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यमन के कबायली गुटों और सेना के बीच फिर संघर्ष

३१ मई २०११

यमन की राजधानी सना में कबायली गुटों और राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह सालेह की वफादार सेना के बीच संघर्ष विराम टूट गया है. दोनों धड़ों में फिर भिड़ंत. देश में गृह युद्ध की आशंका जताई जा रही है.

तस्वीर: dapd

सरकारी अधिकारी ने मंगलवार को कहा, "संघर्ष विराम समझौता खत्म हो गया है." सप्ताहांत को यह समझौता किया गया था. क्योंकि दोनों पक्षों के बीच मशीन गनों, मोर्टार्स और रॉकेट से छोड़े जाने वाले ग्रेनेडों के साथ राजधानी सना में संघर्ष चल रहा था. इसमें 115 से ज्यादा लोगों की जान गई.

दुनिया के ताकतवर देश यमन पर दबाव डाल रहे हैं कि सालेह खाड़ी देशों की अगुआई में किया गया सत्ता हस्तांतरण का समझौता स्वीकार कर लें ताकि यमन में जारी अस्थिरता खत्म हो. यमन को अल कायदा का गढ़ भी बताया जाता है और यह देश सऊदी अरब के बाद दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है.

तस्वीर: AP

सरकारी सेना और स्थानीय लोग अल कायदा चरमपंथियों को दक्षिणी शहर जिंजीबार से निकालने की कोशिश कर रहे हैं. सप्ताहांत में कट्टरपंथियों ने इस तटीय शहर पर कब्जा कर लिया था.

यमन की सबा न्यूज एजेंसी ने मंगलवार को रिपोर्ट दी है कि एक दिन पहले 21 यमनी सैनिक संघर्ष में मारे गए. अदन की खाड़ी के पास के इस शहर में यमन की वायु सेना ने बम गिराए थे.

सऊदी अरब और अमेरिका दोनों ही यमन की अस्थिर हालत और वहां अल कायदा चरमपंथियों की मौजूदगी को लेकर चिंतित हैं. दोनों देशों का मानना है कि यमन की अस्थिरता के कारण वहां आतंकियों के पैर मजबूत हो रहे हैं.

यमन के विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह सालेह पर आरोप लगाया है कि तटीय शहर जिंजीबार पर उन्होंने जानबूझ कर अल कायदा का कब्जा होने दिया ताकि यह साबित हो सके कि यमन सालेह के बगैर कितना अस्थिर हो सकता है.

कबायली नेताओं, इस्लामिक कट्टरपंथियों और वामपंथी विपक्ष का कहना है कि वह अल कायदा से बेहतर ढंग से निपट सकते हैं.

यमन में करीब 4 महीने से सालेह के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं. इन प्रदर्शनों के खिलाफ हिंसा से कुल 320 लोगों की मौत हो गई है.

बताया जाता है कि राष्ट्रपति सालेह के 33 साल के शासन में यमन की वित्तीय हालत खस्ता हो चुकी है. देश के 40 फीसदी लोग सिर्फ दो डॉलर प्रतिदिन पर जी रहे हैं और एक तिहाई आबादी भुखमरी की हालत में है.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः उभ

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