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यूरोपीय संघ की कंपनियों के बोर्ड में कम हैं महिलाएं

१४ जनवरी २०२२

बड़ी लिस्टेड कंपनियों के बोर्डरूम में महिलाओं की मौजूदगी के मामले में फ्रांस यूरोपीय संघ के देशों से आगे है. ईयू के आठ देशों ने ही लिस्टेड कंपनियों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अनिवार्य लैंगिक कोटा का नियम लागू किया है.

Frauenquote I Boys Clubs und Equal Pay
तस्वीर: Robert Schlesinger/picture alliance

यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला फॉन डेय लाएन कंपनियों के बोर्ड में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं. इसके लिए वह 2012 से अटके महिला कोटा से जुड़े एक प्रस्ताव का रास्ता साफ करने में लगी हैं. जर्मनी इस कोटा का विरोध करने वाले यूरोपीय संघ के देशों में है. लेकिन बर्लिन में आई नई सरकार अब इस मामले को नए सिरे से जांच रही है.

क्या है यह प्रस्ताव

यूरोपीय आयोग 2012 में ने एक प्रस्ताव रखा जिसमें कहा गया था कि ईयू में लिस्टेड कंपनियां अपनी गैर-कार्यकारी बोर्ड सीटों में कम-से-कम 40 फीसदी जगह महिलाओं को दें. अगर एक समान योग्यता वाले लोग एक ही नौकरी के लिए आवेदन देते हैं, तो कोटा का निर्धारित लक्ष्य पूरा करने के लिए महिला उम्मीदवार को प्राथमिकता दी जाए. क्योंकि कंपनियों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है.

जर्मनी की बड़ी कंपनियों में धीरे धीरे महिलाएं बोर्ड में जगह पा रही हैंतस्वीर: Oliver Berg/dpa/picture alliance

इस प्रस्ताव के तहत कोटा पूरा न करने वाली कंपनियों पर किसी तरह का जुर्माना या प्रतिबंध लगाने की व्यवस्था नहीं थी. लेकिन उन्हें कोटा न भर पाने की वजह जरूर बतानी पड़ती. यह भी बताना पड़ता कि कोटा पूरा करने के लिए वे क्या करेंगे. यह प्रस्ताव उन कंपनियों के लिए नहीं था, जिनमें 250 से कम कर्मचारी हैं. अनलिस्टेड कंपनियों पर भी यह लागू नहीं होने वाला था. अनुमान के मुताबिक, ईयू में करीब 2,300 कंपनियां पर इस प्रस्ताव का असर पड़ता.

क्यों अटका है प्रस्ताव

ईयू के 27 में से 18 देश इस प्रस्ताव के समर्थन में थे. यह बहुमत तो था, लेकिन प्रस्ताव को मंजूरी दिलाने के लिए कम था. डेनमार्क, एस्टोनिया, क्रोएशिया, हंगरी, नीदरलैंड्स, पोलैंड, स्वीडन और स्लोवाकिया ने इस प्रस्ताव का विरोध किया. उनका कहना था कि यह मसला राष्ट्रीय स्तर पर देखा जाना चाहिए.

तत्कालीन चांसलर अंगेला मैर्केल के नेतृत्व वाली जर्मन सरकार ने भी इन देशों का सााथ दिया. मगर जर्मनी की नई सरकार कह रही है कि वह इस मसले को नए नजरिये से देखेगी. जानकारों के मुताबिक, अगर जर्मनी अपना विरोध वापस ले लेता है, तो प्रस्ताव पास करवाने के लिए जरूरी बहुमत मिल जाएगा.

ईयू के सदस्य देशों में अभी क्या स्थिति है

ईयू के आठ देशों ने अब तक लिस्टेड कंपनियों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अनिवार्य लैंगिक कोटा का नियम लागू किया है. ये देश हैं- जर्मनी, बेल्जियम, फ्रांस, इटली, ऑस्ट्रिया, पुर्तगाल, ग्रीस और नीदरलैंड्स. 10 ऐसे देश हैं, जिन्होंने इस मामले में लचीला रुख अपनाया है और महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए कई तरह के कदम उठाए हैं.

बोर्ड रूम में पुरुष मैनेजरों की भरमार, वेतन में बराबरी भी नहींतस्वीर: Klaus-Dietmar Gabbert/dpa/picture alliance

ये हैं- डेनमार्क, इस्टोनिया, आयरलैंड, स्पेन, लक्जमबर्ग, पोलैंड, रोमानिया, स्लोवेनिया, फिनलैंड और स्वीडन. इनके अलावा नौ देश ऐसे हैं, जिन्होंने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. ये देश हैं- बुल्गारिया, चेक रिपब्लिक, क्रोएशिया, साइप्रस, लातविया, लिथुआनिया, हंगरी, माल्टा और स्लोवाकिया.

सबसे आगे है फ्रांस

इस मामले में सबसे आगे फ्रांस है. वहां सबसे बड़ी लिस्टेड कंपनियों के बोर्डरूम में महिलाओं का प्रतिनिधित्व सबसे ज्यादा, करीब 45.3 फीसदी है. वहीं ईयू में यह औसत 30.6 प्रतिशत है. ये आंकड़े यूरोपियन इंस्टिट्यूट फॉर जेंडर इक्वेलिटी (ईआईजीई) ने दिए हैं.

एसएम/एमजे (रॉयटर्स)

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