यूरोपीय अदालत ने कहा है कि शरणार्थियों की लैंगिक रुझान तय करने के लिए मनोवैज्ञानिक टेस्ट करना गैरकानूनी है. ये फैसला उन देशों से भागे शरणार्थियों पर दिया गया है जहां समलैंगिकता अवैध है.
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हंगरी के आव्रजन आधिकारियों ने देश में शरण चाहने वाले एक नाइजीरियाई व्यक्ति का मनोवैज्ञानिक परीक्षण सिर्फ इसलिए कराया था क्योंकि उन्हें उसके "गे" होने पर शक था. लेकिन अब अदालत ने अधिकारियों द्वारा कराए गए इस परीक्षण को गलत माना है. अदालत ने अपने आदेश में इस तरह के परीक्षण को "असंगत" कहा. साथ ही यह भी कहा कि यह किसी भी व्यक्ति के जीवन के बेहद ही अंतरंग पहलू में दखल है.
किस देश में रहते हैं सबसे ज्यादा विदेशी लोग
दुनिया में ऐसे लोगों की तादाद लगातार बढ़ रही है जो अपने जन्म के देश में नहीं रहते. कई देशों में तो स्थानीय लोगों की तुलना में विदेशियों की आबादी तीन गुना ज्यादा है.
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20. कुवैत
यहां विदेशी लोगों की तादाद 31 लाख है जो यहां की आबादी का कुल 75.5 फीसदी है. यानी कुवैत में चार में तीन आदमी विदेशी है.
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19. जॉर्डन
32 लाख के साथ यहां विदेशी लोगों की तादाद कुल आबादी में 33.3 फीसदी है.
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18. पाकिस्तान
पाकिस्तान में 34 लाख विदेशी रहते हैं. कुल आबादी में इनकी हिस्सेदारी 1.7 फीसदी है.
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17. थाईलैड
थाईलैंड की कुल आबादी में 5.2 फीसदी यानी 36 लाख विदेशी हैं.
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16. कजाखस्तान
कजाखस्तान में रहने वाले 20 फीसदी लोग विदेशी हैं यानी तकरीबन 36 लाख.
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15. दक्षिण अफ्रीका
दक्षिण अफ्रीका की आबादी में 7.1 फीसदी यानी करीब 40 लाख लोग विदेशी हैं.
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14. तुर्की
तुर्की मे विदेशी लोगों की तादाद करीब 49 लाख है यानी कुल आबादी का करीब 6 फीसदी.
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13. यूक्रेन
यूक्रेन में 50 लाख विदेशी रहते हैं जो यहां की आबादी का करीब 11.2 फीसदी है.
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12. भारत
भारत में विदेशी लोगों की तादाद 52 लाख है और कुल आबादी में उनकी हिस्सेदारी 0.4 फीसदी है.
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11. इटली
59 लाख विदेशी इटली में रहते हैं और आबादी में हिस्सेदारी के लिहाज से देखें तो करीब 10 फीसदी.
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10. स्पेन
स्पेन में विदेशियों की तादाद 12.8 फीसदी है यानी कुल संख्या करीब 59 लाख.
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9. ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले 70 लाख लोग विदेशी हैं. यानी कुल आबादी का करीब 30 फीसदी.
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8. कनाडा
कनाडा में 79 लाख विदेशी रहते हैं. कुल आबादी में इनकी हिस्सेदारी 21.8 फीसदी है.
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7. फ्रांस
फ्रांस की आबादी में विदेशियों की हिस्सेदारी 12.2 फीसदी यानी 79 लाख है.
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6. संयुक्त अरब अमीरात
83 लाख विदेशी रहते हैं यानी कुल आबादी का करीब 88.2 फीसदी हिस्सा. एक तरह से शाही परिवार और सरकार चलाने वाले मुट्ठी भर लोग ही स्थानीय हैं.
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5. यूनाइटेड किंगडम
कभी दुनिया पर राज करने वाले ब्रिटेन में भी 88 लाख विदेशी रहते हैं और कुल आबादी में इनकी हिस्सेदारी 13.4 फीसदी है.
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4. रूस
रूस की आबादी में 8.1 फीसदी लोग विदेशी हैं यानी करीब 1.17 करोड़.
