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यूरोप के बाद अब भारत की निवेश रेटिंग खतरे में

११ जून २०१२

निवेश रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर्स एसएंडपी के मुताबिक अगर भारत में विकास दर घटती रही और अगर सरकार ने आर्थिक सुधार के लिए ठोस कदम नहीं उठाए तो देश की निवेश रेटिंग में कमी आ सकती है.

तस्वीर: DW

रिपोर्ट आने के बाद रुपये की कीमत भी डॉलर के मुकाबले कम होकर 55.62 हो गई लेकिन शेयर बाजार में बढ़ोतरी अभी तक जारी है. सोमवार को सेंसेक्स 16,668 अंकों पर बंद हुई.

एसएंडपी की रेटिंग के मुताबिक भारत को बीबीबी स्तर मिला है यानी कि निवेशक अगर भारत में अपने पैसे लगाते हैं तो उन्हें लंबे समय तक सामान्य मुनाफा मिलता रहेगा. लेकिन इसमें छोटे अंतराल में निवेश के खोने का भी खतरा रहता है. मुनाफा कमाने वालों को भारतीय बाजार में ज्यादा लंबे समय के लिए निवेश करना होगा. बीबीबी (BBB) स्तर अटकलों वाले स्तर बी- से एक ज्यादा है, मतलब कि निवेश पर और ज्यादा खतरा हो सकता है और विकास दर घट भी सकते हैं. इन हालात में निवेशकों को ऐसे बाजारों में निवेश करने से बचने की सलाह दी जाती है.

भारत की वित्तीय साख पर निकाली गई इस रिपोर्ट के लेखक जयदीप मुखर्जी कहते हैं कि अगर भारत उदारवादी अर्थव्यवस्था की अपनी राह पर रुकता है या उसमें बाधाएं आती हैं तो इससे लंबे वक्त में उसकी विकास दर पर फर्क पड़ सकता है और इससे उसकी साख भी कम हो जाती है.

तस्वीर: AP

मुखर्जी के मुताबिक अगर भारत अचानक किसी आर्थिक संकट की वजह से अपनी उदारवादी अर्थव्यवस्था प्रणाली से पीछे हटता है तो भारत के वित्तीय और विदेशों से संबंधित हर तरह के निवेश और व्यापार पर इसका असर पड़ सकता है.

मार्च में वित्तीय साल के खत्म होने के बाद भारत की आर्थिक विकास दर घटकर 6.5 प्रतिशत तक पहुंच गई थी. पिछली तिमाही में विकास दर केवल 5.3 प्रतिशत रही. भारत का वित्तीय घाटा भी पिछले वित्तीय साल में सकल घरेलू उत्पाद के 5.9 प्रतिशत पहुंच गया, जबकि सरकार के अनुमानों के मुताबिक इसे 4.6 प्रतिशत तक सीमित रहना चाहिए था.

एसएंडपी ने अप्रैल में भारत की रेटिंग को 'स्थिर' से 'घटता हुए' करार दिया था. घटती विकास दर, व्यापार घाटा और विदेशी मुद्रा कोष में कमी को इसकी वजह बताया जा रहा है. ब्राजील, भारत, चीन और रूस के ब्रिक ग्रुप में भारत पहला देश है जिसकी रेटिंग घटी है.

एमजी/एएम (डीपीए)

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