यूक्रेन पर रूसी हमले के समर्थकों को ढूंढ रही है जर्मन पुलिस
१८ अप्रैल २०२२
जर्मन पुलिस का खास ध्यान है उन पर है जो "Z" निशान बनाकर रूस के यूक्रेन पर हमले का सार्वजनिक रूप से समर्थन कर रहे हैं. देश भर में ऐसे 140 से ज्यादा मामलों की जांच की जा रही है.
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जर्मनी के कई राज्यों में पुलिस ने यूक्रेन पर रूस के हमले का समर्थन संबंधी घटनाओं की जांच शुरू कर दी है. आरएनडी न्यूजपेपर ग्रुप ने इस बारे में खबर दी है. अखबार के मुताबिक, देश के पूरे जर्मनी में ऐसे करीब 140 मामलों पर जांच चालू हो चुकी है. इनमें से ज्यादातर मामले "Z" निशान के इस्तेमाल से जुड़े हैं. हाल ही में "Z" निशान और रूसी झंडे, जर्मनी में हुए प्रदर्शनों में दिखे हैं. "Z" प्रतीक को रूसी हमले से जोड़कर देखा जाता है. जब रूसी सेना यूक्रेन में घुसी थी तो उनके वाहनों पर यह निशान देख गए थे. जर्मनी के कई राज्यों ने इस निशान के इस्तेमाल को 'रूसी हमले की अवैध मदद' की श्रेणी में रखा है.
सैक्सनी-अनहाल्ट प्रांत के आंतरिक मामलों के मंत्रालय ने कहा है, "रूसी हमले के इस प्रतीक को सार्वजनिक तौर पर दिखाना, जांच का आधार बन सकता है, अगर इसे रूसी हमले के समर्थन में पेश किया जाता है तो." जर्मनी के सबसे ज्यादा आबादी वाले सूबे- नॉर्थ राइन वेस्टफालिया में रूसी समर्थन के 37 मामले जांच के दायरे में हैं. इनमें से कम से कम 22 माामले "Z" से जुड़े हैं.
इसी राज्य में मार्च के अंत में एक कार रैली भी कोलोन शहर से बॉन शहर तक आयोजित की गई थी, जो आखिर में सोवियत युद्ध से जुड़े एक स्थानीय कब्रिस्तान के पास खत्म हुई. मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि कुछ जगह संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया है, जिसके तार युद्ध से जुड़े हैं. जांच दल इन मामलों में "Z" निशान के इस्तेमाल की जांच भी कर रहा है.
रूसी झंडा लहराने वालों ने कहा है कि वे युद्ध का समर्थन नहीं कर रहे, बल्कि रूसी भाषा बोलने वालों के साथ जर्मनी में हो रहे भेदभाव के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. जर्मनी के उत्तरी राज्य हैंबर्ग में भी ऐसी कार्रवाई की जा रही है.
दक्षिणी राज्य बवेरिया में न्याय मंत्रालय ने यह नहीं बताया कि ऐसे मामलों की संख्या कितनी है, लेकिन यह साफ कर दिया कि प्रांत के सरकारी अभियोजक इस नाजायज जंग का समर्थन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे.
जर्मनी में अरबों के नोट छिपाने वाला सीक्रेट बंकर
कोई कहता था कि यह स्कूल है. कोई इसे हथियारों का गुप्त ठिकाना बताता था. पुलिस को नहीं पता था कि इमारत में भीतर आखिर है क्या? अब पता चला है कि यहां अरबों जर्मन मार्क रखे थे, जिन्हें बाद में राख कर दिया गया.
तस्वीर: Ina Fassbender/AFP
स्कूल नहीं, बंकर है
बाहर से स्कूल जैसी दिखने वाली यह इमारत जर्मनी के केंद्रीय बैंक, बुंडेसबांक की इमरजेंसी रिजर्व थी. 1962 से 1964 के बीच इस सीक्रेट रिजर्व को बनाया गया. 8,700 वर्ग मीटर में फैला रिजर्व कोखेम शहर के रिहाइशी इलाके में बनाया गया था. आसपास रहने वालों को भी इस बात की भनक नहीं थी कि इस इमारत में क्या होता है.