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3. जर्मनी
जर्मनी में 1.22 करोड़ लोग विदेशी हैं और कुल आबादी में इनकी हिस्सेदारी करीब 14.8 फीसदी है.
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2. सऊदी अरब
सऊदी अरब में रहने वाले 37.0 फीसदी लोग विदेशी हैं यानी कुल मिला कर करीब 1.22 करोड़.
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1. अमेरिका
अमेरिका इस मामले में भी नंबर वन है यहां कुल 4.98 करोड़ लोग विदेशी हैं और आबादी में इनकी हिस्सेदारी 15.3 फीसदी है.
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"असंगत दखल"
अप्रैल 2015 में इस व्यक्ति ने हंगरी में शरण के लिए आवेदन दिया था. उसका कहना था कि समलैंगिक होने के चलते नाइजीरिया में उसे उत्पीड़न का डर है. नाइजीरिया में समलैंगिकता गैरकानूनी है. साथ ही देश के उत्तरी राज्यों में इसकी अधिकतम सजा मृत्युदंड है. लेकिन हंगरी के प्रशासन ने उस व्यक्ति के आवेदन को मनोवैज्ञानिक परीक्षण के आधार पर खारिज कर दिया. मनोवैज्ञानिक परीक्षण में उसे बारिश में भीगते एक आदमी की तस्वीर बनाने के लिए कहा गया था.
अदालत ने कहा कि प्रशासन किसी मामले में विशेषज्ञों की राय ले सकता है, लेकिन उसे भी इस तरह लिया जाना चाहिए जो मानवाधिकारों के अनुरूप हो. अदालत ने अपने आदेश में कहा, "इस तरह के परीक्षण संभावित शरणार्थियों की जिंदगी के बेहद ही निजी पहलू में दखल है." कोर्ट ने यह भी कहा कि इन मामलों में किसी भी परीक्षण पर सौ फीसदी विश्वास करना विवाद पैदा कर सकता है. ऐसे में न ही प्रशासन और न ही अदालत अपना निर्णय पूरी तरह किसी विशेषज्ञ की रिपोर्ट पर ले सकता है और न ही ऐसी रिपोर्ट को मानने के लिए बाध्य है.
शरणार्थियों की स्थिति
समलैंगिकता नाइजीरिया में गैरकानूनी है. पियू ग्लोबल एटीट्यूट प्रोजेक्ट के अनुसार तकरीबन 97 नाइजीरियाई लोगों का मानना है कि समलैंगिकता जीवन जीने का अमान्य तरीका है. वहीं हंगरी में साल 1962 के बाद से ही समलैंगिक रिश्ते जैसी बातें सामने आती रहीं हैं. हालांकि देश में समलैंगिक संगठन बनाने की तो आजादी है लेकिन अब भी वहां समलैंगिक शादियों को मंजूरी नहीं मिली है.
उधर यूरोपीय संघ के सदस्य देशों ने यूरोपीय शरणार्थी नियमों में सुधार और शरणार्थियों को बांटने के विवादित मुद्दे पर बातचीत की है. बुल्गारिया की राजधानी सोफिया में हुई बैठक के बाद जर्मन गृह मंत्री थॉमस दे मेजियर ने कहा कि इस साल जून तक राजनैतिक सहमति का लक्ष्य है. पूर्वी यूरोप के देश पुर्तगाल और इटली जैसे देशों से शरणार्थियों को लेने से साफ मना कर रहे हैं जहां आम तौर पर शरणार्थी बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं. मौजूदा नियमों के अनुसार सीमा पर स्थित वे देश शरणार्थियों के लिए जिम्मेदार हैं जहां से वे ईयू में आ रहे हैं.
कौन सा समंदर कितने शरणार्थियों को खा गया
शरण की तलाश में सब कुछ दांव पर लगा देने वाले बहुत से लोग अक्सर मंजिल पर पहुंचने से पहले ही इस दुनिया को छोड़ देते हैं. पिछले कुछ वर्षों के दौरान कितने प्रवासी मारे गए, कहां मारे गए और उनका संबंध कहां से था, जानिए.
