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यूरोप की उम्मीद भरी निगाहें चीन की ओर

२८ अक्टूबर २०११

वित्तीय संकट से जूझ रहा यूरोप चीन की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रहा है. ऐसी संभावनाएं हैं कि चीन कर्ज संकट से निकलने में यूरोजोन की मदद कर सकता है. हालांकि बीजिंग पहुंचे क्लाउस रेगलिंग फिलहाल कुछ ठोस नहीं कहना चाहते.

तस्वीर: dapd

यूरोप के बेलआउट फंड ईएफएसएफ के प्रमुख रेगलिंग ने शुक्रवार को कहा कि चीन में उन्हें किसी समझौते की संभावना तो नहीं है लेकिन उन्हें उम्मीद है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यस्था चीन बॉन्ड खरीदना जारी रखेगा. उन्होंने कहा, "हम सभी जानते हैं कि अपने अतिरिक्त धन को निवेश करना चीन की जरूरत है. वह ईएफएसएफ का नियमित खरीदार है और हम निवेशकों को आकर्षित करने के लिए नई युक्तियां तैयार कर रहे हैं."

क्लाउस रेगलिंगतस्वीर: picture-alliance/dpa

दोबारा ग्रीस नहीं

एक दिन पहले ही यूरोप में ग्रीस के बेलआउट पैकेज को लेकर सहमति बनी है. आखिरी पलों में हुए इस समझौते के बाद यूरोपीय नेताओं पर दबाव है कि वे समझौते की बारीकियों को तय करें और अपने राहत फंड को मजबूत करने के तरीके खोजें. इस समझौते के एक ही दिन बाद रेगलिंग बीजिंग पहुंचे. उन्होंने कहा कि ग्रीस के मामले में जो हुआ है, वह सिर्फ इस बार के लिए है और इसे अन्य देशों के लिए दोहराया नहीं जाएगा.

बीजिंग में रेगलिंग चीन के केंद्रीय बैंक और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों से मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह जानना चाहते हैं कि फंड किस तरह निवेशकों को आकर्षित कर सकता है. यह फंड पिछले साल स्थापित किया गया था और इसे पुर्तगाल और आयरलैंड को कर्ज संकट से बचाने के लिए इस्तेमाल किया जा चुका है. यूरोजोन के सभी सदस्य देशों के सहयोग से बने इस फंड का पूंजी आकार 440 अरब फंड है लेकिन यह बॉन्ड बेचकर वैश्विक बाजारों से यूरोपीय संघ पैसा उगाह रहा है.

तस्वीर: dapd

चीन का योगदान

फंड में निवेश करने वाले पक्ष जानना चाहते हैं कि यह फंड किस तरह उस एक खरब यूरो के राहत पैकेज के लिए फायदेमंद हो सकता है, जो इटली और स्पेन जैसे यूरोजोन के बड़े देशों को सहारा देने के लिए तैयार किया जाना है. यूरोपीय अधिकारियों ने कहा है कि ईएफएसएफ को एक खरब यूरो के स्तर तक ले जाया जा सकता है. इसके लिए प्राइमरी बाजार में यूरोजोन का कर्ज खरीदने वाले निवेशकों को इंश्योरेंस दिया जा सकता है. या फिर एक खास तरह के निवेश की पेशकश की जा सकती है. अधिकारियों को उम्मीद है कि यह पेशकश चीन और ब्राजील जैसे देशों को आकर्षित करने में मदद करेगी. हालांकि चीन ने सार्वजनिक तौर पर ऐसा कुछ नहीं कहा है कि वह फंड में निवेश करेगा. लेकिन उसने बार बार यह भरोसा जताया है कि यूरोप अपने दो साल पुराने कर्ज संकट से बाहर आने में कामयाब हो जाएगा. उसके सरकारी मीडिया ने भी ऐसी खबरें दी हैं कि देश ईएफएसएफ में निवेश के लिए राजी हो गया है.

चीन पहले ही ईएफएसएफ के करोड़ों यूरो के बॉन्ड खरीद रहा है. उसके पास 3.2 खरब डॉलर की विदेशी मुद्रा है जिसमें से 800 अरब डॉलर यूरो से ही हैं.

रिपोर्टः एएफपी/रॉयटर्स

संपादनः आभा एम

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