यूरोप और अमेरिका के बीच बड़े व्यापार संकट का खतरा
३ अक्टूबर २०१९यूरोपीय संघ से खरीदे जाने वाले माल पर 7.5 अरब यूरो का शुल्क लगाने के अमेरिकी प्रशासन के फैसले से नया वैश्विक व्यापार विवाद भड़कने का खतरा है जिससे वैश्विक मंदी की चिंता पैदा हो गई है. हालांकि अमेरिका के ताजा शुल्क का लक्ष्य यूरोपीय विमान कंपनी है लेकिन उसके निशाने पर ओलिव, व्हिस्की, वाइन, चीज और योगर्ट जैसे यूरोपीय उत्पाद भी हैं. ये शुल्क 18 अक्टूबर से लागू होंगे और यूरोपीय विमानों पर 10 प्रतिशत शुल्क और बाकी चीजों पर 25 प्रतिशत शुल्क होगा. ब्रसेल्स ने एक बयान में कहा, "अगर अमेरिका डब्ल्यूटीओ के द्वारा अधिकृत कदमों को लागू करने का निर्णय लेता है, तो इससे यूरोपीय संघ के पास ठीक वैसे ही कदम उठाने के अलावा और कोई चारा नहीं रह जाएगा." फ्रांस ने भी अमेरिका के खिलाफ जवाबी कदम उठाने की धमकी दी है. फ्रांस सरकार की प्रवक्ता जीबेथ न्दियाई ने कहा कि अमेरिका के शुल्क का जवाब यूरोपीय स्तर पर तय किया जाएगा.
इसके पहले विश्व व्यापार संगठन की हरी झंडी के बाद अमेरिका ने बुधवार को यूरोपीय संघ के खिलाफ पलटवार करने की शुरुआत कर दी. वाशिंगटन ने घोषणा की कि एयरबस को दी गई गैर-कानूनी सब्सिडी के मुद्दे पर वो 18 अक्टूबर से 7.5 अरब डॉलर के यूरोपीय उत्पादों पर शुल्क लगाएगा. डब्ल्यूटीओ का फैसला उसके इतिहास में दिया गया सबसे बड़ा मध्यस्थता फैसला है और लम्बे समय से चले आ रहे एयरबस-बोइंग विवाद में एक अहम पड़ाव है. ये विवाद पहले से ही तनाव में चल रहे अमेरिका और यूरोप के व्यापारिक रिश्तों के लिए एक खतरा है.
व्यापार संगठन के फैसले का स्वागत
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने फैसले का स्वागत किया और उसे अमेरिका के लिए एक बड़ी जीत बताया. 15 साल पुराने इस मामले के निपटारे के लिए उन्होंने खुद को श्रेय भी दिया. ट्रम्प ने कहा, "हमें डब्ल्यूटीओ में कई मामलों में जीत हासिल हो रही है. ये सारे देश कई वर्षों से अमेरिका को धोखा दे रहे थे और अब इन्हें पता चल रहा है कि मैं ये सब नहीं होने दूंगा."
एक वरिष्ठ अमेरिकी व्यापार अधिकारी ने रिपोर्टरों को बताया कि फैसले के बाद यूरोपीय संघ को अब हवाई जहाजों पर 10% और कृषि और औद्योगिक उत्पाद जैसे दूसरे सामानों पर 25% शुल्क का सामना करना पड़ेगा. फैसले के तहत आने वाले उत्पादों की सूची की घोषणा जल्द ही होने की संभावना है. अधिकारी ने ये भी कहा कि हालांकि डब्ल्यूटीओ का फैसला वाशिंगटन को इजाजत देता है कि वो यूरोपीय संघ पर 100% तक शुल्क लगा सकता है, अमेरिका ने तय किया है कि वो मामले को इतना आगे नहीं ले जाएगा.
इस मामले की शुरुआत 2004 में हुई थी, जब वाशिंगटन ने ब्रिटैन, फ्रांस, जर्मनी और स्पेन पर एयरबस के कई उत्पादों के उत्पादन पर गैर कानूनी सब्सिडी और अनुदान देने का इलजाम लगाया था. मामला तब से डब्ल्यूटीओ के पेचीदा विवाद निवारण प्रणाली में फंसा हुआ था, जिसमें कई तरह की अपीलों का मौका मिलता है. लेकिन बुधवार को आए फैसले के खिलाफ कोई अपील नहीं की जा सकती, ऐसा पहला फैसला है जब अमेरिका को इजाजत मिली है कि वो अंतरराष्ट्रीय व्यापार कानून के तहत यूरोपीय संघ के उत्पादों पर शुल्क लगा सकता है.
ब्रिटेन की जिम्मेदारी से बचने की कोशिश
इस महीने यूरोपीय संघ से बाहर निकलने की प्रतीक्षा कर रहे ब्रिटैन ने एक बयान में कहा कि उसे वाशिंगटन द्वारा यूरोपीय संघ पर लगाए जाने वाले किसी भी प्रतिबंध में शामिल नहीं किया जाना चाहिए. 2005 में शुरु हुए एक दूसरे मामले में, यूरोपीय संघ ने ये इलजाम लगाया था कि बोइंग को 1989 से 2006 तक अमेरिकी सरकार के अलग अलग विभागों से 19.1 अरब डॉलर की प्रतिबंधित सब्सिडी मिली. वो भी एक ऐसा ही गंभीर मामला है और उसमें एक के बाद एक कई मौकों पर जीत मिलने के बाद, ब्रसेल्स ने डब्ल्यूटीओ से 12 अरब डॉलर के अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगाने की इजाजत मांगी.
विश्व व्यापार संगठन का फैसला छह महीनों में आने की उम्मीद है और संभावना है कि संगठन इस अवधि को नीचे ला सकता है. यूरोप ने जुलाई में संधि का एक प्रस्ताव दिया था, जिसके तहत दोनों पक्ष अपनी अपनी गलती मान लेंगे और जहाज कंपनियों को दी जाने वाली सब्सिडी को घटाने के तरीके ढूंढेंगे. बीते समय में अमेरिका और यूरोपीय संघ इस तरह के समझौते कर चुके हैं. यूरोपीय संघ की व्यापार आयुक्त सेसिलिया माल्मस्ट्रोम ने इस हफ्ते कहा कि अमेरिका की तरफ से उस प्रस्ताव पर कोई सकारात्मक जवाब अभी तक नहीं आया है लेकिन संघ ऐसे समझौते के लिए प्रयास करता रहेगा जिस से अतिरिक्त शुल्क और अटलांटिक के दोनों पार के व्यापार में गिरावट से बचा जा सके.
सीके/एमजे (एएफपी)
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