उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी बसपा नेता मायावती को अपने लिए सबसे बड़ा खतरा मान रही है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब भी बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मिलते हैं तो कई बार एक ही सवाल पूछते हैं, "बहनजी क्या सोच रही हैं?" उत्तर प्रदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बहुत अहम है. वो न सिर्फ राज्य की बनारस संसदीय सीट से सांसद हैं, बल्कि आम चुनाव में पार्टी ने राज्य की 80 में से 73 सीटें जीती थीं. लेकिन मायावती की बहुजन समाज पार्टी उत्तर प्रदेश में भाजपा को तगड़ी चुनौती दे रही है. मोदी सरकार में मंत्री संजीव बालियान कहते हैं, "मायावती हमारी जीत के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं.”
वो कहते हैं, "जो भी उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनता है, वो देश में प्रधानमंत्री के बाद सबसे ताकतवार राजनीतिक नेता होता है.” हालांकि 2014 के आम चुनावों में बसपा को यूपी में एक भी सीट नहीं मिली थी. लेकिन इस बार मायावती दलितों और मुसलमानों का गठजोड़ बनाने की हर मुमकिन कोशिश में जुटी हैं. कथाकथित गोरक्षकों ने मुसलमान और दलित, दोनों समुदाय के लोगों को निशाना बनाया है. गोमांस और दलितों पर हमलों की घटनाओं के कारण भी जहां भारतीय जनता पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है, वहीं बसपा इन मुद्दों के सहारे जनमत को अपने पक्ष में करना चाहती है.
देखिए कहां कहां चूके मोदी
कहां-कहां चूके मोदी
पहले दो साल में मोदी सरकार ने जमकर सुर्खियां बटोरी हैं. लेकिन ये सुर्खियां विवादों की वजह से ज्यादा रहीं. गिनती में तो ये विवाद बहुत ज्यादा हैं, लेकिन अभी जिक्र 10 सबसे बड़े विवादों का.
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आईआईटी में संस्कृत
इसी साल अप्रैल में शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी ने लोकसभा में कहा कि आईआईटी से संस्कृत पढ़ाने को कहा गया है. इस प्रस्ताव का देशभर में विरोध हुआ. सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि एचआरडी मिनिस्ट्री का नाम बदलकर हिंदू राष्ट्र डेवलपमेंट मिनिस्ट्री कर दिया जाना चाहिए.
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प्रधानमंत्री की डिग्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बीए और एमए की डिग्रियों को लेकर देश में जमकर विवाद हुआ. प्रधानमंत्री की शिक्षा पर एक आरटीआई का जवाब न मिलने से यह विवाद शुरू हुआ. आम आदमी पार्टी का दावा है कि उनकी डिग्री फर्जी है. अरुण जेटली और अमित शाह को सामने आकर सफाई देनी पड़ी.
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उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन
9 कांग्रेसी विधायकों के बागी होने पर इसी साल मार्च में केंद्र सरकार ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया. हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार के इस फैसले को गलत करार दिया. मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बहुमत साबित करके फिर से सरकार बना ली.
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कन्हैया विवाद
फरवरी 2016 में जेएनयू छात्र संगठन के अध्यक्ष कन्हैया को राजद्रोह का आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया गया. इसके विरोध में देशभर में प्रदर्शन शुरू हो गए. दो और छात्रों को गिरफ्तार किया गया. शिक्षा मंत्री ने दखल देने से इनकार कर दिया. बाद में तीनों छात्र जमानत पर रिहा हुए.
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हैदराबाद यूनिवर्सिटी विवाद
शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी की पांच चिट्ठियों के बाद दलित छात्रों पर हैदराबाद यूनिवर्सिटी ने कार्रवाई की और पांच छात्रों को सस्पेंड कर दिया. उनमें से एक रोहित वेमुला ने खुदकुशी कर ली. दलित स्कॉलर वेमुला की मौत ने देशभर में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला छेड़ दिया.
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अरुणाचल संकट
बीते साल दिसंबर में अरुणाचल की कांग्रेस सरकार से कुछ बागी विधायकों ने समर्थन वापस ले लिया. सरकार गिर गई. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि राज्यपाल की मदद से केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को अस्थिर किया. बाद में बागी विधायकों ने बीजेपी की मदद से सरकार बना ली.
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असहिष्णुता और सम्मान वापसी
देश में बढ़ती असहिष्णुता का आरोप लगाकर देश के कई जानेमाने लेखकों, कलाकारों, कवियों, वैज्ञानिकों और फिल्मकारों ने अपने-अपने सम्मान लौटा दिए. जिसके बाद देश में ऐसा विवाद खड़ा हुआ कि बंटवारा स्पष्ट नजर आने लगा.
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ललित मोदी के संबंध
केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के भगोड़े ललित मोदी की मदद करने की बात सामने आने के बाद केंद्र सरकार विवादों में घिर गई. सुषमा स्वराज ने कहा कि उन्होंने मानवीय आधार पर मदद की. इसके बाद कई हफ्तों तक संसद ठप रही.
