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यूक्रेन को प्लाटिनी का सर्टिफिकेट

३ अक्टूबर २०११

अगले साल जून में यूक्रेन में यूरोपीय फुटबॉल चैंपियनशिप यूरो 2012 शुरु होगी. एक तरफ क्वालिफाइंग मैच चल रहे हैं तो दूसरी ओर यूक्रेन की तैयारी अभी तक पूरी होती नहीं दिख रही है.

तस्वीर: picture alliance/dpa

यूक्रेन सरकार कुछ समय के लिए तो चैन की सांस ले सकती हैं. यूनियन ऑफ यूरोपियन फुटबॉल एसोसिएशंस (उएफा) के अध्यक्ष मिशेल प्लाटिनी ने कहा है कि यूक्रेन अगले साल होने वाले यूरो 2012 टूर्नामेंट के लिए तैयार है. यूक्रेन इस टूर्नामेंट की मेजबानी पोलेंड के साथ मिल कर कर रहा है. पिछले कुछ समय से तैयारियां पूरी न होने के कारण यूक्रेन की आलोचना होती रही है. आधे अधूरे बने स्टेडियम, टूटी हुई सडकें और कम होटल. इन सब को देखते हुए ऐसी अटकलें भी लग रही थी कि शायद यूक्रेन से मेजबानी छीन ली जाए.

बढ़ चढ़ कर तारीफ

लेकिन उएफा के प्लाटिनी ने इसे हरी झंडी दिखा दी. "कई यूरोपीय देशों को ऐसा लग रहा था कि यूक्रेन अभी मेजबानी करने की हालत में नहीं है. मुझे भी इस पर शक था और इस साल हमने इस बारे में भी सोच विचार किया कि क्या हमें यूक्रेन के साथ बने रहना चाहिए. लेकिन अब सभी शहरों ने उम्दा काम किया है और दिखा दिया है कि वे तैयार हैं." यूक्रेन की राजधानी कीएव में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, "बड़ी मुश्किलें तो अब टल चुकी हैं. बस कुछ छोटी मोटी बारीकियों पर ध्यान देना है. मैं अपनी कमिटी के सदस्यों को कहूंगा कि यूक्रेन तैयार है और हम एक बेहतरीन यूरो 2012 टूर्नामेंट की उम्मीद कर सकते हैं." प्लाटिनी ने खास तौर से कीएव के ओलम्पिस्की स्टेडियम की तारीफ की जिसका काम पांच महीने पहले ही खत्म हो जाना चाहिए था, "स्टेडियम अच्छी हालत में है. कुछ काम अभी बाकी है, लेकिन वह वक्त रहते हो जाएगा."

स्टेडियम के हालाततस्वीर: Christoph Kersting

सच्चाई कुछ और

जिस स्टेडियम की प्लाटिनी तारीफ कर रहे हैं वहां अभी ईंटें और पत्थर पड़े हैं. प्लाटिनी की तरह स्टेडियम का प्रोजेक्ट संभाल रहे वोलोदिमीर ओनिशचुक भी सकारात्मक हैं, "अक्टूबर के अंत में स्टेडियम का औपचारिक रूप से उद्घाटन होना है. हमें निर्धारित तिथि तक काम खत्म करना है. हमारे पास और कोई चारा भी नहीं है." प्लाटिनी और यूक्रेन सरकार के आश्वासन के बाद भी आलोचनाओं का किस्सा थम नहीं रहा है. अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए जर्मन संगठन जीआईजेड के मिशेल डीजेल ने इस बारे में कटाक्ष कसते हुए कहा, "पहले टेस्ट रन के लिए तो स्टेडियम तैयार हो ही जाएगा, लेकिन 15 तारीख को जब ऑस्ट्रिया की टीम (क्वालिफाइंग मैच खेलने के लिए) यहां पर आएगी तो उन्हें रबड़ के जूते पहन कर खेलना होगा."

फैन्स के लिए जगह नहीं

होटलों की भारी कमी को लेकर भी जीईजेड को शिकायत है. जीईजेड के अनुसार यूक्रेन में हर हजार नागरिकों की तुलना में केवल दो ही होटल के बिस्तर हैं, जब कि पोलैंड में यह संख्या 24 है और पर्यटन का केंद्र माने जाने वाले देश इटली में 35. इस कारण आलोचकों का मानना है कि टूर्नामेंट देखने के लिए जो लोग आएंगे उनके रहने के लिए अभी तक कोई प्रबंध नहीं किया गया है.

होटल का निर्माणतस्वीर: Stadnik Galina

ऐसी ही आलोचनाएं कॉमनवेल्थ खेलों के दौरान भारत की भी हुई थी. हालांकि अंत में खेल तो हुए और उद्घाटन और समापन समारोह ने लोगों का दिल भी जीता, लेकिन बुरे प्रबंध के कारण दुनिया के सामने भारत की बड़ी किरकिरी हुई. दुनिया भर के बड़े अखबारों ने भारत की आलोचना करते हुए लेख लिखे और और टीवी चैनलों ने अधूरे स्टेडियम और गंदे होटलों के चित्र चलाए. अब यूक्रेन के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है. यूक्रेन के लिए ये खेल इसलिए भी जरूरी हैं क्योंकि इनके जरिए वह विदेशी निवेशकों का ध्यान अपनी ओर खींच सकता है, जो उसकी आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए जरूरी है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ईशा भाटिया

संपादन: महेश झा

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