" के बारे में बताना.

Myanmar Yangon | nach Militärputsch | Protest der Karen
तस्वीर: Hkun Lat/Getty Images

आरी बेन-मेनाशे इस्राएली-कैनेडियन मूल के हैं और उनकी कंपनी 'डिकेंस एंड मैडसन' ने म्यांमार की सेना के साथ चार मार्च को ही एक करार पर हस्ताक्षर किए थे. अमेरिका के न्याय मंत्रालय में दायर किए गए दस्तावेजों से अब पता चला है कि इस करार का शुल्क 20 लाख डॉलर है. एएफपी ने ये कागजात देखे हैं.

समझौते के अनुसार कंपनी सेना के अधीन म्यांमार की तरफ से अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, इस्राएल, रूस जैसे देश और संयुक्त राष्ट्र, अफ्रीकी संघ जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ लॉबी करेगी. कंपनी को दी गई जिम्मेदारियों में अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को हटवाने के लिए लॉबिंग करना और "देश में असली स्थिति के बारे में समझाने में मदद करना" शामिल है.

बेन-मेनाशे खुद को पूर्व इस्राएली खुफिया अधिकारी बताते हैं. वो इसके पहले कई विवादों में रहे हैं. उन्हें 1980 के दशक में ईरान को सैन्य हवाई जहाज बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. यह आरोप उन पर अमेरिका ने लगाया था. मामला अदालत में भी पहुंचा लेकिन अदालत ने उन्हें आखिर में बरी कर दिया.

यांगून में खुद को बचाने के लिए भागता हुआ एक प्रदर्शनकारी.तस्वीर: REUTERS

2000 के पहले दशक में जिम्बॉब्वे में विपक्ष के एक नेता के खिलाफ लाए गए राजद्रोह के मामले में भी उनकी अहम भूमिका थी. 2019 में उनकी कंपनी ने ट्यूनिशिया में जेल में डाल दिए गए राष्ट्रपति पद के एक उम्मीदवार के पक्ष में लॉबी करने के लिए 10 लाख डॉलर का एक समझौता किया था. इसके अलावा कनाडा में भी एक सनसनीखेज मामले में उन्हें आरोपी पाया गया था जिसमें देश की गुप्तचर सेवा की निगरानी करने वाली संसदीय समिति के अध्यक्ष को इस्तीफा देना पड़ा था. 

म्यांमार में पिछले महीने सेना ने वहां की नेता आंग सान सू ची को  हिरासत में ले लिया था. तब से वहां रोजाना सेना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिन्हें रोकने के लिए सेना कड़े कदमों का इस्तेमाल कर रही है. अभी तक सुरक्षाबलों के हाथों कम से कम 60 लोग मारे जा चुके हैं और करीब 2,000 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं.

सीके/एए (एएफपी)

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