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यूरोपीय चुनावों के बाद मैर्केल सरकार का भविष्य अनिश्चित

२७ मई २०१९

जर्मनी में यूरोप समर्थक तीन पार्टियों को यूरोपीय संघ के चुनावों में अच्छा समर्थन मिला. हालांकि एसपीडी की हार ने अंगेला मैर्केल के सत्ताधारी गठबंधन को खतरे में डाल दिया है, बता रही हैं डीडब्ल्यू की मुख्य संपादक इनेस पोल.

Deutschland | Koalitionsgipfel im Kanzleramt | Andrea Nahles und Angela Merkel
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Bildfunkk/B. v. Jutrczenka

ऐसा डर था कि यूरोप विरोधी धुर दक्षिणपंथी दल ही यूरोपीय संघ के चुनावों को ना जीत लें. नतीजों के बाद ये साफ हो गया है कि जर्मनी, ऑस्ट्रिया और नीदरलैंड्स में तो कम से कम ऐसा नहीं हुआ है. चुनावों के ये नतीजे इस लिहाज से सुखद हैं.

राष्ट्रवादी और यूरोप समर्थक लोगों के बीच हुए ध्रुवीकरण ने निश्चित ही लोगों को बाहर जाकर वोट करने के लिए प्रेरित किया. कई देशों में मतदान प्रतिशत पिछले चुनावों के मुकाबले भी अधिक रहा. इसके साथ ही 30 साल से कम उम्र के वोटरों ने पिछले चुनावों के मुकाबले इस बार बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया. मतदाताओं का ऐसा उत्साह दिखाता है कि लोग यूरोप से जुड़े विषयों में रुचि रखते हैं और साथ ही इस सवाल में भी कि हमें साथ कैसे रहना चाहिए. इस उम्र के मतदाताओं के बीच निश्चित ही ग्रीन पार्टी, जो कि भविष्य के सबसे अहम मुद्दे जलवायु संरक्षण को उठाती है, सफल रही है.

एसपीडी को दोहरा झटका

बीता रविवार जर्मनी की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसपीडी) के लिए बेहद ही खराब रहा. इन चुनावों में जर्मनी की सबसे पुरानी लोकतांत्रिक पार्टी यूरोपीय स्तर पर 16 फीसदी से कम पर आ गई. वहीं जर्मन राज्य ब्रेमेन में रविवार को स्थानीय चुनाव भी एसपीडी के पक्ष में नहीं रहे. पिछले 73 सालों से ब्रेमेन में एसपीडी की सत्ता थी, लेकिन इन चुनावों में पहली बार सीडीयू ने जीत हासिल की.

इनेस पोल

पार्टी को मिले इस दोहरे झटके के गंभीर परिणाम होंगे. ये नतीजे साबित करते हैं कि पार्टी अब अपने आखिरी पड़ाव पर है. साथ ही भविष्य में किसी भी संभावना के लिए पार्टी के सामने पुनर्मूल्यांकन ही इकलौता विकल्प है.

जल्द चुनाव संभव

ब्रसेल्स में अगले कुछ दिनों तक ये बहस चलती रहेगी कि किस पार्टी को कौन से पद संभालने हैं. वहीं जर्मनी में बहस और भी मौलिक होगी. यह सवाल पूछा जा सकता है कि सत्ताधारी गठबंधन कब तक स्वयं को और देश को परेशान करता रहेगा?

इन नतीजों के बाद पूरी संभावना है कि 14 साल तक चले मैर्केल युग का एसपीडी द्वारा अंत कर दिया जाए, जिसके बाद इस साल के अंत तक देश में चुनाव हो जाएगा. वह ऐसा चुनाव होगा जिसमें तमाम तरह के सवाल उठेंगे. सारी अनिश्चितताओं के बीच यही निश्चित है कि अब अंगेला मैर्केल फिर से चुनावों में नहीं खड़ी होने वाली है.

इनेस पोल

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