1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

यूपी की महिलाओं की हेल्प लाइन 1090

१६ नवम्बर २०१२

तहजीब और अदब के लिए मशहूर लखनऊ में महिलाओं से छेड़खानी के खिलाफ राज्य सरकार ने मुहिम छेड़ी. हालांकि कम ही लोगों ने इसका स्वागत किया.पर महिलाएं उत्साहित हैं. नई सेवा को वीमेन पावर लाइन 1090 नाम दिया गया है.

तस्वीर: DW

उत्तर प्रदेश में छेड़खानी के मामले जब तब खबरें बना करती हैं. हाल ही में एक आईएएस अफसर लखनऊ मेल में लड़की से छेड़खानी करते पकड़ा गया. बाद में इसका वीडियो यूट्यूब पर आ गया, जिसे हजारों लोगों ने देखा. बाद में पड़ोसियों की तंज से तंग आकर उस लड़की ने एक दिन पड़ोसी की मोटरसाइकिल तोड़ दी और उसमें आग लगा दी.

कुछ दिन पहले लखनऊ को तब भी शर्मसार होना पड़ा जब एक सेमिनार में हैदराबाद से आई एक प्रोफ़ेसर की चेन खींच ली गई. इससे पहले उन्होंने दिन भर अवध की सभ्यता और संस्कृति की तारीफ की थी. एक विदेशी महिला सैलानी के साथ यूपी पुलिस के सिपाही की अभद्रता भी दुनिया भर में लखनऊ का नाम कर चुकी है.

तस्वीर: DW

हालांकि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं पर होने वाले अपराध के मामले में यूपी का तीसरा नंबर है. पहला आंध्र प्रदेश और दूसरा पश्चिम बंगाल का है. यूपी में इन आकड़ों का प्रतिशत 10.1 है तो आंध्र प्रदेश का 32.4 और पश्चिम बंगाल का 29 फीसदी. छेड़खानी के मामलों में मध्य प्रदेश ने बाजी मार रखी है, जहां 2010 में ऐसे 6,646 मामले दर्ज हुए. इसमें भी यूपी पांचवें नंबर पर है.

छेड़खानी बड़ी समस्या बनती जा रही है. यूपी के नौजवान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी इस तरफ गंभीर दिख रहे हैं. राज्य सरकार ने 2.90 करोड़ रुपये लगा कर 484 सरकारी प्राथमिक स्कूलों में छात्राओं को 20 अक्तूबर से जूडो-कराटे सिखाना शुरू किया है. कानपुर में सैकड़ों लड़कियों ने छेड़खानी से तंग आकर स्कूल जाना बंद कर दिया था. चार महिला डिग्री कॉलेजों ने ड्रेस कोड लागू कर छात्राओं के जींस पहनने पर रोक लगा दी. इलाहबाद में 'शक्ति' वैन चलाई गई. मेरठ में 'लव सेना' ने इन शोहदों के खिलाफ मोर्चा लिया लेकिन छेड़खानी न रुकी.

यूपी सरकार का दावा है कि वीमेन पावर लाइन में शिकायत करने वाले की पहचान गोपनीय रखी जाएगी. फोन पर महिला पुलिसकर्मी ही होंगी. 250 लेडी कांस्टेबलों को इस काम के लिए तैनात किया गया है. इनमें से 47 को अमेरिकन इंग्लिश सेंटर में इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स के बाद एक अन्य संस्थान में एटिकेट्स, मैनर्स और बातचीत की तमीज सिखाई गई है. शिकायत करने वाली महिला को पुलिस थाने नहीं बुलाया जाएगा. बहुत जरूरी हुआ तभी ये पुलिसकर्मी अपने वरिष्ठ पुरुष पुलिसकर्मियों को छेड़खानी की शिकार महिला के बारे में जानकारी देंगी, वह भी सिर्फ उतनी, जिससे कि जांच हो सके.

यही है वह 'सवाल का निशान' जिसे आप तलाश रहे हैं. इसकी तारीख 16,17,18/11 और कोड 8246 हमें भेज दीजिए ईमेल के ज़रिए hindi@dw.de पर या फिर एसएमएस करें +91 9967354007 पर.तस्वीर: Fotolia/Stauke

हेल्पलाइन के सॉफ्टवेयर को इस तरह डिजाइन किया गया है कि इसकी कोई सूचना कॉपी नहीं की जा सकती. छेड़खानी रोकने के लिए दो चरणों में काउंसिलिंग होगी. नहीं सुधरे तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. इस प्रोजेक्ट के प्रभारी और डीआईजी नवनीत सिकेरा के मुताबिक रैंडम एक्सरसाइज में हमने 76 लड़कों की काउंसलिंग की, जिनमें से 75 सुधर गए. उन्होंने वादा किया कि अब वे किसी को भी गंदे एसएमएस नहीं भेजेंगे. उन्होंने कहा, "लेकिन हमने उनको खुला नहीं छोड़ा है. उनकी निगरानी की जा रही है. काउंसलिंग के बाद इनमें से किसी ने भी ऐसी वैसी कोई हरकत नहीं की है. मकसद भी यही है. अगर हम सबको पकड़ कर जेल भेजने लगेंगे तो जेलें भर जाएंगी और किसी का भला नहीं होगा."

अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति एडवा की यूपी सचिव मधु गर्ग इस हेल्पलाइन से उत्साहित नहीं हैं. वो यूपी पुलिस के महिला थानों की बदहाली का उदाहरण देते हुए कहती हैं कि "इनमें तैनात महिला पुलिसकर्मी उलटे पीड़ित महिला को पुरुष की आज्ञाओं का पालन करने की सीख देती हैं. इन थानों में संसाधन नहीं हैं. महिला पुलिसकर्मी उलटे पैसे मांगती हैं कि गाड़ी लाओ तो चलें. जब ये थाने खुले थे तब बड़ी उम्मीद बंधी थी. वैसे ही इससे भी उम्मीद है." वनांगना की संस्थापक माधवी वीमेन पावर लाइन को समय की जरूरत बताती हैं. उनके मुताबिक फोन से होने वाली छेड़खानी को रोकने के लिए ये अच्छा कदम है.

पावर लाइन में तैनात की गईं ज्योति वर्मा और अनुप्रीत खुद को खुशनसीब मानती हैं. अर्चना मेहता, पारुल समेत लगभग सभी लेडी पुलिसकर्मी ग्रामीण परिवेश की हैं लेकिन अब "आई डू.. वेलकम इन पावर लाइन.." जैसी इंग्लिश बोलकर खूब खिलखिला रही हैं.

ज्यादातर स्वीकार करती हैं कि कुछ दिन पहले तक उन्हें "इज-वाज़" में फर्क नहीं पता था. ये सब सिपाही होने के बावजूद खाकी वर्दी न पहनने से भी खुश हैं. एक ने नाम नहीं बताया पर खुश है इस बात पर कि "कालेज में जिस समस्या ने उसे बहुत परेशान किया आज उसी को दूर करने का काम उसे मिला."

रिपोर्टः सुहैल वहीद, लखनऊ

संपादनः ए जमाल

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें
डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें