यूपी में 19 महिलाओं को बस चलाने के लिए मिलेगा प्रशिक्षण
२४ फ़रवरी २०२१
महिलाएं स्कूटर भी चलाती हैं और कार भी लेकिन अगर वे सार्वजनिक परिवहन को संभालें, तो आज भी लोगों को हैरत होती है. उत्तर प्रदेश में महिलाओं को बसें चलाने के लिए ट्रेनिंग दी जा रही है.
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पहली बार कई महिलाओं को उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम द्वारा संचालित बसों को चलाने के लिए सूचीबद्ध किया गया है. यूपीएसआरटीसी मॉडल ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रिंसिपल एसपी सिंह ने कहा, "यूपी में पहली बार महिला बस ड्राइवरों को प्रशिक्षित करने की प्रक्रिया शुरू की गई है." उन्होंने कहा, "जिन 19 महिलाओं को योग्य पाया गया है, वे सात महीने के बेसिक प्रशिक्षण से गुजरेंगी, जिसके बाद वे एडवांस ट्रेनिंग मॉड्यूल के हिस्से के रूप में डिपो में 17 महीने की प्रोबेशन पर होंगी."
कौशल भारत मिशन के तहत 18 से 34 वर्ष की उम्र की महिलाएं, जिन्होंने कक्षा 8 तक पढ़ाई की है, कम से कम 160 सेंटीमीटर (लगभग 5 फुट 3 इंच) लंबी हैं और जिनके पास हल्के मोटर वाहनों के लिए लर्नर परमिट है, उन्हें भर्ती किया जा सकता है. बेसिक ट्रेनिंग नि:शुल्क है. प्रोबेशन के दौरान भोजन और आवास उन्हें राज्य सरकार द्वारा मुहैया कराया जाएगा. दो साल के कार्यक्रम के अंत में उन्हें एक भारी मोटर वाहन चलाने का लाइसेंस मिलेगा.
पहले बैच का प्रशिक्षण मार्च में शुरू होगा. एक बार भर्ती होने के बाद, महिलाएं पिंक एक्सप्रेस बसों में चालक होंगी. इन वातानुकूलित बसों में सुरक्षा के लिए व्हिकल ट्रैकिंग सिस्टम और सीसीटीवी कैमरे हैं. सिंह ने कहा, "यूपीएसआरटीसी के पास 50 ऐसी पिंक बसें हैं जो अब तक पुरुषों द्वारा संचालित हैं. शुरू में नई प्रशिक्षित महिलाओं को इन बसों को संभालने के लिए कहा जाएगा. वे आखिरकार बसों को उसी तरह से चलाएंगी जैसा निर्धारित है. यह सुरक्षित रूप से और महिला द्वारा संचालित होगा."
जब यूपी में महिलाओं के लिए पिंक एक्सप्रेस बस सेवा शुरू की गई थी, तब राज्य में एक अजीब समस्या थी. यह सेवा महिलाओं के लिए एक सुरक्षित यात्रा विकल्प प्रदान करने के लिए थी, जिसमें केवल महिला कर्मचारी थीं. लेकिन जब उन्हें कंडक्टर और सहायक कर्मचारी मिल गए, तो कोई सर्टिफाइड महिला बस चालक नहीं थी.
भारत में सरकारी नौकरी पाने की चाहत रखने वाली महिलाओं की हिस्सेदारी तो बढ़ी है, लेकिन नौकरी पाने की संख्या बेहतर स्थिति में नहीं है. जानिए क्या है महिलाओं की नौकरी की पाने की असल स्थिति.
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महिलाओं का प्रतिनिधित्व
स्टाफ सेलेक्शन बोर्ड सबसे अधिक सरकारी नौकरी देने वाली संस्था है. सेंट्रल सर्विस के तहत ग्रेड सी और ग्रेड डी की नौकरियों के लिए एसएससी ही परीक्षा आयोजित करती है. इसकी ओर से आयोजित सभी परीक्षाओं में कुल आवेदकों में 30.52 फीसदी महिलाएं हैं.
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कितनी नौकरी मिलीं
आंकड़ों के मुताबिक कुल 1,22,98,827 लोगों ने एसएससी की परीक्षा के लिए आवेदन किए. इनमें 37,53,096 महिलाओं ने आवेदन किए. लेकिन कुल आवेदन में इनका जो हिस्सा है उस हिसाब से सफलता इन्हें नहीं मिली. सिर्फ 1,767 महिलाओं को ही नौकरी मिल पाई.
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आवेदक ज्यादा, नौकरी कम
आंकड़ों के मुताबिक एसएससी की परीक्षाओं के लिए 1 करोड़ 22 लाख 98 हजार से अधिक लोगों ने आवेदन किए लेकिन 14,098 नौकरियां ही दी गईं, जिनमें 1,767 महिलाएं शामिल थीं.
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लंबी लड़ाई
दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का कहना है कि 2019 में सिर्फ 20 प्रतिशत महिलाओं के पास नौकरी थी या वे नौकरी की तलाश में थीं. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी ने नवंबर 2020 में नौकरियां और अन्य अवसरों में शहरी महिलाओं की हिस्सेदारी 7 प्रतिशत बताई थी.
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महामारी की मार
कोरोना वायरस महामारी के दौरान महिलाओं को नौकरियां गंवानी पड़ी. नौकरियों में उनकी वापसी बहुत देर से हुई. स्कूलों के बंद होने के कारण महिला टीचरों की नौकरी भी गईं और उनका वेतन आना बंद हुआ.
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घर का बोझ
महिलाओं के सामने दोहरी चुनौती होती है. घर संभालने के साथ-साथ करियर को भी बनाना पड़ता है. कई बार उन्हें परिवार और नौकरी के बीच में किसी एक को चुनने का कठिन विकल्प भी सामने आ जाता है. कोरोना महामारी के दौर में देश में करीब चार लाख पचास हजार से अधिक स्कूल बंद हो गए थे लेकिन अब यह खुल रहे हैं. इस दौरान कई महिला टीचरों की नौकरी चली गई.
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दुनिया में महिलाओं की हालत
पिछले साल आई वर्ल्ड वुमन 2020 रिपोर्ट के मुताबिक विश्व में आधी से कम महिलाओं के पास नौकरियां हैं. वर्ल्ड वुमन 2020 रिपोर्ट में पाया गया था कि दुनिया ने महिलाओं के अधिकारों और आर्थिक सशक्तीकरण के मामले में मामूली उपलब्धि हासिल की और रोजगार और घरेलू हिंसा के खिलाफ जो उपाय 25 साल पहले रिपोर्ट में सुझाए गए थे उसके बाद से स्थिति में सुधार नहीं हुआ.