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यूरोप का पहला उत्तर कोरियाई रेस्तरां

१९ मार्च २०१२

एम्सटर्डम शहर के बाहरी हिस्से में पारंपरिक लाल ईंटों वाली डच इमारत का दरवाजा खुलता है और घंटी जैसी दिखती पीली पोशाक पहने, शर्मीली मुस्कान के साथ मिस सो कहती हैं, प्योंग्यांग में आपका स्वागत है.

तस्वीर: picture alliance/ZUMA Press

मिस सो की इस आवाज से पहले बाहर लगा फूलों की आकृति वाला साइनबोर्ड बता देता है कि आप यूरोप के पहले उत्तर कोरियाई रेस्तरां प्योंग्यांग में जा रहे हैं.  हर शाम यहां खास उत्तर कोरियाई पकवानों के साथ ही नाच गाने की महफिल भी सजी होती है. उत्तर कोरिया जाने के लिए तो भारी मशक्कत है पर यहां कोई भी आ सकता है.

 मालिक रेमको वान डाल कहते हैं रेस्तरां का राजनीति से कोई लेना देना नहीं. परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम पर एक साथ जापान, अमेरिका, दक्षिण कोरिया और यूरोप के साथ सींगें भिड़ा रहे देश उत्तर कोरिया ने इसी हफ्ते एलान किया है कि वो जल्दी ही लंबी दूरी का रॉकेट अंतरिक्ष में उपग्रह पहुंचाने के लिए भेजेगा. पर वान डाल का कहना है, "आप उत्तर कोरिया के बारे में जो चाहे सोच सकते हैं लेकिन हम उस देश के बारे में, लोगों के बारे में बताना चाहते हैं हमारा राजनीति से कोई लेना देना नहीं."

रेस्तरां में भीतर निडर उत्तर कोरियाई शिकारियों और सैनिकों की युवा लड़कियों के साथ तस्वीरें हैं जो किम जोंग उन के सत्ता की महिमा का बखान करती हैं. दीवार के साथ कराओके मशीन भी लगी है जो इस इंतजार में है कि कब कोई आए और मस्ती शुरू हो. वान डाल कहते हैं कि यह एक निजी कोशिश है और इसका उत्तर कोरिया की सरकार के साथ कोई लेना देना नहीं. रेस्तरां शुरू करने के लिए पैसा उनके साझीदार रेमको हेलिंगमान ने दिए हैं जो बगल के होटल के मालिक हैं और रेस्तरां के नौ उत्तर कोरियाई कर्मचारी भी इसी होटल में रहते हैं. मेहमानों को उत्तर कोरियाई डिशेज की नौ में से पहले चार कोर्स परोसने के बाद मिस सो और उनकी दो और सहेलियां माइक्रोफोन हाथ में लेकर मनोरंजन का जिम्मा संभाल लेती हैं.

खाने में सीप के बने कुछ खास पकवान भी शामिल हैं और एक आदमी के खाने का खर्च आता है 80 यूरो (लगभग 5200 रुपये). हाथ में उत्तर कोरियाई चाय का कप और जैकेट पर अपने मरहूम नेता किम जोंग इल की तस्वीर वाली पिन लगाए वान डाल कहते हैं कि वो तो बस करीब अनजान से देश के बारे में एक खिड़की खोलने की इच्छा रखते हैं.

तस्वीर: AP

रेस्तरां के कर्मचारियों को उत्तर कोरियाई सरकार चुनती हैं और उन्हें बीजिंग के प्योंग्यांग रेस्तरां में ट्रेनिंग दी जाती है. ये लोग दिसंबर में नीदरलैंड्स आए तो अपने सामान के साथ ही उत्तर कोरियाई पेंटिंग, किताबें और रसोई के बर्तन भी ले कर आए. कर्मचारियों में चार महिला वेटर, तीन रसोइए और एक अनुवादक हैं जो हाम म्यूंग हुई के सवालों का जवाब देते हैं. करीब चालीस की उम्र वाली यह महिला रसोई पर निगाह रखने के साथ ही कैश काउंटर और कर्मचारियों की निगहबानी की जिम्मेदारी भी संभालती हैं.

उत्तर कोरिया का खाना दक्षिण कोरिया जैसा ही है. सुशी जैसी चीजें तो उत्तर कोरिया की ही. कुछ देर तक गाने सुनाने के बाद मिस सो मेहमानों के पास ब्लैक चिकन सूप और किमची, चायनीज गोभी, मूली या प्याज के बारे में पूछने चली आती हैं. बाद में पारंपरिक कोरियाई बारबेक्यू को टेबल पर सजाने की बारी आती है.

रिपोर्टः एएफपी/एन रंजन

संपादनः ए जमाल

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