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'प्रवासियों का कब्रिस्तान'
इस साल दुनिया के विभिन्न भागों में लापता या मारे जाने वाले शरणार्थियों की संख्या 1,319 है. सबसे ज्यादा मौतें भूमध्य सागर में हुईं, जहां अप्रैल के मध्य तक 798 लोग या तो मारे गये हैं या लापता हो गये हैं. शरण की तलाश में अफ्रीका या अन्य क्षेत्रों से यूरोप पहुंचने की कोशिशों में हजारों लोग अब तक भूमध्य सागर में समा चुके हैं.
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सैकड़ों लापता या मारे गये
इस साल जनवरी से लेकर मध्य अप्रैल तक दुनिया भर में 496 ऐसे लोग मारे गये हैं या लापता हुए हैं जिनकी पहचान स्पष्ट नहीं है. इनमें सब सहारा अफ्रीका के 149, हॉर्न ऑफ अफ्रीकी क्षेत्र के देशों के 241, लैटिन अमेरिकी क्षेत्र के 172, दक्षिण पूर्व एशिया के 44 और मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया के पच्चीस लोग शामिल हैं.
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2016 का हाल
सन 2016 में वैश्विक स्तर पर लापता या मारे गये शरणार्थियों की कुल संख्या 7,872 रही. पिछले साल भी सबसे ज्यादा लोग भूमध्य सागर में ही मारे गये या लापता हुए. इनकी कुल संख्या 5,098 रही. 2016 के दौरान उत्तरी अफ्रीका के समुद्र में 1,380 लोग, अमेरिका और मैक्सिको की सीमा पर 402 लोग, दक्षिण पूर्व एशिया में 181 जबकि यूरोप के 61 प्रवासी मारे गये या लापता हो गये.
अफ्रीका पर सबसे ज्यादा मार
पिछले साल अफ्रीका के 2,815 प्रवासी मारे गये या लापता हो गये. मध्य पूर्व और दक्षिण एशियाई क्षेत्र के 544, दक्षिण पूर्व एशिया के 181 जबकि लैटिन अमेरिका और कैरेबियन क्षेत्र के 675 शरणार्थी 2016 में मौत के मुंह में चले गये. पिछले साल बिना नागरिकता वाले 474 प्रवासी भी लापता हुए या मारे गये.
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दक्षिण पूर्व एशिया भी प्रभावित
2015 में शरण के लिए अपनी मंजिल पर पहुंचने से पहले ही दुनिया को अलविदा कह देने वालों की संख्या 6,117 रही. उस साल भी सबसे ज्यादा 3,784 मौतें भूमध्य सागर में ही में हुईं. इसके बाद सबसे अधिक मौतें दक्षिण पूर्व एशिया में हुईं, जहां 789 शरणार्थियों के बेहतर जीवन के सपने चकनाचूर हो गये.
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रोहिंग्या भी शरण दौड़ में खो गए
सन 2015 के दौरान भूमध्य सागर के तट पर स्थित देशों के 3784 प्रवासी, दक्षिण पूर्व एशिया के 789 प्रवासी जबकि उत्तरी अफ्रीका के 672 प्रवासी मारे गये या लापता हो गये थे. यूएन की शरणार्थी संस्था यूएनएचसीआर के मुताबिक शरण के लिए समंदर में उतरने वाले हजारों रोहिंग्या भी काल के गाल में जा चुके हैं.
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पहचान स्पष्ट नहीं है
दुनिया के विभिन्न भागों में लापता या मारे गये प्रवासियों की संख्या सन 2014 में 5,267 थी. मौतों के मामले में इस साल भी भूमध्य सागर और दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र सबसे ऊपर हैं जहां 3,279 और 824 मौतें हो चुकी हैं. इस साल मारे गये करीब एक हजार लोगों की पहचान नहीं हो सकी थी.
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17 साल में 46,000 मौतें
'मिसिंग माइग्रेंट्स प्रोजेक्ट' पलायन करने वाले लोगों को लेकर शुरू की गयी एक अंतरराष्ट्रीय परियोजना है. इस संस्था के अनुसार सन 2000 से लेकर अब तक लगभग 46,000 लोग शरण की आस में जान गंवा चुके हैं. यह संस्था सरकारों से इस समस्या का हल तलाशने को कहती है.