यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में हिंसा बढ़ने के बाद रूस और पश्चिमी देश पूरी कोशिश में लगे हैं कि कूटनीतिक रास्ते से मामले का हल मिल जाए.
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पूर्वी यूक्रेन में हिंसा और बढ़ने की स्थिति में रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मामला दर्ज करने का फैसला किया है. वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा शुक्रवार को टेलिफोन कॉन्फरेंस के जरिए यूरोपीय संघ से सदस्य देशों, जर्मनी, इटली और फ्रांस सहित कुछ अन्य राष्ट्र प्रमुखों से बातचीत करेंगे. जर्मनी के विदेश मंत्री फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर ने यूरोप में सहयोग और सुरक्षा संगठन ओएससीई के संकटग्रस्त इलाके में ज्यादा काम करने की सलाह दी है. पूर्वी साझेदारी वाले देश इसमें मध्यस्थता करना चाहते हैं.
उधर यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में देश की सेना ने आतंक निरोधी ऑपरेशन शुरू किया है. इसके जरिए खास सेना स्लावियांस्क को फिर से अपने कब्जे में ले लेना चाहती हैं. आतंक निरोधी केंद्र के प्रमुख वासिली क्रुतोव दलील देते हैं, "इससे हम रूस के समर्थकों को सहयोग मिलने से रोकना चाहते हैं." उनका दावा है कि रूसी समर्थक अलगाववादियों ने सेना के एक हेलिकॉप्टर को गिरा दिया. उन्होंने क्रामातोर्स्क के सैन्य ठिकाने पर खड़े एक हेलीकॉप्टर के टैंक पर गोली दागी जिससे उसमें आग लग गई. पूर्वी यूक्रेन में कई रूसी समर्थक सरकारी इमारतों पर कब्जा किए बैठे हैं और रूसी भाषी इलाकों के लिए वो व्यापक स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं. स्लावियांस्क में पांच रूस समर्थकों के मारे जाने के बाद रूस ने यूक्रेन की सीमा के आस पास सैन्य अभ्यास तेज कर दिया है.
चाबुक के साथ गश्त
यूक्रेन का स्वायत्त प्रायद्वीप क्रीमिया इन दिनों सुर्खियों में है. पश्चिम जहां रूस को यूक्रेन के मामले में आक्रामक मानता है वहीं क्रीमिया के निवासी रूसी सैनिकों के आने से खुश हैं. फिलिप वॉरविक की रिपोर्ट, तस्वीरों में
तस्वीर: DW/F. Warwick
रूस के कोसैक
करीब ढाई सौ कोसैक रूस के क्रासनोदार इलाके से यहां पहुंचे और सेवास्तोपोल के रूस समर्थकों से मिले. ये उग्रवादी स्थानीय पुलिस के साथ क्रीमिया के लोगों की सुरक्षा के लिए गश्त लगाएंगे.
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डर नहीं
सेवास्तोपोल में क्यूबन कोसैक हाथ में चाबुक लिए हुए. उनके कमांडर ने कहा कि वे क्रीमिया के रूस समर्थक अधिकारियों के आमंत्रण पर पहुंचे हैं. रूस के क्यूबन इलाके में रहने वालों को कोसैक कहा जाता है.
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साझा गश्त
कोसैक सेवास्तोपोल की पुलिस के साथ साझा गश्त लगाएंगे. ये लोग अपनी खास ऊनी कुबानका टोपियां पहनते हैं. रविवार से ये सड़कों पर गश्त लगा रहे हैं. व्लादिमीर पुतिन ने एक बिल साइन किया था जिसके तहत कोसैक को उन्होंने मजबूत सैन्य ताकत बनाया.
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'मुश्किल समय में सुरक्षा'
क्यूबन कोसैक लीडर, कर्नल सैर्गेई सैवोनिन यूरिएविष ने कहा कि उनके लोग सेवास्तोपोल के लोगों की सुरक्षा के लिए आए हैं, "मैं खुश हूं कि हम आज यहां हैं, वह भी क्रीमिया और सेवास्तोपोल के इस मुश्किल दौर में."
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स्वायत्तता चाहिए
इन रूसी मूल के लोगों का कहना है कि क्रीमिया ऑटोनोमस रिपब्लिक का और रूस का झंडा फहराने का मतलब यूक्रेन से अलग होना नहीं है. वे स्वायत्ता चाहते हैं और अपने अधिकारों के लिए आदर. वे अपने भाई यूक्रेन के साथ युद्ध नहीं चाहते.
