बेलारूस का एक एक्टिविस्ट यूक्रेन की राजधानी कीव के एक पार्क में फांसी पर लटका हुआ पाया गया है. विटाली शिशोव बेलारूस में हो रहे उत्पीड़न से भाग कर यूक्रेन आए लोगों की मदद करते थे.
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शिशोव कीव में ही स्थित 'बेलारुसियन हाउस इन यूक्रेन' के नेता थे. पुलिस के बयान के अनुसार जिस पार्क में उनका शव लटका हुआ मिला वो उनके घर से ज्यादा दूर नहीं था. हत्या से संबंधित जांच शुरू कर दी गई है. पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या हत्या को आत्महत्या जैसा दिखाने की कोशिश की गई है?
'बेलारुसियन हाउस इन यूक्रेन' उत्पीड़न से भाग रहे बेलारूस के लोगों को यूक्रेन में कानूनी दर्जा, आवास और रोजगार दिलाने में मदद करता है. संस्था ने सोमवार को ही जानकारी दी थी कि शिशोव सुबह की दौड़ के लिए गए थे लेकिन उसके बाद लापता हो गए थे. बेलारूस के मानवाधिकार केंद्र विआसना ने उनके दोस्तों के हवाले से बताया कि हाल ही में उनकी दौड़ के दौरान अजनबी लोग उनका पीछा करने लगे थे.
बेलारूस में उत्पीड़न
बेलारूस में हाल के हफ्तों में सरकार ने गैर सरकारी संगठन और स्वतंत्र मीडिया पर दबाव बढ़ा दिया है. अकेले जुलाई में ही ऐक्टिविस्टों और पत्रकारों के दफ्तरों और घरों पर 200 से ज्यादा छापे मारे गए हैं. दर्जनों लोगों को हिरासत में भी लिया गया है. राष्ट्रपति एलेग्जेंडर लुकाशेंको ने प्रण लिया है की सिविल सोसाइटी ऐक्टिविस्टों के खिलाफ वो अपना "सफाई अभियान" जारी रखेंगे. वो इन एक्टिविस्टों को "लुटेरे और विदेशी एजेंट" बताते हैं.
अगस्त 2020 में हुए चुनावों में लुकाशेंको जीत हासिल कर छठी बार राष्ट्रपति बने, लेकिन विपक्ष और दूसरे कई देशों ने भी इन चुनावों को धोखाधड़ी भरा बताया था. चुनाव के बाद उनके खिलाफ प्रदर्शन हुए लेकिन उन्होंने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की. 35,000 से भी ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया और पुलिस ने हजारों को मारा-पीटा भी.
हमले की आशंका
बेलारुसियन हाउस इन यूक्रेन' ने एक बयान में बताया कि शिशोव को 2020 की शरद ऋतु के दौरान जब बेलारूस में सरकार-विरोधी प्रदर्शन और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सरकार की सख्त कार्रवाई अपने चरम पर थी तब उन्हें मजबूरन यूक्रेन चले आना पड़ा.
संस्था ने बताया कि यूक्रेन में भी उन पर निगरानी रखी जाती थी और "स्थानीय सूत्रों के अलावा बेलारूस में भी मौजूद हमारे लोगों ने" समूह को आगाह कराया है कि उसके खिलाफ "अपहरण या हत्या जैसे कई कदम" उठाए जा सकते हैं. संस्था ने कहा,"इसमें कोई शक नहीं है कि यह बेलारूस की सरकार के लिए खतरा बन चुके एक नागरिक को खत्म करने की सुरक्षाकर्मियों की योजनाबद्ध कार्यवाही थी. हम विताली की मौत के सच के लिए लड़ते रहेंगे."
सीके/एए (एपी)
बेलारूस में चक्कर क्या चल रहा है?
अगस्त की शुरुआत से बेलारूस चर्चा में है. कोरोना संकट के बीच भी वहां लाखों लोग प्रदर्शन के लिए जुट रहे हैं. जानिए बेलारूस का पूरा मामला क्या है.
कहां है बेलारूस?
यूरोपीय देश बेलारूस रूस और यूक्रेन की सीमा पर स्थित है. 1991 में यह सोवियत संघ से अलग हुआ और 1994 आलेक्जांडर लुकाशेंको यहां के पहले राष्ट्रपति बने. 26 साल बीत गए हैं लेकिन आज भी लुकाशेंको ही वहां के राष्ट्रपति बने हुए हैं.
विवाद की जड़
1994 से आज तक लुकाशेंको कोई चुनाव नहीं हारे हैं. हालांकि हर बार चुनाव में धांधली की खबर आती है लेकिन लुकाशेंको को इससे कभी कोई फर्क नहीं पड़ा है. पर 9 अगस्त 2020 को हुए चुनावों में जब उन्हें 80 फीसदी बहुमत मिलने की घोषणा हुई तो जनता ने विद्रोह कर दिया.
