यूएन सुरक्षा परिषद में रहकर क्या करना चाहता है जर्मनी
२ जनवरी २०१९
2019 से दो साल के लिए जर्मनी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अस्थायी सीट ले चुका है. जानिए सुरक्षा परिषद में रहकर क्या कुछ हासिल करना चाहता है देश और फिलहाल यूएन मिशन में जर्मनी कितना सक्रिय है.
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जर्मन विदेश मंत्री हाइको मास की न्यूयॉर्क यात्रा रंग लाई. मास काफी समय से जर्मनी को में अस्थायी सीट दिलाने के लिए कोशिश कर रहे थे और आखिरकार वे इसमें सफल रहे.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) संयुक्त राष्ट्र की सबसे महत्वपूर्ण परिषद है. जर्मनी को ये सीट देने का फैसला काफी साफ था. 193 वोटों में से 184 वोटों के साथ जर्मनी भी अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे पांच स्थायी सदस्यों वाली सुरक्षा परिषद में नौ अस्थायी सदस्यों की सूची में शामिल हो गया. जर्मनी कि सदस्यता 1 जनवरी 2019 से शुरू हुई है.
जर्मनी ऐसी बहुत सी योजनाओं को आने वाले दो सालों में लागू होते देखना चाहता है. जैसे कि सितंबर में ही संयुक्त राष्ट्र महासभा में बोलते हुए मास ने बहुपक्षीयता को और मजबूत करने की बात कही थी. खासतौर पर तब, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने "अमेरिका फर्स्ट" की नीति लागू कर दी है. मास ने कहा था कि "संयुक्त राष्ट्र बहुपक्षीय प्रणाली के केंद्र में है. हम ऐसे समय में रह रहे हैं जब हमें अंतरराष्ट्रीय नियमों में समानता, अधिक विश्वसनीयता और अपने सामान्य नियमों में अधिक विश्वास की आवश्यकता है. संयुक्त राष्ट्र उतना ही मजबूत, न्यायसंगत और प्रभावी है जितना उसके सदस्य इसे बनाते हैं."
जर्मनी संयुक्त राष्ट्र और उसकी विभिन्न समितियों में यूरोप के लिए एक मजबूत भूमिका की वकालत करता रहा है. आने वाले दो सालों में जर्मनी की कोशिश रहेगी कि वो पूरे यूरोपीय संघ के लिए एक स्थायी सीट बना सके. ब्रेक्जिट के बाद, परिषद में यूरोपीय संघ का प्रतिनिधित्व करने वाला फ्रांस एकमात्र देश रह जाएगा.
संकट की रोकथाम भी जर्मनी के एजेंडे में है. कोशिश रहेगी कि वो संकट वाले इलाकों में जिसमें जर्मनी देर से हिस्सा लेता था वहां ज्यादा जल्दी हिस्सा ले सके. शांति बनाने के लिए भी जर्मनी के पास कुछ योजनाएं हैं.
संयुक्त राष्ट्र में जर्मन राजदूत, क्रिस्टोफ ह्युजेन ने एलान किया है कि वो संकट वाले इलाकों में काम करने वाले कॉन्फ्लिक्ट रेजल्यूशन में और महिलाओं को लेना चाहते हैं. उनका कहना है कि "महिलाएं पुरुषों से अलग जीवन के अनुभव और दृष्टिकोण लाती हैं, जिससे समझौता करने में, दुश्मनों को समेटने में और शांति बनाने में मदद मिलेगी."
शांति स्थापना अपने घर से शुरु होना चाहिए. विदेश मंत्री मास ने साफ कहा है कि अगर रूस और अमेरिका की तीस साल पुरानी इंटरमीडिएट-रेंज परमाणु बल संधि खत्म होती है तो जर्मनी अपनी सीट का उपयोग मध्यम दूरी की मिसाइलों की तैनाती के खिलाफ करना चाहेगा. संयुक्त राष्ट्र मिशन में उन्होंने कहा कि "किसी भी मध्यम दूरी की मिसाइल की तैनाती का जर्मनी में व्यापक विरोध होगा."
ये पांचवी बार है, जब जर्मनी को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में दो साल के लिए अस्थाई सदस्यता पर बुलाया गया है. कई जानकारों का मानना है कि जर्मनी को स्थायी सीट मिलनी चाहिए क्योंकि जर्मनी को संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा मिशनों में हिस्सा लेने के कारण दुनिया भर में काफी सम्मान और मान्यता मिली है.
जर्मनी के सैनिक और पुलिस अधिकारी फिलहाल दुनिया भर में चल रहे संयुक्त राष्ट्र के चौदह में से आठ मिशन का हिस्सा हैं. बुंडेसवेयर सैनिकों की सबसे बड़ी तैनाती माली में है, जहां वे मिनुस्मा स्थायीकरण मिशन का हिस्सा है. कोई 110 जर्मन सैनिक माली में शांति और सामंजस्य बनाने में मदद कर रहे हैं. उम्मीद है कि इससे पूरे पश्चिम अफ्रीकी क्षेत्र में स्थिरता आयेगी.
