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युवा और आप्रवासी के हाथ में ग्रीन पार्टी की कमान

३१ जनवरी २०२२

जर्मनी की ग्रीन पार्टी ने 28 साल के एक सांसद को अपना नेता चुना है. बीते साल के राष्ट्रीय चुनाव में पार्टी युवाओं के बीच अपनी पैठ बढ़ाने में सफल हुई है और इसका नतीजा अब उसके नेतृत्व पर भी नजर आ रहा है.

Kombobild Omid Nouripour und Ricarda Lang

लंबे समय तक विपक्ष में रहने के बाद सरकार में शामिल हुई जर्मनी की ग्रीन पार्टी ने अपने नेतृत्व के लिए दो नेताओं को चुना है. रिकार्डा लांग अपने संसदीय सहयोगी और विदेश नीति के विशेषज्ञ ओमीद नूरीपूर के साथ पार्टी का नेतृत्व करेंगी. ये दोनों अनालेना बेयरबॉक और रॉबर्ट हाबेक की जगह लेंगे जो 2018 से ग्रीन पार्टी का नेतृत्व कर रहे थे और अब जर्मनी की संघीय सरकार में मंत्री बन गए हैं. 

रिकार्डा लांग

करीब दशक भर पार्टी का सदस्य रहने के बाद 28 साल की रिकार्डा ने बड़ी तेजी से प्रगति कर खुद के लिए पार्टी में शीर्ष जगह बनाई है. वो इससे पहले पार्टी के यूथ विंग का नेतृत्व कर चुकी हैं. इसके अलावा संघीय स्तर पर वो पार्टी की उपनेता और महिला मामलों की पार्टी प्रवक्ता भी रही हैं. सितंबर में उन्हें जर्मनी की संसद के लिए चुना गया.

महज 28 साल की उम्र में रिकार्डा लांग ग्रीन पार्टी की नेता बन गईं.तस्वीर: Kay Nietfeld/dpa/picture alliance

स्टुटगार्ट के पास के शहर फिल्डरस्टाट की मूल निवासी लांग पार्टी के वामपंथी धड़े के साथ जुड़ी रही हैं. वो स्वास्थ्य, सामाजिक और लैंगिक समानता जैसे मु्द्दों पर ध्यान देने के लिए जानी जाती हैं. लांग को उनकी सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम करने वाली मां ने अकेले ही पाला है. अपनी मां के अलावा वो फ्रांसीसी नारीवादी सिमोन दे बोवुआर, अमेरिकी डेमोक्रैटिक नेता अलेक्जांड्रिया ओकासियो कॉर्टेज और न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न को अपना रोल मॉ़डल मानती हैं.

ओमिद नूरीपूर

नूरीपूर की ख्याति विदेश नीति से जुड़े मामलों के विशेषज्ञ की है और इसी ने उन्हें संसद के निचले सदन में सहयोगियों के बीच सम्मान दिलाया है. वो 2006 से ही संसद के सदस्य हैं. 44 साल के नूरीपूर को फुटबॉल भी बहुत पसंद है और उनकी पसंदीदा टीम आइनट्राख्ट फ्रांकफुर्ट है. उनके संसदीय कार्यालय में पहुंचते ही आपको इसका पता चल जाएगा. नूरीपूर अपने हंसमुख स्वभाव के साथ ही व्यावहारिकता के लिए भी जाने जाते हैं. वे ग्रीन पार्टी के "रियालो" विंग से जुड़े हैं और राजनीति के केंद्र में हैं. अकसर उन्हें पार्टी के कट्टरपंथियों का विरोध करते देखा जाता है.

ईरानी मूल के नूरीपूर 13 साल की उम्र में जर्मनी आए.तस्वीर: Kay Nietfeld/dpa/picture alliance

ईरान में जन्मे नूरीपूर अपने परिवार के साथ 13 साल की उम्र में जर्मनी आ गए. उन्होंने एक अखबार को बताया था, "मेरे मां बाप ईरान में उच्च मध्यमवर्गीय परिवार के थे लेकिन वहां से आने के बाद वो समाज के निचले पायदान पर आ गए. कई सालों तक चार लोगों का हमारा परिवार महज दो कमरे में गुजारा करता था."

ग्रीन पार्टी सत्ता में

जर्मनी के राष्ट्रीय चुनाव में ग्रीन पार्टी तीसरे नंबर पर आई थी. तीन दलों की गठबंधन सरकार में वह जूनियर पार्टनर के रूप में शामिल हुई है. इस गठबंधन का नेतृत्व सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स कर रहे हैं और इसमें कारोबार समर्थक फ्री डेमोक्रैटिक पार्टी भी शामिल है. बीते साल सितंबर में हुए चुनाव के बाद जो सांसद चुने गए हैं उन्होंने अब तक की सबसे युवा और विविधता वाली संसद बनाई है. संसद में महिलाओं की भागीदारी चार फीसदी बढ़ कर 35 फीसदी तक पहुंच गई है. ग्रीन पार्टी की महिलाओं ने तो खासा दम दिखाया है. पार्टी के सांसदों में 60 फीसदी महिलाएं हैं.

पार्टी का नेतृत्व छोड़ कर सरकार में शामिल हुईं 41 साल की अनालेना बेयरबॉक के बारे में पहले से ही सवाल उठ रहे थे कि वह अपना काम और मां की जिम्मेदारी दोनों एक साथ कैसे संभालेंगी. इन सवालों के कारण ही उन्होंने चुनाव प्रचार में लैंगिक परख का मुद्दा उठाया था.

ओमिद नूरीपूर और रिकार्डा लांगतस्वीर: Kay Nietfeld/Michael Kappeler/dpa/picture alliance

युवा मतदाताओं पर ध्यान

ग्रीन पार्टी ने चुनाव प्रचार के दौरान शपथ ली थी कि वो जर्मनी को कार्बन न्यूट्रल भविष्य की ओर ले जाने के लिए जरूरी बदलाव की खातिर अरबों डॉलर की परियोजनाएं शुरू कराएगी. हालांकि उन्हें जर्मनी के विशाल हाइवे नेटवर्क पर गतिसीमा पर सीमित करने जैसे कुछ मुद्दों को छोड़ना भी पड़ा. पार्टी के युवा नेताओं का ध्यान जलवायु से जुड़े मद्दों पर है पार्टी ने महिलाओं, युवाओं और पढ़े लिखे शहरी लोगों को लुभाने में कामयाबी पाई है.

एग्जिट पोल ने दिखाया है कि पहली बार वोट देने वाले लोगों में से 23 फीसदी ने ग्रीन पार्टी को चुना. इनकी आयु 18-22 साल के बीच है. अपने चुनावी भाषण में रिकार्डा लांग ने कहा था, "हमें निश्चित रूप से जलवायु संरक्षण और सामाजिक न्याय के बीच गलत विरोधाभास को खारिज करना होगा. हम ना सिर्फ इसके लिए तैयार हैं बल्कि हम यह सचमुच कर रहे हैं."

एनआर/एमजे (डीपीए, रॉयटर्स)

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