यूनीसेफ ने बताया 2016 को सीरियाई बच्चों के लिए सबसे बुरा साल
१३ मार्च २०१७
सीरिया के गृहयुद्ध में 2016 में कम से कम 652 बच्चे मारे गये. देश की भावी पीढ़ी के लिए इसे यूनीसेफ ने आज तक का सबसे बुरा साल बताया है. जिंदा बचे सीरिया के ज्यादातर युवाओं में "टॉक्सिक तनाव" के लक्षण दिख रहे हैं.
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स्कूल, अस्पताल, खेल के मैदान, पार्क या घर - सीरिया में बच्चों की ऐसी कोई भी जगह नहीं बची, जो हिंसक हमलों की शिकार बनने से रह गई हो. संयुक्त राष्ट्र की बाल राहत एजेंसी ने बताया है कि सीरियाई सरकार, उसके विरोधी और इन दोनों पक्षों के समर्थकों ने देश के गृहयुद्ध की हिंसा में युद्ध के नियमों की सरासर अनदेखी की.
यूनीसेफ ने कहा कि पिछले एक साल में ही कम से कम 255 बच्चे स्कूल में या स्कूल के पास मारे गये. इसके अलावा हिंसा प्रभावित इलाकों के करीब 17 लाख छोटे बच्चों को स्कूल छोड़ना पड़ा. इस समय भी सीरिया स्थित हर तीन में से एक स्कूल इस्तेमाल के लायक नहीं है. कई स्कूलों में तो सशस्त्र गुटों ने कब्जा कर रखा है. इसके अलावा करीब 23 लाख सीरियाई बच्चे मध्यपूर्व के किसी और देश में शरणार्थी की जिंदगी जीने को मजबूर हैं.
इडोमेनी के बच्चे
तुर्की से ग्रीस होकर यूरोप में घुस रहे शरणार्थी जगह जगह फंसे हुए हैं. ग्रीक मेसेडोनिया सीमा पर इडोमेनी में शरणार्थी अमानवीय हालत में दिन काट रहे है. बरसात और ठंड में सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों को है.
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गंदगी की जिंदगी
बाल्कान रूट बंद हो गया है. इसका फैसला स्लोवेनिया, सर्बिया और क्रोएशिया ने किया. उत्तरी ग्रीस के इडोमेनी शहर में 10,000 शरणार्थी फंस गए हैं जो अमानवीय परिस्थितियों में रह रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी संस्था के अनुसार कैंप में रहने वाले लोगों में आधे बच्चे हैं.
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बंद सीमा
युद्ध और विभीषिका से भागकर यूरोप पहुंचना मुश्किल होता जा रहा है. यहां तक कि सीरिया के अपेक्षाकृत शांत दमिश्क, लताकिया और होम्स जैसे इलाकों से आने वाले लोग भी अब सीमा पार नहीं कर सकते. शरणार्थियों से वैध दस्तावेजों की मांग की जा रही है.
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खुशी के मौके
हंसते मुस्कुराते बच्चों की चमकती आंखें. ऐसे क्षण तब दिखते हैं जब यहां 'विद्रोही जोकर' आते हैं. उनके आते ही सभी उम्र के बच्चे कतार बांध कर खड़े हो जाते हैं. लेकिन ऐसा कब तक चलेगा. युवा शरणार्थी अपनी हालत के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे हैं.
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खोता बचपन
इन बच्चों के लिए न तो स्कूल की व्यवस्था है और न ही किंडरगार्टनों की. दिन भर उनके करने के लिए कुछ नहीं है. साथ ही गंदगी की वजह से महामारियों का खतरा भी लगातार बढ़ रहा है. यहां दो बच्चों के लिए घिसा पिटा गद्दा ही उनका प्लेग्राउंड हैं.
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पटरियों पर जीवन
बहुत से शरणार्थियों की जिंदगी रेल की उन पटरियों पर गुजर रही है जो ग्रीस से मेसेडोनिया की ओर जाती है. अक्सर बच्चे पास खड़े डब्बों से हाई वोल्टेज बिजली के खंभों में चढ़ते नजर आते हैं. नतीजा जानलेवा दुर्घटनाओं के रूप में सामने आता है.
