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यूं ही चले चीन तो आधा हो जाएगा कैंसर

९ फ़रवरी २०११

चीन अगर ओलंपिक खेलों के दौरान प्रदूषण में लागू की गई कटौती को जारी रखे तो कैंसर का खतरा आधे से भी कम हो जाएगा. चीन की पेकिंग यूनिवर्सिटी और अमेरिका की ऑरेगॉन यूनिवर्सिटी के संयुक्त रिसर्च से पता चला है.

तस्वीर: AP

कैंसर के खतरे में इस कमी का मतलब है कि कैंसर के मरीजों की संख्या में 10 हजार से ज्यादा की कमी आएगी. रिसर्च में इस बात का पता लगाने की कोशिश की गई है कि प्रदूषण में कमी चीन में लोगों की सेहत पर क्या असर डाल रही है. इसमें खासतौर से पॉलिसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड़्रोकार्बन यानी पीएएच से होने वाले प्रदूषण पर ध्यान दिया गया. कोयले और लकड़ी के जलने और कारों के इंजन से निकलने वाले धुएं में पीएएच होता है.

तस्वीर: Greenpeace/Qiu Bo

दुनिया भर में चीन सबसे ज्यादा पीएएच का उत्सर्जन करता है. इसके बाद भारत और फिर अमेरिका का नंबर आता है. ऑरेगॉन यूनिवर्सिटी में रसायन और एनवायरनमेंटल टॉक्सिकोलॉजी विभाग के प्रोफेसर स्ताची सिमोनिच ने बताया, "चीन में ओलंपिक के दौरान उठाए गए कदमों से पीएएच के उत्सर्जन में काफी कमी आई है. इस दौरान गाड़ियों के इस्तेमाल पर रोक लगी, कोयला जलाने पर पाबंदी लगाई गई और कुछ प्रदूषण फैलाने वाली फैक्टरियों को बंद कर दिया गया. यह एक सकारात्मक कदम है और इससे पता चलता है कि इस तरह के कदम अगर जारी रहे तो प्रदूषण के खतरों को किस हद तक घटाया जा सकता है."

बीजिंग में करीब 36 लाख गाड़ियां हैं और इनमें हर साल 13 फीसदी का इजाफा हो रहा है. रिसर्च में कहा गया है, "चीन के बड़े शहरों में गाड़ियों से होने वाले उत्सर्जन को रोकना कैंसर के खतरे को रोकने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है." रिसर्च करने वालों के मुताबिक दो करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले बीजिंग में फिलहाल जितना पीएएच का स्तर है उसके मुताबिक 21,200 लोगों के जीवन में कभी न कभी कैंसर होने का खतरा है. अगर ओलंपिक के दौरान शुरू किए गए प्रदूषण रोकने के उपायों को जारी रखा जाए तो यह संख्या घटकर 11,400 तक आ सकती है.

तस्वीर: Greenpeace/Qiu Bo

आंकड़ों के मुताबिक चीन में हर साल 3 लाख लोगों की मौत दिल की बीमारियों और फेफड़ों के कैंसर से होती है. इन बीमारियों की बड़ी वजह है पीएएच और वायु प्रदूषण. ओरेगॉन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर यूलिंग जिया ने कहा, "निश्चित तौर पर यह स्वास्थ्य के लिए चिंता की बात है जिसके बारे में सरकार और जनता दोनों को सोचना चाहिए."

बीजिंग दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले शहरों में एक है. चीन सरकार ने यहां 1998 से लेकर अब तक करीब 15 अरब डॉलर की रकम वायु की गुणवत्ता सुधारने में खर्च की है. ट्रैफिक में ओलंपिक के दौरान किए गए बदलावों को वायु प्रदूषण कम करने के लिए 2009 में आगे बढ़ा दिया गया.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः वी कुमार

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