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गोमांस पर बैन
बीते साल हरियाणा और महाराष्ट्र में गोहत्या को लेकर कड़े कानूनों के लागू होने का काफी विरोध हुआ. यहां तक कि यह मुद्दा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चित रहा. बीजेपी के कई नेताओं और केंद्र सरकार के मंत्रियों के भी बयान आए.
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10 लाख का सूट
बीते साल जनवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा के दौरान उनसे मुलाकात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो सूट पहना उस पर उनका नाम लिखा था. ऐसे आरोप लगे कि यह सूट 10 लाख रुपये में बना है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया और सूट-बूट की सरकार कहकर तीखे बाण चलाए.
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मायावती अपनी रैलियों में देश में सांप्रदायिक ताकतों के मजबूत होने की बातें बार बार कह रही हैं. साथ ही वो दलितों को लुभाने की भारतीय जनता पार्टी की कोशिशों पर भी सवाल उठाती हैं. एक रैली के दौरान उन्होंने कहा, "मैं प्रधानमंत्री से पूछना चाहती हूं... दलित लड़के और लड़कियों के लिए नौकरी कहां हैं? वो कभी हमारी समस्याओं को नहीं समझ सकते.”
मायावती के सिपहसालार कहे जाने वाले सतीश मिश्रा का आरोप है कि मोदी के शासन में दलित और मुसलमान बिल्कुल सुरक्षित नहीं हैं. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात के ऊना में दलितों युवकों की पिटाई ने पूरे देश में दलित आंदोलन नई ऊर्जा दी है. इसका फायदा मायावती उठाना चाहती हैं.
देखिए दलितों की नई आवाज: चमार पॉप
चमार पॉप: दलितों की नई आवाज
पंजाब की गिन्नी माही उभरती हुई गायिका हैं. लेकिन उनके गीत खास हैं जो भारत में जातिवाद पर चोट करते हैं और दलितों के हक की आवाज उठाते हैं.
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संगीत बना माध्यम
17 साल की गिन्नी का नाता पंजाब से है और अपने गीतों के जरिए वह निचली कही जाने वाली चमार जाति के लोगों के अधिकारों की आवाज को बुलंद कर रही हैं.
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बिरादरी का मान
माही कहती हैं, "मैं चाहती हूं कि मेरी बिरादरी का मान बढ़े और उसे पूरी दुनिया में जाना जाए.”
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प्रेरणा
दलितों के मसीहा कहे जाने वाले डॉ. अंबेडकर को गिन्नी माही अपनी प्रेरणा मानती हैं और उन्हीं के पदचिन्हों पर चलना चाहती हैं.
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लोकप्रियता
यूट्यूब पर उनके वीडियो पसंद किए जा रहे हैं. सितंबर में ही उन्होंने दिल्ली में अपनी पहली परफॉर्मेंस दी, जिसे खूब पसंद किया गया.
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भेदभाव
जागरूकता फैलाने के प्रयासों के बावजूद भारत में दलितों के साथ भेदभाव और हिंसा की खबरें अकसर आती रहती हैं.
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मीडिया में हिस्सेदारी
दलित कार्यकर्ताओं का कहना है कि मुख्यधारा के मीडिया में उन्हें उचित स्थान नहीं दिया जाता. इसलिए इन दिनों दलितों की अपनी कई पत्रिकाएं और पत्र भी प्रकाशित हो रहे हैं.
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दलित फूड्स
दलित विचारक चंद्रभान प्रसाद ने हाल में दलित फूड्स के नाम से खाद्य उत्पादों की एक सीरिज शुरू की है. वो दलितों में उद्यमशीलता बढ़ाने पर जोर देते हैं.
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बंद हो जुल्म
गिन्नी माही कहती है कि दलितों पर होने वाले जुल्म बंद होने चाहिए. पंजाब में जनसंख्या अनुपात के हिसाब से दलितों की सबसे ज्यादा आबादी है.
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लेकिन दूसरी तरफ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को भरोसा है कि वो पारंपरिक सवर्ण वोटों के साथ साथ दलित और पिछड़ों के बीच पार्टी के लिए समर्थन जुटा सकते हैं. इसी रणनीति के तहत केशव प्रसाद मौर्य को भाजपा की राज्य ईकाई का अध्यक्ष बनाया गया जबकि भाजपा को उम्मीद है कि बसपा से आए स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे नेताओं के कारण भी उसे फायदा होगा. बताता जाता है कि बीते 24 महीनों में अमित शाह ने 150 से ज्यादा बार उत्तर प्रदेश का दौरा किया है.
लेकिन मायावती के तेवरों से साफ है कि भाजपा के लिए लड़ाई आसान नहीं होगी. उत्तर प्रदेश में दलितों की आबादी 22 फीसदी है जबकि मुसलमान 19 फीसदी. हालांकि मोदी ने गोरक्षकों के हमलों का कई बार विरोध किया है, लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बराबर उनकी पीठ थपथपाई है. इसलिए मोदी के बयानों से पार्टी को होने वाले नुकसान की भरपाई होगी, ऐसा लगता नहीं है.