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लक्ष्यहीनता में कैद
करीब 36,000 शरणार्थी ग्रीस में फंसे हुए हैं. इडोमेनी उनके लिए दरअसल अंतरिम मुकाम है. वहां न तो ग्रीक अधिकारी हैं और न ही यूरोपीय अधिकारी. शरणार्थियों की न्यूनतम जरूरतों को पूरा करने की ज्यादातर जिम्मेदारी गैर सरकारी संगठन उठा रहे हैं.
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जहरीली आग
सर्दी की रातों में ठंड से बचने के लिए शरणार्थियों को अलाव का सहारा लेना पड़ रहा है. लकड़ी के अभाव में वे गर्मी के लिए प्लास्टिक का कचरा जलाते हैं. इससे जहरीला धुंआ निकलता है. अक्सर सांस की तकलीफ के कारण बच्चों का इलाज करना होता है.
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ईयू की योजना
इडोमेनी की बच्चों के लिए एकमात्र उम्मीद है इंतजार. यूरोपीय संघ के देशों ने ग्रीस में फंसे शरणार्थियों की मदद के लिए 70 करोड़ यूरो का इमरजेंसी प्लान बनाया है. ग्रीस का कहना है कि जल्द ही उन्हें 100,000 लोगों की देखभाल करनी होगी.
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डॉक्टरों का गुस्सा
राहत संगठन डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने यूरोपीय संघ की योजना की कड़ी निंदा की है. वे अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी नियमों को तुरंत लागू किए जाने की मांग कर रहे हैं. इसमें यूरोप में वैध रूप से शरण लेने का आवेदन दे सकना भी शामिल है.
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सीरिया युद्ध के छह साल बीत जाने के मौके पर यूनीसेफ ने इन आंकड़ों के साथ अपनी रिपोर्ट पेश की है. जनता की क्रांति से शुरु होकर सीरियाई संकट ने धीरे धीरे गृहयुद्ध का रूप ले लिया. 15 मार्च, 2011 को दक्षिणी सीरिया के शहर दरा में नागरिकों ने उन किशोरों को रिहा करने की मांग के साथ रैली निकाली थी, जिन्होंने अपने स्कूल की दीवार पर सरकार-विरोधी नारे लिखे थे. लोगों ने इन बच्चों को गिरफ्तार कर प्रताड़ना दिए जाने के विरोध में मार्च किया था. आगे चल कर कई और बाहरी देशों के भी सीरिया सरकार और विपक्षी दलों के समर्थन में सशस्त्र संघर्ष में शामिल होने के साथ ही सीरिया युद्ध ने और भी हिंसक शक्ल ले ली. हिंसा में बच्चे सबसे पहले और आसान शिकार बनते हैं.
यूनीसेफ की रिपोर्ट के अनुसार मेडिकल सुविधाओं और यातना के शिकार हुए बच्चों की मदद के अन्य साधनों की कमी के कारण बच्चे बाल मजदूरी, बाल विवाह और लड़ाई के हथियार बनाए जा रहे हैं. 2016 में कम से कम 851 बच्चों को बाल सैनिक बनाए जाने की जानकारी है, जो कि एक साल पहले के मुकाबले दोगुनी है. कई बच्चे तो ऐसी बीमारियों से ग्रस्त होकर जान गंवा रहे हैं, जिनका इलाज आसानी से हो सकता है. हाल ही में अंतरराष्ट्रीय चैरिटी 'सेव द चिल्ड्रेन' ने बताया है कि सीरिया के ज्यादातर युवाओं में "टॉक्सिक तनाव" के लक्षण दिख रहे हैं, जो कि उनके लिए जीवन भर का मर्ज बन सकते हैं. इससे शारीरिक और मानसिक बीमारियां और बुरी लतें लगने की संभावना भी बढ़ जाती है.
आरपी/एमजे (एपी)
एक सहमी बच्ची की स्केचबुक
सीरियाई गृहयुद्ध के चलते अपने घरों से भागने को मजबूर हुए कई लोगों का जीवन त्रासदी का पर्याय बन गया है. छोटे-छोटे बच्चों को भी इस सब से गुजरना पड़ा है. इस स्केचबुक में एक सीरियाई बच्ची ने इन्हीं अनुभवों को उकेरा है.
