1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

युद्ध अपराध जांच के लिए श्रीलंका पर दबाव

१२ सितम्बर २०११

श्रीलंका में दो दशकों तक चले गृह युद्ध में हुए युद्ध अपराधों पर सरकार रिपोर्ट तो तैयार कर रही है लेकिन इसकी विश्वसनीयता पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भरोसा नहीं है. अमेरिका कर रहा है श्रीलंका पर दबाव डालने की कोशिश.

तस्वीर: AP

इसी सिलसिले में अमेरिका के उप विदेश मंत्री रॉबर्ट ओ ब्लेक अपनी टीम के साथ श्रीलंका में हैं. श्रीलंका में अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता क्रिस्टोफर एल्म्स ने बताया कि ब्लेक अपने दौरे पर नेताओं के अलावा सरकारी अधिकारियों, नागरिक नेताओं और यूनिवर्सिटी के छात्रों से भी मुलाकात करेंगे.

रिपोर्टों के अनुसार अमेरिका इस दौरे से श्रीलंका पर दबाव डालना चाहता है ताकि 2009 में खत्म हुए गृह युद्ध की सही तस्वीर सामने आ सके. विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता विक्टोरिया नूलैंड ने पिछले हफ्ते एक इंटरव्यू में कहा है कि ब्लेक के दौरे का एक मकसद इस साल नवंबर में जारी होने वाली रिपोर्ट पर चर्चा है, "हमारा प्रमुख उद्देश्य यह तय करना है कि यह रिपोर्ट विश्वसनीय हो, जो श्रीलंका को आगे ले जाने में मददगार साबित हो."

तस्वीर: AP

ब्लेक ऐसे समय में दौरा कर रहे है जब जिनीवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन की बैठक चल रही है. जानकारों का मानना है कि बैठक में भी श्रीलंका का मुद्दा उठाया जाएगा. श्रीलंका अब तक कोशिश करता आया है कि चीन, भारत और क्यूबा की मदद से संयुक्त राष्ट्र में अपने खिलाफ किसी ठोस कदम से बच सके.

अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण पिछले साल ही श्रीलंका ने जांच कमीशन का गठन किया है. कमीशन को गृह युद्ध के आखिरी महीने में हुए युद्ध अपराधों की जांच करनी है. लेकिन मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि यह कमीशन अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा नहीं करता और कमीशन के कई सदस्य निष्पक्ष हो कर रिपोर्ट नहीं बना रहे हैं. गड़बड़ी की अटकलों के बीच अमेरिका यह निश्चित करना चाहता है कि रिपोर्ट के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ न हो.

कुछ ही हफ्ते पहले अमेरिका ने श्रीलंका को चेतावनी दी है कि अगर लिट्टे के खिलाफ लड़ाई के दौरान हुए युद्ध अपराधों की सही रिपोर्ट नहीं बनती है तो उसके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय जांच की जा सकती है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार लिट्टे के खिलाफ लड़ाई के आखिरी पांच महीनों में कम से कम 7000 नागरिकों की जान गई. श्रीलंका सरकार इस से इनकार करती आई है. लेकिन पिछले महीने पहली बार सरकार ने यह बात स्वीकार की कि आम नागरिकों की जान गई, पर साथ ही यह भी कहा कि सेना ने वही किया जो उस समय जरूरी था और उसे टाला नहीं जा सकता था.

ब्लेक अगले हफ्ते भारत भी जाएंगे, जहां वह उच्च अधिकारियों से मुलाकात करेंगे.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ईशा भाटिया

संपादन: महेश झा

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें