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यूक्रेन विवाद पर कूटनीतिक प्रयास तेज

८ मई २०१४

जर्मन संसद बुंडेसटाग ने यूक्रेन संकट के समाधान के लिए एक और जेनेवा सम्मेलन का समर्थन किया है. रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है कि जर्मन चांसलर वार्ता में विवाद में लिप्त सभी पक्षों की भागीदारी का समर्थन कर रही हैं.

Angela Merkel
तस्वीर: picture alliance / AP Photo

बुंडेसटाग के सभी संसदीय दलों ने एकमत से यूक्रेन पर एक और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का पक्ष लिया है. विदेश मंत्री फ्रांक-वाल्टर श्टाइनमायर ने शून्यकाल में कहा, "अभी भी विवेक का पलड़ा भारी हो सकता है." उन्होंने कहा कि जर्मनी स्थिति को बिगड़ने से रोकने के लिए हर कूटनैतिक साधन का इस्तेमाल करेगा. "हिम्मत हारना कोई विकल्प नहीं है." सत्ताधारी पार्टियों के अलावा विपक्षी ग्रीन और वामपंथी पार्टी ने भी कूटनैतिक प्रयासों का समर्थन किया, हालांकि हाल के यूरोपीय सुरक्षा व सहयोग संगठन के मिशन पर उनकी राय एक नहीं थी.

प्रस्ताव का समर्थन

उधर रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन का कहना है कि वे विवाद में लिप्त सभी दलों को गोलमेज पर लाने के जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के प्रस्ताव का समर्थन करते हैं. उनके विचार में इसमें पूर्वी यूक्रेन के अलगाववादी भी शामिल होंगे. जर्मन चांसलर की इस तरह की पहल के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं थी. यूक्रेन की सरकार "आतंकवादियों" के साथ बात करने से मना कर रही है.

मॉस्को में ओएससीई के अध्यक्ष दिदिए बुर्कहाल्टर के साथ बातचीत के बाद पुतिन ने पूर्वी यूक्रेन में आजादी के लिए जनमत संग्रह कराने की विवादास्पद योजना को टालने की मांग की. पुतिन ने कहा कि पहले इसके लिए स्थिति तैयार की जानी चाहिए. डोनेत्स्क और लुगांस्क में रूस समर्थक ताकतें 11 मई को जनमत संग्रह करा कर यह तय करना चाहती हैं कि क्या यूक्रेन से अलग होना है. वे स्वतंत्र लोकगणराज्य में तब्दील होना चाहते हैं. अमेरिका की तरह जर्मनी ने भी ऐसे जनमत संग्रह को मान्यता न देने की घोषणा की है.

गृहयुद्ध जैसी स्थिति

पूर्वी यूक्रेन में नियमित रूप से भारी लड़ाई की खबर आ रही है जिनमें बहुत सारे लोगों की मौत हो रही है. बहुत से लोग गृहयुद्ध जैसी स्थिति की बात कर रहे हैं. इन इलाकों में सरकारी सैनिक स्वायत्तता की मांग कर रहे रूस समर्थक विद्रोहियों के खिलाफ अभियान चला रहे हैं. पुतिन ने कीव सरकार से अपना "आतंकवाद विरोधी अभियान" रोकने की मांग की है. अंतरराष्ट्रीय तौर पर भी इस तरह की मांगे होने लगी हैं. मॉस्को जाने से पहले स्विस राष्ट्रपति बुर्कहाल्टर ने भी संघर्ष विराम की मांग की थी. हिंसा की वजह से 25 मई के लिए नियोजित राष्ट्रपति चुनावों के लिए खतरा पैदा होता जा रहा है.

भारत ने भी यूक्रेन में रूस समर्थकों एवं यूक्रेन सरकार के समर्थकों के बीच बढ़ती हिंसा पर गहरी चिंता जताई है और सभी पक्षों से संयम बरतने और संकट का राजनीतिक एवं कूटनीतिक समाधान खोजने की अपील की है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि भारत यूक्रेन में ओडेसा के संघर्ष में इतनी बड़ी तादाद में लोगों की मौत पर शोकाकुल है. यूक्रेन में करीब पांच हजार भारतीय रहते हैं जिनमें से ज्यादातर विद्यार्थी हैं जो मेडिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं.

एमजे/आईबी (डीपीए, वार्ता)

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