योगी आदित्यनाथ सरकार ने 2019 में उन्हें नौकरी के लिए फर्जी कागजात का इस्तेमाल करने को लेकर बर्खास्त कर दिया गया था और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. इनमें से एक जेल में है, एक को जमानत मिल गई है, जबकि बाकी चार फरार हैं.
इससे पहले भी बहराइच में चार शिक्षकों से 95 लाख रुपये वसूलने के लिए इसी तरह के कदम उठाए गए थे.
श्रावस्ती जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) ओमकार राणा द्वारा उन्हें नोटिस जारी किया गया था.
उन्होंने छह शिक्षकों को नोटिस जारी किया है, जिसमें एटा के मनोज कुमार (4.8 लाख रुपये), फिरोजाबाद के राम कुमार (13.6 लाख रुपये), संत कबीर नगर के शोभनाथ (33.3 लाख रुपये), गोरखपुर के राजीव उपाध्याय (33.4 लाख रुपये), बलरामपुर के कन्हैया सिंह (32.7 लाख रुपये) और बहराइच के अजीत कुमार शुक्ला (19.1 लाख रुपये) शामिल हैं.
राणा ने कहा, "इन सभी छह शिक्षकों को पिछले साल फर्जी दस्तावेजों के साथ काम करते हुए पकड़ा गया था, जिसके बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी."
अधिकारियों के अनुसार, छह शिक्षकों में से एक अजीत शुक्ला ने नौकरी पाने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) का एक नकली प्रमाण पत्र तैयार किया था. उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था और बाद में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन वर्तमान में वह जमानत पर है.
राणा ने कहा, "राम कुमार 2004-05 बीएड डिग्री घोटाले से जुड़ा है, जिसमें उम्मीदवारों ने आगरा विश्वविद्यालय के नाम पर फर्जी डिग्री का इस्तेमाल किया था. अन्य को नकली दस्तावेजों का उपयोग करने के विभिन्न मामलों के कारण प्रतिबंधित कर दिया गया था. बाकी बचे पांच में से शोभनाथ सलाखों के पीछे है, जबकि चार फरार हैं."
आईएएनएस
भारत में भ्रष्टाचार का मुद्दा राजनीति के केंद्र में है. यूपीए सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी रही. फिर भ्रष्टाचार मुक्त शासन के वादे के साथ मोदी सरकार सत्ता में आयी. एक नजर भारत के अब तक के महाघोटालों पर.
तस्वीर: APयूपीए टू के समय सामने आया कोलगेट घोटाला 1993 से 2008 के बीच सार्वजनिक और निजी कंपनियों को कम दामों में कोयले की खदानों के आवंटन का था. कैग (सीएजी) की ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया था कि गलत आवंटन कर इन कंपनियों को 10,673 अरब का फायदा पहुंचाया गया था. इस घोटाले ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की छवि पर नकारात्मक असर डाला. हालांकि अदालत में यह घोटाला साबित नहीं हुआ.
तस्वीर: Reuters/B. Mathurकंपनियों को गलत तरह से टूजी स्पैक्ट्रम आवंटित करने का यह महाघोटाला भी यूपीए सरकार के समय का है. कैग के एक अनुमान के मुताबिक जिस कीमत में इन स्पैक्ट्रमों को बेचा गया और जिसमें इसे बेचा जा सकता था उसमें 17.6 खरब रूपये का अंतर था. यानि देश को लगा कई खरब का चूना लगा. लेकिन अदालत में सीबीआई इसको साबित नहीं कर सकी. अदालत ने कहा कि कोई घोटाला ही नहीं हुआ.
तस्वीर: picture alliance/dpaभाजपा शासित मध्यप्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल की ओर से मेडिकल समेत अन्य सरकारी क्षेत्रों की भर्ती परीक्षा में धांधली से जुड़ा 'व्यापमं घोटाला' अब तक का सबसे जानलेवा घोटाला है. अब तक इससे जुड़े, इसकी जांच कर रहे या इस की खबर लिख रहे पत्रकारों समेत दर्जनों लोगों की रहस्यमयी तरीके से मौत हो चुकी है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaस्वीडन की हथियार निर्माता कंपनी बोफोर्स के साथ राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के तोपों की खरीद के सौदे में घूसखोरी का ये घोटाला भारतीय राजनीति का सबसे चर्चित घोटाला है. 410 तोपों के लिए कंपनी के साथ 1.4 अरब डॉलर का सौदा किया गया जो कि इसकी असल कीमतों का दोगुना था. अदालत ने राजीव गांधी को इस मामले से बरी कर दिया था.
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