लेबनान में भी जर्मनी संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल में शामिल है, जो संयुक्त राष्ट्र के सबसे लंबे समय तक चलने वाले अभियानों में से एक है. सूडान, दक्षिण सूडान, सोमालिया, पश्चिमी सहारा, लीबिया और हैती में भी जर्मन सेना सक्रिय है. इन सभी अभियानों में, जर्मनी ना केवल लोगों को भेजता है बल्कि मोबाइल प्रशिक्षण टीमों के साथ शांति प्रक्रिया का भी समर्थन करता है.
(फ्रीडेल टाउबे/एनआर)
2019 से क्या चाहते हैं मैर्केल, पुतिन, मोदी और ट्रंप
पूरी दुनिया ने नए साल 2019 का जोरदार स्वागत किया है. चलिए जानते हैं इस मौके पर दुनिया भर के नेताओं ने अपने संदेश में क्या कहा.
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मैर्केल: आपसी सहयोग पर जोर
जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने नए साल पर अपने संदेश में कहा कि 2019 में जलवायु परिवर्तन, इमिग्रेशन और आतंकवाद जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग की जरूरत होगी. उन्होंने कहा, "खुद अपने हितों के लिए, हम इन सवालों को हल करना चाहते हैं, और ऐसा हम सर्वश्रेष्ठ तरीके से तभी कर सकते हैं जब दूसरे के हितों के बारे में भी सोचें."
फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने अपने संदेश में प्रसन्नता और उत्साह जताते हुए कहा, "मेरा विश्वास एकता में है." उन्होंने फ्रांस में हफ्तों से प्रदर्शन कर रहे येलो वेस्ट प्रदर्शनकारियों के असंतोष का जिक्र किया, लेकिन एकजुटता की अपील भी की. उन्होंने कहा, "चलिए फ्रांस को ऐसा बनाना बंद करें जहां हम नीचे की तरफ जा रहे हैं और ऐसा लगता है कि देश में एकजुटता ही नहीं है."
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ब्रेक्जिट, ब्रेक्जिट
ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरीजा मे के भाषण में ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से निकलने पर ही जोर दिखा. उन्होंने ब्रिटिश सांसदों से कहा कि वे ब्रेक्जिट डील को मंजूर कर लें. उन्होंने ब्रेक्जिट के समर्थकों और आलोचकों, दोनों से अपने मतभेद एक तरफ रखने को कहा और एकजुट होकर आगे बढ़ने की अपील की. उन्होंने कहा, "मेरा विश्वास है कि हम लोग मिल कर आशा और उम्मीदों के साथ एक नया अध्याय शुरू कर सकते हैं."
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एकजुटता की अपील
रूस 11 टाइम जोनों में बंटा है, इसलिए हर इलाके में नया साल अलग अलग समय पर आया. इस मौके पर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने भाषण में एकजुटता पर जोर दिया. उन्होंने कहा, "हम अपनी कोशिशों और पूरे तालमेल के साथ काम करते हुए ही सकारात्मक नतीजे हासिल कर सकते है" उन्होंने कहा कि रूस में लोगों का जीवनस्तर सुधारना 2019 की सबसे अहम प्राथमिकता होगी.
चीन में नए साल के मौके पर कोई खास कार्यक्रम नहीं होते, क्योंकि चीनी लोग लूनर कैलेंडर के हिसाब से फरवरी में नववर्ष मनाते हैं. फिर भी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने नए साल पर राष्ट्र को संबोधित किया. उन्होंने 2018 में चीन की उपलब्धियों का जिक्र किया. उन्होंने कहा, "हमने चीन के प्रस्तावों को आगे रखा और चीन की आवाज को आगे भेजा." शी ने 2018 में चीन में होने वाली बहुराष्ट्रीय बैठकों का उल्लेख भी किया.
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ट्विटर के महारथी
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने 2018 के समापन पर व्हाइट हाउस से कई मुद्दों का जिक्र किया, ट्विटर पर. उन्होंने सीरिया से सैनिक हटाने के अपने फैसले की सराहना की और सीमा पर दीवार बनाने की योजना का भी बचाव किया. उन्होंने एक छोटे से वीडियो संदेश में अमेरिकी लोगों को "नए साल की बहुत, बहुत शुभकामनाएं" दी और कहा कि 2019 एक "ग्रेट ईयर" होगा.
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सपने साकार होने की कामना
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्विटर के माध्यम से देश के लोगों को नए साल की शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने सभी के लिए सुखी और स्वस्थ रहने की कामना की है. उन्होंने लिखा, "प्रार्थना करता हूं कि 2019 में आपके सारे सपने सच हो जाएं." इस साल भारत में आम चुनाव है, जिसमें विपक्ष एकजुट होकर भारतीय जनता पार्टी को चुनौती देने की तैयारी कर रहा है.
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चार बीमारियां
खान ने नए साल पर अपने देश को चार बीमारियों से मुक्त करने का संकल्प लिया है. उनके मुताबिक ये बीमारियां हैं गरीबी, निरक्षरता, अन्याय और भ्रष्टाचार. उन्होंने उम्मीद जताई कि 2019 पाकिस्तान के सुनहरे दौर की शुरुआत होगा. इमरान खान 'नए पाकिस्तान' का नारा देकर पिछले साल सत्ता में आए. लेकिन आर्थिक मोर्चे पर उन्हें गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है.