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घर की तबाही
इस चित्र में लाल शब्दों में लिखा है, ''यह सीरिया है. मौत का भूत. सीरिया से खून बह रहा है.'' चित्र में घरों पर बम बरसाते टैंक हैं, जेट और हेलिकॉप्टर हैं. बच्ची एक कब्र के सामने खड़ी हो शहर की तरफ इशारा कर रही है.
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मौत और निराशा
दूसरे चित्र में बच्ची ने लिखा, ''ये मेरे पिता, मां और मेरे परिवार की कब्र है. ये कब्र है सीरिया के सारे परिवारों की.'' हालांकि इस बच्ची के मां बाप इसके साथ कैंप में हैं लेकिन उसने कई दूसरे लोगों और बच्चों को परिवार से बिछड़ते देखा है.
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बच्चे मर रहे हैं
इस चित्र में एजियन समुद्र पार कर ग्रीस आने की कोशिश में मारे गए बच्चे आयलान कुर्दी को दर्शाया गया है. इस मौत ने दुनियाभर में संदेश दिया था कि शरणार्थी संकट कितना भयावह है.
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वास्तविक त्रासदी
हजारों लोग समुद्री लहरों में समा गए. हजारों बच्चों ने अपना परिवार खो दिया. ये एक खतरनाक यात्रा है. लेकिन युद्धग्रस्त सीरिया से लोग जिंदगी बचाने के लिए भागने को मजबूर हैं.
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उथल पुथल जिंदगी
बच्ची ने इस चित्र में लिखा, ''बच्चों की सारी उम्मीदें, सारे सपने कचरे के डब्बे में जा चुके हैं.'' इनमें से कई बच्चों को उम्मीद है कि वे अपने पिता से मिलेंगे जो उनसे पहले या बाद में सीमा पार कर पाए. उन्हें उम्मीद है फिर से परिवार पाने की.
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खो गए सपने
''बच्चों की यूरोप से उम्मीदें भी खो गई हैं.'' बच्ची अपने अगले चित्र में जोड़ती है. अस्थाई शिविरों में कई बच्चे यूरोप में एक सुकून की जिंदगी बिताने के सपने देख रहे हैं लेकिन अभी कुछ भी तय नहीं.
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बुरे हालात में
इस चित्र में बच्ची ने एक शरणार्थी शिविर में लोगों की एक बैठक दिखाई है. ग्रीक में मौजूद यह शिविर सबसे बड़ा शरणार्थी शिविर है मगर यह स्थायी नहीं है और ना ही आधिकारिक है. यहां का जीवन बहुत कठिन है. बच्ची ने इसे नाम दिया,, ''एक बैठक बुरे हालात में.''
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कैंप एक कब्रगाह
जब से इस संकट की शुरूआत हुई है इससे जूझ रहे और इसे करीब से देख रहे लोगों का कहना है कि यूरोप इस संकट से गलत ढंग से निपट रहा है. और यह बात एक दिन इतिहास की किताबों में दर्ज की जाएगी.
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कैंप की भूख
अधिकतर शरणार्थियों ने सीमा पार करने के लिए वो सबकुछ बेच दिया. इस अस्थायी शिविर में होने का मतलब ही यह है कि उनके पास कुछ नहीं है. कोई विकल्प नहीं. इस चित्र में एक महिला अपनी बेचारगी पर रो रही है और एक पुरूष अपनी खाली जेब दिखा रहा है.
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ये बच्चे, बच्चे होना चाहते हैं
यह 10 साल की बच्ची उन बच्चों में से एक है जिन्होंने छोटी सी उम्र में दहला देने वाले अनुभव झेले हैं. डॉक्टर्स विदाउट बोर्डर्स की मनोचिकित्सक एगेला बोलेत्सी कहती हैं ''ये बच्चे सामान्य जीवन की तलाश में हैं. वे महसूस करना चाहते हैं कि वे बच्चे हैं.''