यूक्रेन का नाटो में जाना इतनी जल्दी नहीं होगा
७ अप्रैल २०२१![Ukraine EU-Ratspräsident Charles Michel Besuch](https://static.dw.com/image/56751125_800.webp)
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर सेलेंस्की ने पश्चिमी देशों के सैन्य सहयोग संगठन नाटो में शामिल होने की रुपरेखा तैयार करने की मांग रखी तो रूस ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया जताई. रूस का कहना है कि यूक्रेन का नाटो से जुड़ना डोनबास के इलाके में हालात और बिगाड़ देगा जहां बीते कुछ दिनों से हिंसा बढ़ गई है. अमेरिका ने पहले तो संयमित प्रतिक्रिया दी जिससे ऐसा लगा कि वह रूस को नाराज कर फिलहाल शायद इस ओर कदम नहीं बढ़ाएगा.
हालांकि कुछ घंटों बाद ही व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने कहा कि यूक्रेन लंबे समय से नाटो में शामिल होने की इच्छा जताता रहा है और अमेरिका उसके साथ इस मुद्दे पर बातचीत कर रहा है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस मामले में अमेरिका की "ओपेन डोर" नीति का हवाला दिया तो रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने 2018 के गठबंधन के उस फैसले का जिक्र किया जिसमें यूक्रेन को नाटो की सदस्यता देने की बात थी.
यूक्रेन का घरेलू विवाद
यूक्रेन के डोनबास का विवाद 2014 में क्राइमिया को जबरन रूस में मिलाने के साथ शुरू हुआ. यूक्रेन और पश्चिमी देशों का कहना है कि रूस ने डोनबास के अलगाववादियों को हथियार, धन, नेतृत्व और सहायता दी है. 2015 में युद्धविराम के बाद जंग तो रुक गई लेकिन हिंसा जारी रही. यूक्रेन के मुताबिक डोनबास में 2014 से चल रही इस रूस समर्थित अलगाववादी जंग में अब तक 14000 लोगों की जान गई है. इस साल की शुरुआत से अब तक 24 सैनिकों की मौत हुई है. मार्च महीने से रूस ने डोनबास इलाके में सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी. एक बार फिर से युद्ध छिड़ने की आशंकाएं मजबूत हो रही हैं.
रूस का कहना है कि रक्षात्मक वजहों से ऐसा किया गया है और नाटो के इस मामले में दखल देने से हालात और बिगड़ेंगे. रूसी राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव का कहना है कि पूर्वी यूक्रेन के लोग नाटो की सदस्यता को स्वीकार नहीं करेंगे. उधर यूक्रेनी राष्ट्रपति मानते हैं कि डोनबास में हिंसा को खत्म करने का एक ही तरीका है कि उनका देश नाटो में शामिल हो जाए. उन्होंने नाटो के महासचिव येंस स्टोल्टेनबर्ग से इस मामले में बात भी की है. उनका कहना है कि सदस्यता देने का एक्शन प्लान "रूस के लिए एक संदेश होगा." यूक्रेनी राष्ट्रपति ने नाटो सदस्यों को काले सागर में सैन्य तैनाती को मजबूत करने की मांग की है.
पश्चिमी देशों से सहयोग
यूक्रेन ने इस मामले में पश्चिमी देशों से सहयोग जुटाने के लिए कूटनीतिक कोशिशें भी तेज कर दी हैं. यूक्रेन का कहना है कि वह नाटो की सदस्यता के बदले देश में रक्षा सुधारों को लागू करने के लिए तैयार है. बीते वर्षों में यूक्रेन ने सुरक्षा सहयोग बढ़ाया है और वह रूस से हर मोर्चे पर भिड़ रहा है. बाल्टिक सागर से लेकर काले सागर तक के इलाके में उसने रूसी अभियानों का सामना किया है. पश्चिमी देशों और अमेरिका का सहयोग उसकी ताकत बढ़ाएगा और पश्चिमी देशों की इसमें दिलचस्पी भी है. पश्चिमी देश भी रूस के अभियानों से चिंतित हैं और डोनबास में रूसी दखल के लिए उसे चेतावनी दे रहे हैं.
हालांकि यूक्रेन को नाटो में शामिल करने का फैसला रातोंरात होने वाली चीज नहीं है. स्टोल्टेनबर्ग ने भी अपने ताजा बयान में नाटो की सदस्यता को लेकर कुछ नहीं कहा है बस मजबूत साझीदारी की ही बात कही है. उधर अमेरिका यह बार बार कहता रहा है कि इसका फैसला नाटो ही करेगा. अमेरिका का यह भी कहना है कि यूक्रेन को इसके लिए देश में बड़े सुधारों को लागू करना होगा जिनके बलबूते वह ज्यादा स्थिर, लोकतांत्रिक, समृद्ध और आजाद देश बन सकेगा. इसी बीच इस तनातनी के कारण यूक्रेनी सोवरेन बॉन्ड्स की कीमतें नवंबर के बाद अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई हैं.
एनआर/एमजे (एपी, रॉयटर्स, एएफपी)