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यथास्थिति के सिवा कोई चारा नहीं: उमर अब्दुल्लाह

५ सितम्बर २०१०

जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने कहा है कि राज्य में यथास्थिति बरकरार रखने के सिवा कोई चारा नहीं है. उन्होंने कहा कि घाटी में राजनीतिक वार्ता की बहाली या सैनिकों की चरणबद्ध वापसी पर तुरंत फैसला करना होगा.

तस्वीर: DW

कश्मीर में तनावपूर्ण माहौल खत्म करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जब उमर से पूछा गया तो उन्होंने कहा, "यथास्थिति को बरकरार रखने के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं है. जब हम यथास्थिति की बात करते हैं तो इसका मतलब सब लोगों के साथ बातचीत, कानूनों की समीक्षा और बेरोजगारी की समस्या है जिसके आंकड़े हाल के सालों में बढ़कर छह लाख तक जा पहुंचे हैं."

उमर का यह बयान ऐसे समय में आया है जब आने वाले कुछ दिनों में केंद्र सरकार एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाने जा रही है. इस बैठक में केंद्र सरकार राज्य सरकार से सलाह मशविरा करेगी. एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि बैठक के बाद कुछ मुद्दों पर विशेष उपायों की रूपरेखा तैयार की जा सकती है ताकि लोगों को कुछ राहत दी जा सके. इसमें राज्य में तैनात सैनिकों को दूसरी जगहों पर भेजने और उन पूर्व उग्रवादियों के लिए रोजगार पैकेज भी शामिल हैं जो अपनी सज़ा काटने के बाद अब बेरोजगार हैं.

उधर केंद्र सरकार सेना के विशेष अधिकार कानून पर आम सहमति कायम करने की कोशिश कर रही है. उमर कहते हैं, "इस कानून को बेवजह इतना भावुक रंग दिया जा रहा है. मैं इस कानून को जारी रखने के बारे में सयंमित सोच अपनाने को कहूंगा. इसे उन जिलों से हटा दिया जाए जहां आतंकवादी या उग्रवादी गतिविधियां बहुत ही कम या न के बराबर है." अब्दुल्लाह ने रक्षा मंत्रालय और बीजेपी का नाम लिए बिना यह बात कही जो कश्मीर में इस कानून को जारी रखने की हिमायत करते हैं.

इस बीच केंद्र सरकार मुख्यमंत्री अब्दुल्लाह की तरफ से दिए इस प्रस्ताव पर विचार कर रही है कि सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून को धीरे धीरे राज्य से हटा दिया जाए. शुरू में सरकार कश्मीर घाटी के तीन जिलों श्रीनगर, बड़गाम और गंदरबल के साथ जम्मू क्षेत्र के जम्मू, कठुआ और सांबा जिलों से इसे हटा सकती है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक इन जिलों में होने वाली हिंसक घटनाओं में काफी कमी दर्ज की गई है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः वी कुमार

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