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यीशु के जन्म स्थल पर ध्यान

२४ दिसम्बर २०१३

उस गुफा के पास करीब 1700 साल पुराना चर्च है, जहां माना जाता है कि ईसा मसीह का जन्म हुआ था. भले ही यह सबसे पवित्र जगहों में हो लेकिन इस पर लंबे समय से ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया.

तस्वीर: DW/T. Krämer

बैथलहम के इस चर्च को पिछले साल यूनेस्को ने उन इमारतों में शामिल किया, जिनके नष्ट होने का खतरा है. लेकिन इस बार के क्रिसमस में इसे खास तोहफा मिला है. लंबे वक्त बाद इसकी मरम्मत हो रही है. प्राचीन छत, दीवारों और खिड़कियों पर खास ध्यान दिया जा रहा है. मोजैक को बचाने के लिए भी काम किया जा रहा है. खतरा तो यहां तक था कि पूरा चर्च ही न गिर जाए.

चर्च पर तीन समुदाय हक जताते हैं, फ्रांसिस्कन, ग्रीक ऑर्थोडॉक्स और अर्मेनियाई. लेकिन इनके बीच आपस में कभी चर्च की मरम्मत को लेकर रजामंदी नहीं बन पाई और हालत यहां तक पहुंच गई. लेकिन फलीस्तीनी प्रशासन ने हाल में चेतावनी दी कि इसके गिरने का खतरा है, जिसके बाद इस पर ध्यान दिया गया.

दीवारों का खास ख्याल रखना जरूरीतस्वीर: DW/T. Krämer

1993 के ओस्लो समझौते के बाद बैथलहम में फलीस्तीनियों की सार्वभौमिकता है. वहां के ईसाई जियाद बंदाक ने कहा, "हमने तीनों समुदायों से कहा कि या तो वे आपस में इसे मरम्मत करने पर राजी हों, नहीं तो यह काम हम करेंगे." मरम्मत के काम की देख रेख बंदाक ही कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि जब वे रजामंदी बनाने में नाकाम हुए, तो हमने कहा, "किनारे हटो, हमें करने दो." वह ईसाई मामलों पर राष्ट्रपति महमूद अब्बास के सलाहकार भी हैं.

मरम्मत समिति का गठन 2008 में हुआ. उन्होंने अब तक 25 लाख यूरो जमा किए हैं. हालांकि जमीन से छत तक की मरम्मत के लिए करीब डेढ़ करोड़ यूरो की जरूरत है. इस काम में फलीस्तीन प्रशासन के बहुत से निजी घरानों ने वित्तीय मदद की है. इसके अलावा हंगरी, रूस, ग्रीस, स्पेन और फ्रांस जैसे देशों से भी मदद आई है. लेकिन यह सिर्फ सांकेतिक मदद है. बंदाक कहते हैं कि वे देखना चाहते थे कि क्या वाकई फलीस्तीनी पक्ष का कोई इस चर्च की मरम्मत में दिलचस्पी ले सकता है और क्या वह पैसों के मामले में पारदर्शी हो सकता है.

इसके बाद उन्होंने पेशेवर ढंग से मरम्मत का काम शुरू किया और पहले साल का टेंडर इतालवी कंपनी पियासेंटी को गया. बंदाक के मुताबिक, "हम चाहते थे कि हम 100 फीसदी पारदर्शी हों. यह तो ईसाइयत का पालना है और एक अंतरराष्ट्रीय इमारत का सम्मान करना चाहिए."

माना जाता है कि ईसा मसीह के 300 साल बाद सेंट हेलेना ने इस चर्च को बनवाया, जो उस्मानी शासक कोंस्टेंटाइन प्रथम की मां थीं. लेकिन 200 साल बाद यहूदियों और समरटियनों के संघर्ष में इसे जला दिया गया. मौजूदा ढांचा साल 565 में दोबारा खड़ा किया गया. सालों से इसकी छत से पानी रिस रहा है और दीवारें भी सीलन से भर गई हैं. पिछले हफ्ते बैथलहम में जबरदस्त बर्फबारी हुई, जिसकी वजह से चर्च को खासा नुकसान पहुंचा. इस बर्फबारी में 50 सेंटीमीटर बर्फ गिरा.

सिविल इंजीनियर इमार नसर का कहना है कि सबसे पहले दीवार और छत की मरम्मत की जाएगी. मरम्मत के दौरान छत को धातु और लकड़ी के खंभों के सहारे रखा गया है और इस वजह से मां मेरी की तस्वीर को फिलहाल ढक दिया गया है. आगे का काम करने के लिए पैसे नहीं हैं. नसर ने कहा, "पहले चरण में हमारा काम इसके ढांचे को बचाना और संभालना है."

अब तीर्थ का समय है. लोग क्रिसमस के वक्त यहां आते हैं. लिहाजा आठ जनवरी तक काम बंद कर दिया गया है. इसके बाद फिर से काम शुरू किया जाएगा.

एजेए/एमजे (डीपीए)

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