यूक्रेन में पुतिन की लंबी चाल
२३ अप्रैल २०१४यह मकसद है एक दिन रूसी बोलने वाले लोगों को फिर से एक संयुक्त राष्ट्र में साथ लाना. इनमें यूक्रेन की सीमाओं में रहने वाले रूसी भाषी भी शामिल हैं. यह पुतिन के अपने विचारों और उनके जैसा सोचने वालों के विचारों से झलकता है. कुशल रणनीतिकार के रूप में पुतिन जानते हैं कि इस महात्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए पूरा जोर लगाना रूस के लिए नुकसानदेह हो सकता है, जैसा कि कड़े प्रतिबंध लगाने की पश्चिमी देशों की धमकी और रूसी गैस आपूर्ति से आजाद होने की यूरोप की कोशिशों में दिखता है.
जेनेवा में पिछले हफ्ते यूक्रेन पर हुए समझौते पर दस्तखत करना और पश्चिमी देशों को यह दिखाना कि वह समझौते के लिए तैयार है, रूस के लिए रणनैतिक महत्व रखता है. अगले चुनाव को होने में चार साल बाकी हैं और उसमें पुतिन के फिर से 6 साल के लिए जीतने की संभावना है. इसे देखते हुए पुतिन के पास समय है जो उन्हें उनके पश्चिमी प्रतिद्वंद्वियों पर बढ़त देता है, जिनकी नीतियां उनके कार्यकाल को देखते हुए छोटी अवधि की हैं.
रशिया इन ग्लोबल अफेयर्स के संपादक फ्योदोर लुक्यानोव कहते हैं, "अब मुख्य बात यह है कि पावडर को सूखा रखा जाए और इसके लिए तैयार रहा जाए कि यूक्रेन का विवाद लंबा खिंच सकता है." पत्रिका के संपादक मंडल में रूसी विदेश मंत्री का भी नाम है. पुतिन का लंबा खेल यह है कि वे यूक्रेन पर किसी सैन्य विवाद में फिलहाल नहीं फंसना चाहेंगे. इसका मतलब यह है कि यूरोपीय देशों को इसके लिए तैयार रहना होगा कि प्रतिबंधों से रूस के साथ उनका कारोबारी रिश्ता जटिल हो सकता है.
पुतिन की रणनीति
यूक्रेन में क्रेमलिन के औपचारिक लक्ष्य सीमित हैं. रूस की सुरक्षा, नाटो के विस्तार को रोकना और यूक्रेन के रूसी भाषा बोलने वाले निवासियों की दमन की स्थिति में रक्षा करना. रूस हमला करने की योजना से इनकार करता है. जेनेवा में यूक्रेन, रूस, अमेरिका और यूरोपीय संघ के सर्वोच्च राजनयिकों ने रूस समर्थक विद्रोहियों सहित यूक्रेन के अवैध हथियारबंद गुटों से हथियार डालने और घर वापस जाने की अपील की.
रविवार तक समझौता खतरे में था जब विद्रोहियों की निगरानी वाले एक चेकपोस्ट पर हुई गोलीबारी में कई लोग मारे गए. रूस ने कीव पर जेनेवा समझौते को लागू न करने का आरोप लगाया. फिर भी वार्ता से जुड़े लोग जेनेवा बैठक को महत्वपूर्ण बताते हैं क्योंकि पहली बार रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव ने समझौता करने के निर्देश के साथ यूक्रेन पर चर्चा की. लेकिन एक यूरोपीय राजनयिक का कहना है कि बातचीत के लिए तैयारी दिखाकर रूस ने बढ़ रहे कूटनीतिक दबाव को कम कर दिया.
रूस की समझौते की पेशकश क्रेमलिन के खिलाफ इकट्ठा पश्चिमी सहबंध में मतभेद बढ़ा सकती है, जिसका फायदा अंत में क्रेमलिन को ही होगा. कड़े प्रतिबंधों की मांग कर रहे अमेरिका और फूंक फूंक कर कदम रख रहे यूरोपीय देशों के बीच पहले से ही मतभेद दिख रहे हैं. यूरोपीय संघ के कई देश रूस गैस पर निर्भरता के कारण खर्चीले टकराव से बचना चाहते हैं.
साझा भविष्य
यूक्रेन में क्रेमलिन के औपचारिक लक्ष्यों के पीछे जब कभी पुतिन या उनके सहयोगी अपने विचारों को साझा करते हैं तो रूस के विस्तारवादी लक्ष्यों के सबूत भी उभरते हैं. पिछले हफ्ते एक टेलीविजन प्रसारण में पुतिन ने कहा कि किस तरह जार के शासनकाल में यूक्रेन का पूर्वी और दक्षिणी हिस्सा रूस का हुआ करता था और नोवोरोशिया यानि नया रूस के नाम से जाना जाता था. "ये इलाके सोवियत सरकार ने 1920 के दशक में यूक्रेन को दिए. उन्होंने ऐसा क्यों किया भगवान ही जानता है."
राष्ट्रपति के साथ सवाल जवाब के चार घंटे तक चले प्रसारण में यह एक छोटा सा हिस्सा था, लेकिन क्रेमलिन पर नजर रखने वाले इसे अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हैं. पुतिन के आर्थिक सलाहकार रहे और अब आलोचक आंद्रे इलारियोनोव कहते हैं, "अब लक्ष्य नोवोरोशिया है." पुतिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने यह पूछे जाने पर कि पुतिन की टिप्पणी का क्या अर्थ है, कुछ भी कहने से मना कर दिया.
पुतिन की तरह सोचने वाले लोगों ने नकली राष्ट्रीय सीमाओं द्वारा विभाजित रूसी राष्ट्र का सिद्धांत दिया है. इनमें रूसी ऑर्थोडॉक्स चर्च की वरिष्ठ शख्सियतें भी शामिल हैं. पुतिन ने ईस्टर के मौके पर चर्च के साथ अपनी नजदीकी का फिर से इजहार किया जब वे मॉस्को के चर्च में हुए ईस्टर प्रार्थना सभा के लिए पहुंचे. पैट्रियार्च किरिल ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से शुभकामनाएं दीं. पैट्रियार्च के निकट सहयोगी मेट्रोपोलिटन हिलेरियन कहते हैं, "लाखों रूसी यूक्रेन में रहते हैं, लाखों यूक्रेनी रूस में रहते हैं. हमारी भाषा, संस्कृति और अतीत एक है और मेरी राय में हमारा भविष्य भी एक है."
एमजे/एजेए (रॉयटर्स)