यूएन: दुनियाभर के 90% लोग महिलाओं के प्रति पक्षपाती
६ मार्च २०२०
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर जारी यूएन की रिपोर्ट कहती है कि दुनियाभर में अब भी लगभग 90 फीसदी महिलाएं और पुरुष ऐसे हैं जो महिलाओं के खिलाफ किसी ना किसी तरह का पूर्वाग्रह रखते हैं.
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संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने दुनिया की 80 फीसदी आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले 75 देशों का अध्ययन किया और पाया कि 10 में से 9 लोग महिलाओं के प्रति ऐसी सोच रखते हैं.
यूएनडीपी की अपनी तरह की इस पहली रिपोर्ट का नाम है जेंडर सोशल नॉर्म्स इंडेक्स और इसमें 75 देशों में आंकड़ों का अध्ययन किया गया है. इन देशों में विश्व की लगभग 80 फीसदी आबादी रहती है. इन आंकड़ों के विश्लेषण में पाया गया है कि महिलाओं को समानता हासिल करने के मामले में बहुत सी अदृश्य बाधाओं का सामना करना पड़ता है. रिपोर्ट में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक जिन लोगों की राय शामिल की गई उनमें से लगभग आधे लोगों का मानना था कि पुरुष श्रेष्ठ राजनीतिक नेता होते हैं, जबकि 40 प्रतिशत से ज्यादा लोगों का विचार था कि पुरुष बेहतर कारोबारी दिग्गज होते हैं इसलिए जब अर्थव्यवस्था धीमी हो तो उस तरह की नौकरियां पुरुषों को मिलनी चाहिए.
यूएनडीपी के मानव विकास रिपोर्ट कार्यालय के अध्यक्ष पैड्रो कॉन्सीकाओ का कहना है, "महिलाओं को भी पुरुषों की ही तरह बुनियादी जरूरतें पूरी करने वाली सुविधाओं तक पहुंच बनाने के लिए हम सभी ने हाल के दशकों में काफी प्रगति की है.”
साथ ही उन्होंने यह भी बताया, "प्राइमरी स्कूलों में दाखिलों के मामलों में लड़कियों और लड़कों की संख्या में लगभग बराबरी हासिल कर ली गई है और 1990 के बाद से मातृत्व संबंधी बीमारियों से महिलाओं की मौतों में 45 प्रतिशत कमी दर्ज की गई है.” मगर उन्होंने ये भी कहा कि लिंग असमानता अब भी अनेक क्षेत्रों में आम है, खासतौर से ऐसे क्षेत्रों में जहां ताकत से जुड़े संबंधों को चुनौती मिलती हो, वास्तविक लिंग समानता हासिल करने के प्रयासों में ऐसे क्षेत्रों का निर्णायक प्रभाव है.
यूएनडीपी ने एक उदाहरण पेश किया है कि पुरुष और महिलाएं एक ही तरह से मतदान करते हैं, मगर विश्व भर में केवल 24 प्रतिशत संसदीय सीटों पर महिलाएं चुनी गई हैं. साथ ही रिपोर्ट में बताया गया कि दुनिया भर में 193 देशों में से सिर्फ 10 देशों में सरकारों की अध्यक्ष महिलाएं हैं. इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व भर में एक जैसा ही काम करने के लिए महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम वेतन मिलता है और महिलाओं को वरिष्ठ पदों पर पहुंचने के कम अवसर मिलते हैं.
यूएनडीपी ने सभी सरकारों और संस्थानों से आग्रह किया है कि वे महिलाओं के लिए भेदभावपूर्ण मान्यताओं और परंपराओं को बदलने के लिए नई नीतियों का लाभ उठाएं और इसके लिए शिक्षा, जागरूकता का स्तर बढ़ाने का सहारा लिया जाए.
