यूरोजोन से कोई नहीं निकलेगा
५ जुलाई २०१३चांसलर मैर्केल यह जरूर मानती हैं कि यूरोप मुद्रा का इस्तेमाल कर रहे देशों के सामने चुनौती बहुत बड़ी है. समाचार एजेंसी डीपीए से बातचीत में मैर्केल ने कहा, "हम काफी दूर तक चल कर आए हैं लेकिन अभी बहुत सी समस्याएं सुलझानी हैं." मैर्केल के मुताबिक मौजूदा कर्ज संकट से उबरना एक लंबी प्रक्रिया है जिसके लिए बहुत से उपाय करने और कदम उठाने की जरूरत पड़ेगी. हालांकि इसके बाद भी उन्होंने ऐसी किसी आशंका से इनकार किया कि इस संकट के केंद्र में जो देश हैं उन्हें यूरोजोन से बाहर किया जा सकता है. मैर्केल ने साफ साफ कहा, "नहीं मैं ऐसा कुछ नहीं देखती, हम सबको साझे यूरोप की जरूरत है."
इसी साल सितंबर में अंगेला मैर्केल को चुनाव का सामना करना है. हालांकि उन्होंने जोर दे कर कहा कि यूरोप के बारे में उनके फैसलों का चुनाव के मौके से कोई लेना देना नहीं है. मैर्केल ने कहा, "अगर चुनाव एक साल पहले या एक साल बाद होने हो तब भी यूरोप के बारे में मेरा एक भी फैसला नहीं बदलेगा."
मैर्केल ने कहा कि यूरोपीय संघ ने नगद की कमी से जूझ रहे ग्रीस और पुर्तगाल जैसे यूरोजोन के देशों को अपना घाटा और कर्ज घटाने के लिए थोड़ा और समय दे कर उचित फैसला किया है. इन देशों की समस्या इतने बड़े स्तर की है कि उसने यूरो को खतरे में डाल दिया है. जर्मन चांसलर का मानना है कि संकट से जूझ रहे देशों को अपनी वित्तीय हालत को ठोस आधार देने के अलावा आर्थिक विकास और रोजगार को बढ़ावा देने वाले नए और टिकाऊ उपायों को अपनाना होगा. जर्मन चांसलर के मुताबिक, "यूरोप में हर देश के सामने यह सवाल है कि वह भविष्य में खुद को कैसे पैसा बनाते देखेगा और वह समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए क्या करना चाहता है."
जर्मनी समेत यूरोपीय देशों के बारे में अमेरिका की जासूसी का सवाल इन दिनों बहुत गर्म है और अंगेला मैर्केल ने राष्ट्रपति बराक ओबामा से इस बारे में विस्तार से बात की है. मैर्केल ने बताया कि अगले कुछ हफ्तों के भीतर जर्मनी और अमेरिका के मंत्रियों की वॉशिंगटन में मुलाकात होगी और इस दौरान इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा होगी. मैर्केल ने यह भी कहा कि इस बारे में लोगों को बताया जाएगा, "कई सवाल अब भी खुले पड़े हैं और जैसे ही उनके बारे में कुछ स्पष्ट जानकारी मिल जाती है हम उनका जवाब देने की कोशिश करेंगे. जो कुछ भी लोगों को बताया जाना चाहिए वह हम लोगों को बताएंगे."
मैर्केल ने अगले चुनावों के बाद भी जर्मनी का चांसलर बने रहने की उम्मीद जताई है, "मैं चांसलर बने रहना चाहती हूं और अगले पूरे संसदीय कार्यकाल के लिए इस काम में लगे रहना चाहती हूं क्योंकि मुझे हमारे आगे कई चुनौतियां दिख रही हैं."
एनआर/एजेए (डीपीए)