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आंदोलन का चेहरा
लुकाशेंको की मुख्य विरोधी स्वेतलाना तिखानोवस्काया को औपचारिक रूप से महज 10 फीसदी ही वोट मिले, जबकि जनता ने बढ़ चढ़ कर उनका साथ दिया था. ऐसे में ना केवल देश की जनता ने, बल्कि यूरोपीय संघ ने भी चुनाव के नतीजों को ठुकरा दिया.
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सड़कों पर उतरे लोग
हाथों में विरोध का लाल और सफेद झंडा लिए लाखों लोग सकड़ों पर उतरे और "लुकाशेंको जाओ" के नारे लगाने लगे. राष्ट्रपति ने इसके पीछे "विदेशी ताकतों का हाथ" बताया. लेकिन लोग नहीं रुके. इन प्रदर्शनों में दो लोगों की जान भी गई.
तस्वीर: Reuters/V. Fedosenko
हिरासत में नागरिक
शुरुआत में ही प्रदर्शन करने वाले करीब 7,000 लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. इसके बाद स्वेतलाना तिखानोवस्काया ने पुलिस और सेना से नागरिकों का साथ देने और विद्रोह करने की अपील की.
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टीवी स्टूडियो खाली
बेलारूस के राष्ट्रीय प्रसारक "बीटी" में सैकड़ों की संख्या में पत्रकारों, कैमरा कर्मियों और अन्य स्टाफ ने इस्तीफा दे दिया. इन्होंने सरकार की आवाज बनने से इनकार कर दिया. इस दौरान लाइव टीवी पर खाली स्टूडियो देखा गया.
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फैक्ट्रियां भी खाली
फैक्ट्रियों में काम करने वालों को अब तक लुकाशेंको का समर्थक माना जाता रहा है लेकिन 17 अगस्त को इन्होंने भी हड़ताल कर दी और "लुकाशेंको जाओ" के नारे लगाने लगे. पूरे देश में लुकाशेंको को हटाने की आवाजें गूंजने लगीं.
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मरते दम तक नहीं छोडूंगा!
लुकाशेंको ने एक जवाबी रैली निकाली जिसमें उन्होंने कहा कि जब तक वे जिंदा हैं, वे दोबारा चुनाव नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा, "जब तक आप लोग मुझे मार नहीं देते, तब तक कोई नए चुनाव नहीं होंगे."
तस्वीर: Reuters/M. Guchek
सुरक्षाबलों से खिलवाड़
पुलिस कहीं सरकार के खिलाफ ना हो जाए, इस डर से लुकाशेंको ने 18 अगस्त को 300 सुरक्षबलों को मेडल दिए. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इसका चुनाव और उसके बाद होने वाले प्रदर्शनों से कोई लेना देना नहीं है लेकिन बावजूद इसके कई पुलिसकर्मियों ने नौकरी छोड़ने का फैसला किया.
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बीचबचाव में ईयू
20 अगस्त को फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल से मुलाकात की और रूस और ईयू की मदद से बेलारूस के मामले में मध्यस्थता करने की पेशकश की. पर साथ ही रूस को चेतावनी भी दी कि अपने पड़ोसी देश में वह कोई आक्रामक हस्तक्षेप ना करे.
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न्यूज वेबसाइटें सेंसर
देश में करीब 20 न्यूज वेबसाइटों को ब्लॉक कर दिया गया है ताकि लोगों तक प्रदर्शनों की खबर ना पहुंच सके. यहां तक कि अखबारें भी नहीं छप रही हैं. देश के सरकारी पब्लिशिंग हाउस का कहना है कि उनकी मशीनें खराब हो गई हैं.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/B. Zawrzel
सेना को आदेश
इस बीच सेना तैनात कर दी गई है और आदेश दिए गए हैं कि राष्ट्रपति की सुरक्षा अगर खतरे में आती है तो सेना "कड़े से कड़ा कदम" उठाए. लुकाशेंको ने कहा है कि सेना पर "देश की अखंडता" बचाने की जिम्मेदारी है.
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लाखों की तादाद में
रविवार, 23 अगस्त को करीब डेढ़ से दो लाख लोग प्रदर्शनों के लिए राजधानी मिंस्क की सड़कों पर जमा हुए. राष्ट्रपति की धमकियों का इन पर कोई असर होता नहीं दिख रहा है.
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हाथ में एके-47
लुकाशेंको ने कह तो दिया कि मुझे हटाना है तो मार डालो लेकिन अब उन्हें अपनी जान की चिंता होने लगी है. यही वजह है कि जब लाखों लोग प्रदर्शन कर रहे थे, तब वे बुलेट प्रूफ वेस्ट पहने और हाथ में क्लाशनिकोव राइफल पकड़े अपने घर के बाहर नजर आए.