यूरोप के मौसम के लिए चेतावनी
५ जनवरी २०११![](https://static.dw.com/image/4888684_800.webp)
स्विट्जरलैंड के शोधकर्ताओं ने मंगलवार को बताया कि पिछले 40 साल में इस धारा में जबर्दस्त बदलाव हुआ है. स्विट्जरलैंड, कनाडा और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन के दौरान पता लगाया कि गहरे समुद्र के कोरल में बदलाव हुआ है. इस बदलाव का असर उत्तर की शीत धारा लेब्राडोर पर पड़ा है.
अमेरिकी नैशनल अकैडमी की पत्रिका पीएनएएस में छपे अध्ययन के मुताबिक 1800 साल के इतिहास के हिसाब से देखें तो 1970 के बाद से जो परिवर्तन आए हैं वे बहुत बड़े हैं. इनका संबंध ग्लोबल वॉर्मिंग से भी हो सकता है.
लेब्राडोर धारा दक्षिण की गल्फ धारा से मिलती है. इस मिलन का मौसम पर काफी असर होता है. इस असर को नॉर्थ अटलांटिक ओसिलेशन का नाम दिया जाता है. यूरोप और उत्तरी अमेरिका का मौसम यहीं से निर्धारित होता है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि हाल के सालों में यूरोप के मौसम में जो बड़े बदलाव देखने के मिले हैं, वे इसी ओसिलेशन में परिवर्तन का नतीजा हैं. मसलन बीते साल रूस में पड़ी भयंकर गर्मी या पिछले कुछ सालों से यूरोप की सर्दियों की अनिश्चितता को इससे जोड़ा जा सकता है.
पांच वैज्ञानिकों की टीम में शामिल कार्सटन शूबर्ट स्विस फेडरल इंस्टिट्यूट ऑफ एक्वाटिक साइंसेज एंड टेक्नॉलजी से जुड़े हैं. वह बताते हैं कि करीब 2000 साल तक उत्तरी धारा ही असरदार रही है लेकिन अब दक्षिणी धारा का असर बढ़ रहा है. शूबर्ट बताते हैं कि यह बहुत बड़ा बदलाव है.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः महेश झा