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रूस समर्थक पेंशनर
राष्ट्रभक्ति के नारे लगाते हजारों लोग कलाबाजों का शो देख रहे हैं. हाल की रैलियों में रूस के कड़े समर्थक वहां के पेंशनर हैं. तस्वीर में एक महिला सोवियत संघ और रूसी नौसेना का झंडा फहराती हुई.
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इतिहास फिर से?
महिलाएं ही नहीं क्रीमिया के पुरुष भी रूस समर्थक हैं. यहां कोसैकों का समर्थन करने आया एक व्यक्ति. नारंगी और काले रंग की रूसी सेना की इस ड्रेस पर लिखा है, "सेवास्तोपोल 1942- हमें याद है." रेड आर्मी में उन्हें बहादुरी के लिए पदक दिए गए थे.
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रोड ब्लॉक
सिर्फ रूसी सैनिक ही क्रीमिया में नहीं है. रूस समर्थक मिलिशिया ने सिम्फेरोपोल से सेवास्तोपोल जाने वाले रास्तों पर चेक प्वाइंट बना दिए हैं. आने जाने वाली गाड़ियों को रोक कर उनसे पूछताछ की जा रही है.
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कारोबार को नुकसान?
स्थानीय व्यापारियों को डर है कि इस संकट का असर उनके काम पर पड़ेगा. लिलिया वोजनुक को चिंता है कि इस साल की गर्मियों में उन्हें काफी नुकसान होगा. लेकिन फिलहाल यूक्रेन की पूर्व प्रधानमंत्री यूलिया टिमेशेंको की बजाए पुतिन के रबर मास्क ज्यादा बिक रहे हैं.
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दिल जीतने वाले
जो भी पर्यटक शहर में आते हैं उन्हें काले सागर की ये कंसर्ट मोह लेते हैं. कलाकार सेवास्तोपोल के हैं जो रूसी लोकगीत पेश करते हैं. तस्वीर में रूस का मशहूर याबलोचको (लिटिल एप्पल) डांस.
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रूस समर्थक....
सेवास्तोपोल में अधिकतर लोग रूसी राष्ट्रवाद के समर्थक हैं. उन्हें यूक्रेन के राष्ट्रवादियों के बारे में शंका है, वे उन्हें धुर दक्षिणपंथी बताते हैं. उन्हें लगता है कि रूसी सेना की उपस्थिति से उनकी स्वायत्ता बनी रहेगी.
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रूसी नौसेना का ठिकाना
यूक्रेन के इस हिस्से में हमेशा से रूस समर्थन और सोवियत संबंध मजबूत रहे हैं. 18वीं सदी से रूसी नौसेना यहां से काम कर रही है.
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तनाव के बावजूद यूक्रेन की सरकार ने वादा किया है कि वह ओएससीई के पर्यवेक्षकों को संकटग्रस्त इलाकों में जाने देगी. यूक्रेन ने वादा किया था कि वह सोवियत संघ में रहे इलाकों को संविधान में सुधार के साथ ज्यादा अधिकार देंगे. ओएससीई पर्यवेक्षक मिशन को तेजी से मजबूत करना होगा. तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. देश में करीब 500 पर्यवेक्षक हालात का जायजा लेने के लिए भेजे जाएंगे. हालांकि ये काम एक दिन में नहीं हो सकता. वहीं रूस ने कहा है कि अगर पूर्वी और दक्षिणपूर्वी यूक्रेन में विरोध प्रदर्शकारियों को हिंसा से दबाने की कोशिश की जाती है तो वह सुरक्षा परिषद से शिकायत करेगा.
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने पश्चिम पर आरोप लगाया कि वह यूक्रेन के जरिए भूराजनैतिक खेल खेल रहा है ताकि वह यूरोप का दूसरा सबसे बड़ा देश अपने प्रभाव में ले सके. वहीं कीव का दावा है कि उसने आतंकियों को यूक्रेन की सीमा में भेजा है ताकि सैनिक कार्रवाई करनी पड़े. यूक्रेन की सरकार की मांग है कि पश्चिमी देश साथ मिलकर रूस के खिलाफ कार्रवाई करें.
जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल ने साफ कहा है कि पुतिन को जेनेवा में हुए समझौते पर चलना चाहिए.