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यूपीए में कोई संकट नहीं: सोनिया

१० मार्च २०१०

भारत में महिला आरक्षण बिल राज्यसभा में पास होने और इस दौरान सहयोगी पार्टियों से मनमुटाव के बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा है कि सरकार और यूपीए के स्थायित्व पर कोई संकट नहीं है.

तस्वीर: UNI

सोनिया गांधी ने विधेयक पास होने के बाद बेहद ख़ुश होते हुए कहा कि उन्हें ज़्यादा ख़ुशी होती कि अगर उनके पुराने सहयोगी साथ होते. सोनिया ने कहा, "काश, वे हमारे साथ बने होते. लेकिन मैं कोई ज्योतिषी नहीं हूं जो इस बात को बता सकूं."

सोनिया से जब यह पूछा गया कि आरजेडी और समाजवादी पार्टी के साथ छोड़ देने के बाद क्या उन्हें यूपीए और सरकार की स्थिरता पर भरोसा है, तो कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हां, उन्हें पक्का यक़ीन है. जब उनसे लोकसभा में बिल को पास कराने के बारे में पूछा गया तो सोनिया ने कहा कि हमें उम्मीद बनाए रखना चाहिए.

तस्वीर: AP

ममता बनर्जी ने भी बिल को लेकर कुछ सवाल खड़े किए हैं. इस बारे में जब सोनिया से पूछा गया तो कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, "मंत्रिमंडल में जब यह बिल पेश किया गया, तो ममता बनर्जी पूरा साथ दे रही थीं. डीएमके भी साथ थी और उन्होंने प्रधानमंत्री को बधाई भी दी थी. हर किसी ने इसका साथ दिया था. यूपीए के अंदर मैं किसी तरह की समस्या नहीं देखती हूं."

सोनिया ने कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक को लेकर किसी तरह के दबाव में नहीं आएगी. यूपीए में किसी तरह के संकट को दरकिनार करते हुए सोनिया ने कहा, "मैं कोई संकट नहीं देख रही हूं. रास्ते में कोई अड़चन नहीं आने वाली है." सोनिया ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के दफ़्तर में मंगलवार को पार्टी के कोर ग्रुप की बैठक हुई और वही सबसे अहम साबित हुई.

जब उनसे पूछा गया कि क्या यह उनकी ख़ुद की मेहनत का नतीजा है, तो सोनिया गांधी ने कहा, "यह तो राजीव गांधी का सपना था. इसमें सबका योगदान रहा है. लेफ़्ट ने हमें पूरा समर्थन दिया. बीजेपी तक ने हमारा साथ दिया."

बीएसपी ने महिलाओं को 50 फ़ीसदी आरक्षण देने की मांग की है. इस बाबत पूछे जाने पर कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यह विधेयक देश की महिलाओं के आगे बढ़ने के सिलसिले में बड़ा क़दम है. सोनिया ने हामिद अंसारी के क़दम को बिलकुल ठीक क़रार दिया, जिसके तहत सात सांसदों को सस्पेंड किया गया था. सोनिया ने कहा कि कई ऐसे मौक़े आते हैं, जब अध्यक्ष को इस तरह के फ़ैसले लेने होते हैं.

रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल

संपादनः प्रिया एसेलबॉर्न

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