तस्वीर: Jürgen Fromme/augenklick/firo Sportphoto/picture alliance
एक बेहद गहरा तहखाना
सीक्रेट रिजर्व बनाने के लिए जानबूझकर इस जगह को चुना गया. मोजेल नदी की पहाड़ी ढाल वाले इस इलाके में परमाणु हमले की लहर बर्दाश्त करने की क्षमता है. टॉप सीक्रेट कही जाने वाली इस लोकेशन पर करीब 15 अरब जर्मन मार्क (आज के हिसाब से 7.6 अरब यूरो) छुपाए गए थे.
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इमरजेंसी मुद्रा की वजह
शीत युद्ध के दौरान पश्चिमी जर्मनी की सरकार को लगा कि बड़े पैमाने पर फर्जी मुद्रा की सप्लाई कर अर्थव्यवस्था को तबाह किया जा सकता है. अगर जर्मन मार्क (यूरो से पहले जर्मनी की मुद्रा) से लोगों का भरोसा उठ गया, तो हालात बेकाबू हो सकते हैं. इसी वजह से एक वैकल्पिक मुद्रा बीबीके टू छापने का भी फैसला किया गया.
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चाबियां कहीं और
स्टील के मोटे दरवाजों के पीछे इस तिजोरी तक बुंडेसबांक के कुछ चुनिंदा कर्मचारी ही पहुंच सकते थे. चाबियों का सेट यहां से कुछ दूर बसे शहर फ्रैंकफर्ट में रखा गया था. सुरक्षा के लिए इस इमारत की दीवारों में आवाज और कंपन को पकड़ने वाले सेंसर लगे थे. सेंसरों का ऑटोमैटिक अलार्म स्थानीय पुलिस स्टेशन से भी जुड़ा था. हालांकि, पुलिस को भी नहीं पता था कि इमारत में है क्या?
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गोपनीय खजाना
कोखेम के इस बंकर में कई बक्सों में 15 अरब मूल्य की सीक्रेट करेंसी रखी थी. इसमें 10, 20, 50 और 100 जर्मन मार्क के नोट भी शामिल थे. जरूरत पड़ने पर बाजार से पुराने नोटों को हटाया जाता और खास सीरियल नंबर वाले इन नोटों को बाजार में उतारा जाता. हर तीन महीने में फ्रैंकफर्ट से बैंक कर्मचारी यहां आकर तिजोरी चेक करते थे.
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बीते दौर की तकनीक
यह बंकर सिर्फ पैसे के लिए ही नहीं था. परमाणु युद्ध की सूरत में इस बंकर के भीतर दो हफ्ते तक सुरक्षित रहने का इंतजाम था. भीतर जर्मनी के आंतरिक मंत्रालय से सीधे कनेक्शन वाला रेडियो लिंक था. बिजली के लिए डीजल जेनरेटर, 18,000 लीटर फ्यूल रिजर्व और 40,000 लीटर पीने का पानी भी स्टोर था.
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80 लोगों के लिए इंतजाम
आपात स्थिति में बंकर के भीतर 80 आम नागरिकों को भी आराम से रखने की सुविधा थी. उनके सोने के लिए कमरे बने थे. हवा की सप्लाई के लिए सैंड फिल्टर लगे थे. लेकिन, इस बात की जानकारी कभी नहीं मिली कि परमाणु हमले की स्थिति में यहां शरण लेने वाले 80 लोगों की लिस्ट में किस-किसका नाम था.
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बर्बाद हो गया पैसा
1988 में इस पैसे को नष्ट करने का फैसला किया गया. इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम आने की वजह से नगदी को ऐसे स्टोर रखना बेकार लगने लगा. पैसा खत्म किए जाने के बाद यह बंकर काफी समय तक खाली रहा. 2014 में एक निवेशक ने इस खरीदा. 2016 से यह आम लोगों के लिए खुला है. (रिपोर्ट: फिलिप ब्योल)
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प्रांत के न्याय मंत्री गेयोर्ग आइसनराइष ने जर्मन संविधान से मिली राय रखने की आजादी का बचाव किया लेकिन सथ ही जोड़ा कि "जर्मनी में हर कोई अपनी राय रख सकता है. लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वहीं खत्म हो जाती है, जहां से आपराध शुरू हो जाता है. और हम अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ हो रहे अपराधों की माफी स्वीकार नहीं करेंगे