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यूरोपीय कार्बन कानून को लेकर अड़चनें

१७ अक्टूबर २०१३

यूरोपियन कमीशन अपने हवाई क्षेत्र में कार्बन शुल्क लगाने पर जोर दे रहा है. इस कदम से भारत और चीन जैसी उभरती ताकतें नाराज हो सकती है. व्यापार के क्षेत्र में दोबारा तनाव पैदा हो सकता है.

तस्वीर: Getty Images/Afp/Jean-Pierre Muller

इसी महीने मॉन्ट्रियाल में संयुक्त राष्ट्र ने विश्वव्यापी स्तर पर हवाई जहाजों से होने वाले उत्सर्जन को रोकने के लिए समझौता किया. यूरोपियन कमीशन को अब देखना है कि कि सभी विमान कंपनियां उसके उत्सर्जन व्यापार योजना का हिस्सा बने.

जलवायु आयुक्त कोनी हेडेगार्ड ने यूएन के इस कदम का स्वागत किया है. उनका कहना है कि यूरोपीय संघ के दबाव के बिना ये कभी संभव नहीं था. लेकिन ये 2020 से ही प्रभाव में आ पाएगा.

2014-2020 के बीच हेडेगार्ड एक अंतरिम योजना का सुझाव दे रही हैं जो ईयू देशों में आने जाने वाली उड़ानों की बजाय हवाई क्षेत्र को कवर करेगा. उनके मुताबिक, "ईयू को अपने हवाई क्षेत्र के

विनियमन का अधिकार है. मैं आशा करती हूं कि हमारे सहयोगी सही भावना से इसे देखेंगे."

भारत-चीन ने जताया कड़ा ऐतराज

जब पिछले साल जनवरी में ईयू का उत्सर्जन कानून लागू हुआ तो उसे ट्रेड वॉर के ट्रिगर के तौर पर देखा गया. भारत, चीन, अमेरिका जैसे गैर ईयू देश ने शिकायत की कि यूरोपीय संघ राष्ट्रीय संप्रभुता का उल्लंघन कर रहा है. साथ ही संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय नागरिक विमानन संगठन, आईसीएओ पर दबाव बनाया कि वो साल भर के लिए इस कानून को ठंडे बस्ते में डाल दे. इसके अलावा दुनिया के सामने कोई और विकल्प रखने की मांग की.

भारत और चीन जैसे देश कानून से नाराजतस्वीर: Reuters

कानून के ठंडे बस्ते में डाले जाने से पहले ही चीन के साथ भारत ने ईयू के कानून का पालन करने से इनकार कर दिया. ईयू के कानून के खिलाफ चीन ने यूरोपियन एयरबस के हवाई जहाजों की डिलीवरी लेने पर भी रोक लगा दी.

व्यापार युद्ध की वापसी?

पिछले हफ्ते ब्रसेल्स में आईसीएओ के एक वार्ताकार ने कहा गैर ईयू एयरलाइन पर शुल्क लगाना समस्या होगी. अरब देशों के जहाज कंपनियों के संगठन के महासचिव अब्दुल वहाब तेफाहा का कहना है, ''अगर ईयू फैसला करता है, मुझे आशा है कि वो नहीं करेगा, हालांकि वो गैर यूरोपीय एयरलाइंस के उत्सर्जन पर कब्जा करेगा, तो हम व्यापार युद्ध की तरफ वापस आ जाएंगे.''

यूरोपीय संसद के सदस्य के साथ ईयू के 28 सदस्य देशों को कमीशन के प्रस्ताव को मंजूरी देनी होगी तभी वो कानून बन पाएगा. जर्मनी की क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक पार्टी के पेटर लाइसे, जिन्होंने मूल कानून को यूरोपीय संसद में पेश कराया वो मॉन्ट्रियाल समझौते से निराश हैं. उनका कहना है कि मॉन्ट्रियाल समझौता खोखला है. उनके मुताबिक, ''यूरोपीय संसद प्रस्ताव को गौर से देखेगी और अगर जरूरत पड़ी तो हम उसमें बदलाव भी करेंगे. अगर यूरोपीय संसद परिषद के सदस्यों से सहमत नहीं हुई तो हमने जिस तरह से योजना बनाई है, वो अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर लागू हो जाएगा."

जब तक संसद कमीशन के प्रस्ताव को जल्द मंजूरी मंजूरी नहीं देती. मौजूदा ईयू कानून को फिर से लागू करना होगा. आने वाले समय में यूरोपीय संसद का चुनाव और आयुक्त का बदलाव होना है.

ईयू पर दबाव में फैसला लेने का आरोपतस्वीर: picture-alliance/dpa

पर्यावरण के लिए अभियान चलाने वालों ने आईसीएओ के समझौते की कड़ी आलोचना की है. कमीशन के प्रस्ताव के मुताबिक विमान कंपनियों को कुल उत्सर्जन के सिर्फ 35 फीसदी का ही भुगतान करना होगा. परिवहन और पर्यावरण अभियान समूह के विमानन प्रबंधक बिल हेमिंग्स के मुताबिक, ''ये शर्मनाक है, उद्योग के दबाव में यूरोप को अपने विमानन उत्सर्जन कानून को कमजोर करना पड़ा."

एए/एएम (रॉयटर्स)

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