वैसे तो आदमी और औरत के बीच असमानता पूरी दुनिया में दिखती है लेकिन उसमें भी कुछ इलाके आगे तो कुछ काफी पीछे हैं. महिलाओं की शिक्षा, रोजगार और राजनैतिक प्रतिनिधित्व में हुई प्रगति के कारण काफी सुधार आया है.
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स्कूल के दरवाजे खुले
यूनेस्को के अनुसार सन 1990 में दुनिया की करीब 60 फीसदी लड़कियों को स्कूल नहीं भेजा जाता था. 2009 में यह संख्या घटकर 53 फीसदी रह गई.
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कहां हुआ सबसे ज्यादा सुधार
स्कूल जाने के आंकड़ों में सबसे अधिक सुधार पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में हुआ है. केवल 20 सालों में वहां स्कूल से बाहर रह गई लड़कियों की संख्या 70 फीसदी से घट कर 40 फीसदी हो गई.
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उच्च शिक्षा में महिलाएं आगे
कई विकसित देशों, सेंट्रल और ईस्टर्न यूरोप, ईस्ट एशिया और पैसिफिक, लैटिन अमेरिका और नॉर्थ अफ्रीका में पुरुषों से अधिक महिलाएं उच्च शिक्षा लेती हैं. जबकि दुनिया के कुल अनपढ़ों में 60 फीसदी महिलाएं हैं.
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नौकरी नहीं करतीं
नौकरी की उम्र वाली विश्व भर की केवल आधी महिलाएं ही या तो नौकरी करती हैं या उसकी तलाश में हैं. यूएन के आंकड़े बताते हैं कि इसके मुकाबले करीब 77 फीसदी आदमी कामकाज में सक्रिय हैं.
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सबसे कामकाजी महिलाएं कहां
सब सहारा अफ्रीका में करीब 64 फीसदी महिलाएं कामकाजी हैं. मिडिल ईस्ट, नॉर्थ अफ्रीका में 75 फीसदी पुरुषों के मुकाबले केवल 22 फीसदी महिलाएं कामकाजी हैं. दक्षिण एशिया में मात्र 30 प्रतिशत औरतें कामकाजी हैं.
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आमदनी में बड़ा अंतर
यूएन की मानें तो वैश्विक स्तर पर महिलाओं की औसत आमदनी पुरुषों से 23 फीसदी कम है. दक्षिण एशिया में यह अंतर 33 प्रतिशत है तो मिडिल ईस्ट में 14 फीसदी. इस गति से महिला-पुरुष की आय के बराबर होने में 70 साल लग जाएंगे.
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निचले पायदान पर सबसे ज्यादा
विकसित देशों में निचले स्तर के काम में 71 फीसदी और विकासशील देशों की 56 फीसदी महिलाएं लगी हैं. प्रबंधन के स्तर पर विकसित देशों की 39 और विकासशील देशों की 28 प्रतिशत महिलाएं हैं. केवल 18.3 प्रतिशत बिजनेस ही महिलाओं के नेतृत्व वाले हैं.
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बेगार का काम
आईएलओ के आंकड़े दिखाते हैं कि औसत रूप से महिलाएं घर के काम, बच्चों-बुजुर्गों की देखभाल में पुरुषों के मुकाबले ढाई गुना अधिक मुफ्त काम करती हैं. दुनिया की कुल वर्कफोर्स की 40 फीसदी महिलाएं हैं. पार्ट टाइम काम करने वालों में 57 फीसदी महिलाएं हैं.
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राजनैतिक प्रतिनिधित्व
2015 में विश्व के कुल सांसदों में 22 फीसदी महिलाएं थीं. 1995 में यह संख्या मात्र 11.3 फीसदी थी. हालांकि इसमें क्षेत्रीय विभिन्नताएं खूब हैं. जनवरी 2015 के आंकड़े देखें तो केवल 17 फीसदी महिला मंत्री थीं और उनमें भी ज्यादातर को स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे सामाजिक मंत्रालय ही सौंपे गए थे.