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यूएन में जासूसी रोकने का प्रस्ताव

२७ नवम्बर २०१३

जर्मनी और ब्राजील की तरफ से आए "निजता के अधिकार" प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र की अधिकार समिति ने पास कर दिया. हाल के दिनों में अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने कई राष्ट्राध्यक्षों की जासूसी की थी, जिसके बाद यह प्रस्ताव आया.

तस्वीर: Getty Images

प्रस्ताव में कहा गया है कि सरकारें और कंपनियां अगर निगरानी या आंकड़े जमा कर उनकी समीक्षा करती हैं, तो यह "मानव अधिकार का उल्लंघन" है. फ्रांस, रूस और उत्तर कोरिया सहित 55 देशों ने इस प्रस्ताव को लाने में साथ दिया. हालांकि इसमें किसी देश का नाम नहीं लिया गया है लेकिन हाल के दिनों में अमेरिकी खुफिया एजेंसी एनएसए पर आरोप लगे हैं कि उसने जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल सहित कई राष्ट्राध्यक्षों के फोन टैप किए.

जर्मनी ने लगाया जासूसी का आरोपतस्वीर: Reuters

स्नोडन की जानकारी

अमेरिका के पूर्व खुफिया कर्मचारी और अब रूस में शरण में रह रहे एडवर्ड स्नोडन ने रिपोर्ट लीक की थी कि एनएसए ने मैर्केल के मोबाइल फोन पर हुई बातचीत सुनी. उन्होंने यह भी दावा किया था कि ब्राजील की राष्ट्रपति डिल्मा रुसेफ के कार्यालय की बातचीत पर भी नजर रखी गई. इसके बाद जर्मनी और ब्राजील ने मिल कर यह मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में उठाया. यूएन में जर्मनी के राजदूत पीटर विटिष ने बताया कि यह पहला मौका है, जब संयुक्त राष्ट्र ने "ऑनलाइन" मानवाधिकारों पर कोई पक्ष लिया है और इस प्रस्ताव से एक अहम राजनीतिक संदेश गया है.

विटिष ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की मानवाधिकार समिति में कहा, "प्रस्ताव इस बात पर जोर देता है कि गैरकानूनी ढंग से निगरानी और संचार की जासूसी, दखल देने वाली कार्रवाई है, जो निजता के अधिकार का हनन करती है और यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए भी बाधक हो सकता है." उन्होंने कहा, "सरकारों को इससे बचना चाहिए और इसलिए ऑनलाइन या ऑफलाइन सुरक्षा की आवश्यकता है."

मानवाधिकार मामलों की प्रमुख नवी पिल्लईतस्वीर: picture-alliance/dpa

कमजोर हुआ मसौदा

अमेरिका और उसके सहयोगी देश ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया. इन पांचों देशों को "फाइव आइज" खुफिया ग्रुप कहते हैं. हालांकि आखिरी मौके पर प्रस्ताव के मसौदे को थोड़ा नरम कर दिया गया. अब संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार मामलों की प्रमुख नवी पिल्लई निजता के इस मामले पर एक रिपोर्ट तैयार करेंगी. विटिष ने यह भी कहा है कि इस मुद्दे पर जिनेवा में मानवाधिकार परिषद में एक विस्तृत बहस भी होगी.

इंडोनेशिया ने खुल कर इस प्रस्ताव का समर्थन किया. उसने ऑस्ट्रेलिया पर आरोप लगाया है कि राष्ट्रपति सुसीलो बामबांग युद्धयुनो की जासूसी की जा रही है. इसी तरह उत्तर कोरिया ने इस मौके का फायदा उठाते हुए अमेरिका को आड़े हाथों लिया.

मानवाधिकार विशेषज्ञ फिलिपे बोलोपियन ने अफसोस जताया कि प्रस्ताव के मसौदे को कमजोर कर दिया गया. लेकिन उन्होंने कहा कि यह वैश्विक जासूसी के खिलाफ पहला बड़ा कदम है. यह गैर बाध्यकारी प्रस्ताव अब संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्यों वाली महासभा में पेश किया जाएगा, जहां इस पर वोटिंग होगी.

एजेए/ओएसजे (एएफपी)

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