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म्यूजियम को महसूस करेंगे नेत्रहीन

४ दिसम्बर २०१३

नजर से लाचार लोगों के लिए म्यूजियम आम तौर पर अनजानी जगह होती है. कलाकृतियों को देखने लेकिन छूने की मनाही होती है. पर अब पुराने रीति रिवाज बदल रहे हैं.

तस्वीर: Fotolia/César

एंजेल अयाला की आंखें जन्म से ही खराब हैं. हाई स्कूल के छात्र अयाला के लिए म्यूजियम के कोई खास मायने नहीं हैं. उनका कहना है कि म्यूजियम में ज्यादातर चीजों को देखने से ही उनका पता लग सकता है और ऐसे में उन्हें इसमें कोई मजा नहीं आता.

हालांकि अब तस्वीर बदल रही है. अमेरिका में फिलाडेल्फिया के पेन म्यूजियम में नजर से कमजोर लोगों के लिए ऐसी सुविधा दी गई है. वे चीजों को छू कर महसूस कर सकते हैं. अयाला अब प्राचीन मिस्र की कब्रों के हिस्सों को छू कर महसूस कर रहे हैं. उन्होंने तो फिरौन की मूर्ति पर उकेरी महीन इबारतों को भी छू कर समझने की कोशिश की.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

देखने जैसा छूना

अयाला का कहना है, "जब मैंने इन चीजों को छुआ, तो मुझे वैसा ही लगा, जैसा किसी नजर वाले शख्स को इन्हें देखने से लगता होगा. इसके बारे में अगर कोई मुझे बताता उससे कहीं ज्यादा छूने से बात समझ में आई." म्यूजियम के पुरातत्वशास्त्र और मानवशास्त्र विभाग में इसकी सुविधा दी गई है. यह म्यूजियम पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी का हिस्सा है. इसने पिछले साल यह सुविधा शुरू की, जिससे ज्यादा लोग इस बारे में समझ सकें.

कार्यक्रम संयोजक ट्रिश माउंडर चाहते हैं कि समुदायों के ज्यादा से ज्यादा हिस्सों तक सेवा पहुंचनी चाहिए, "संस्कृति या प्राचीन चीजों में किसी की दिलचस्पी सिर्फ इस आधार पर कम नहीं हो सकती है कि उसकी नजर कमजोर है या उसे नहीं दिखता है." अमेरिका के ज्यादातर महानगरों में कम से कम एक ऐसा म्यूजियम या उसका हिस्सा जरूर है, जहां लोगों को हाथों से प्रतिमाओं को छूने कि इजाजत है. वे नंगे हाथों या दस्तानों के साथ इन्हें छू सकते हैं. आर्ट बियॉन्ड साइट ने नजर से लाचार लोगों के लिए इस सुविधा को शुरू कराने में अहम भूमिका निभाई है.

तस्वीर: Fotolia/Jose Ignacio Soto

हूबहू नकल

जिन संग्रहालयों में ऐसी सुविधा नहीं है, वहां नेत्रहीन लोगों के लिए ऑडियो या गाइडों की सुविधा है. न्यू यॉर्क स्थित आर्ट बियॉन्ड साइट की नीना लेवेंट का कहना है कि छूने की सुविधा देने का अलग महत्व है, "मुझे नहीं लगता है कि कोई ऐसा दर्शक भी होगा, जो चीजों को छूना नहीं चाहेगा." ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए कई प्राचीन और दुर्लभ चीजों की हूबहू नकल तैयार की गई है.

अयाला हाल में अपने ओवरब्रुक नेत्रहीन स्कूल के साथ टूर पर पेन म्यूजियम पहुंचे. उनके स्कूल के छात्रों ने बसाल्ट पत्थर की बनी काली रंग की शाखमेत की मूर्ति को छू कर समझा. उन्होंने पास में पड़े दो ताबूतों को छुआ. जो छात्र कद में छोटे थे और फिरौन की मूर्ति के ऊपर तक नहीं पहुंच पा रहे थे, उनके लिए उन मूर्तियों की नकल रखी गई.

लेकिन इससे पहले उन्हें अपने हाथ साफ करने होते हैं. माउंडर का कहना है कि उन्हें इस बात का ख्याल रखना होता है कि मूर्तियों को किसी तरह का नुकसान न हो. इसके अलावा बच्चों की एक मुफ्त क्लास भी होती है. उन्हें बताया जाता है कि प्राचीन मिस्र में दफनाने की प्रक्रिया की तैयारी कैसे होती थी.

एक ही शिकायत

कुल मिला कर इस म्यूजियम में इस साल 250 नेत्रहीन या कमजोर नजर वाले लोगों ने दौरा किया. अगले सत्र की तैयारी अभी से शुरू कर दी गई है. अगले साल प्राचीन रोम की बात होगी. खास बात कि इस टूर का खाका तैयार करने वालों में शामिल ऑस्टिन सेरापिन भी नेत्रहीन हैं. वह इस टूर से बहुत खुश हैं, "सब लोग खुश हैं." उन्होंने कहा, "हमने फीडबैक मांगा था और हमें एक ही शिकायत मिली. उनका कहना था कि टूर लंबा होना चाहिए."

एजेए/एनआर (एपी)

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