अधिकारियों के मुताबिक 15 सैन्य ठिकानों से सैनिकों की वापसी से सालाना 50 करोड़ डॉलर की बचत हो सकेगी. अमेरिका इस बचत का इस्तेमाल अपने नए सहयोगियों यूक्रेन, जॉर्जिया और मोलडोवा को सहायता देने में करना चाहता है. इस परिवर्तन के साथ मध्य और पूर्वी यूरोप में सैनिकों की रोटेशन पर तैनाती की जा सकेगी. रक्षा विभाग के ऊर्जा, अधिष्ठापन और पर्यावरण विभाग के उपसचिव डेरेक शॉलेट के मुताबिक सैनिकों की तैनाती में परिवर्तन मुख्य रूप से जर्मनी, ब्रिटेन, इटली और पुर्तगाल में दिखाई देंगे.
बचत का इस्तेमाल
समीक्षा समिति की अध्यक्षता करने वाले शॉलेट और जॉन कोंगर के मुताबिक सैन्य टुकड़ियों को घटाने से अमेरिका के यूरोपीय मित्रों के साथ संबंधों पर असर नहीं पड़ेगा. शॉलेट ने कहा. "हम जो रकम बचाएंगे उससे भविष्य में भी मजबूत सैन्य उपस्थिति बनाए रखने में मदद मिलेगी." शॉलेट ने कहा कि पिछले एक साल में हालात बहुत बदल गए हैं. रूस के यूक्रेन में दखल के चलते समीक्षा प्रक्रिया को तेज करना पड़ा. अधिकारियों ने मध्य और पूर्वी यूरोप में बढ़ाई जाने वाली किसी खास सहूलियत का जिक्र नहीं किया.
1200 सैन्य सहयोग पदों को खत्म किया जाएगा और 6000 अमेरिकी सैनिकों को स्थानांतरित किया जाएगा. अधिकारियों के मुताबिक स्थानांतरण से करीब 1500 स्थानीय कर्मचारी भी प्रभावित हो सकते हैं. अमेरिकी रक्षा मंत्री चक हेगल ने माना कि कुछ स्थानीय कर्मचारियों की संख्या घट जाएगी. उन्होंने कहा उनका दशकों लंबा सहयोग अहम है. उन्होंने कहा, "आखिरकार आधारभूत ढांचे में इस तरह के परिवर्तन से यूरोप में हमारी सैन्य क्षमता बढ़ेगी और अहम यूरोपीय भागीदारी को मजबूती मिलेगी."
6 जून 1944 को मित्र देशों की सेना फ्रांस के नॉरमंडी पर उतरी और नाजियों के खिलाफ दूसरा मोर्चा खोला. यहीं से दूसरे विश्व युद्ध के अंत की शुरुआत हुई.
तस्वीर: picture-alliance/dpaडी-डे नाम क्यों पड़ा, इस पर सालों से बहस हो रही है. कई यह मानते हैं कि डी का मतलब यहां डिसीजन यानि फैसला है. युद्ध के लिए यह दिन निर्णायक तो था ही.
तस्वीर: Imagoअमेरिका के अलावा हमले में तेरह अन्य देशों ने हिस्सा लिया. इनमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, पोलैंड, ग्रीस और चेकोस्लोवाकिया शामिल हैं.
तस्वीर: Imagoउत्तरी यूरोप में मित्र देशों की सेना के कमांडर जनरल ड्वाइट आइजनहाउवर थे. बाद में वे अमेरिका के राष्ट्रपति बने. उनके नेतृत्व में सेना सिसली में उतरी थी.
तस्वीर: Imagoऑपरेशन ओवरलॉर्ड की शुरुआत से ठीक पहले नॉरमंडी में तूफान आया. हमले को एक दिन के लिए टालना पड़ा. 6 जून को हुआ हमला इतिहास का सबसे बड़ा नौसैनिक हमला था.
तस्वीर: public domainडी-डे को एक लाख साठ हजार सैनिक नॉरमंडी पहुंचे. पांच अलग अलग जगहों पर उन्होंने जर्मन सेना पर हमला करना शुरू किया. इस दौरान उनके पास कोई सुरक्षा नहीं थी.
तस्वीर: APहमला शुरू होने से पहले ही पैराट्रूपर जमीन पर पहुंच चुके थे और अटलांटिक वॉल के पास जगह बना चुके थे. हमले की तैयारी के दौरान चेहरे पर वॉर पेंट लगाते सैनिक.
तस्वीर: Imagoनॉरमंडी पर पहले हवाई हमला किया गया. तट पर कब्जा कर लेने के बाद एक हजार युद्धपोत और 4,200 जहाज वहां पहुंचे. पूरे इलाके को हजारों टैंकों से घेर लिया गया था.
तस्वीर: picture-alliance/akg-imagesऑपरेशन ओवरलॉर्ड की सफलता की एक बड़ी वजह यह थी कि जर्मन सेना इसके लिए बिलकुल भी तैयार नहीं थी. नाजी सोचते रहे कि अगर हमला हुआ तो बेल्जियम की सीमा के पास होगा.
तस्वीर: APजिस वक्त हमला हुआ जर्मन सेना के कई अफसर छुट्टी मना रहे थे. फील्ड मार्शल एरविन रोमेल अपनी पत्नी का 50वां जन्मदिन मनाने दक्षिण जर्मनी गए हुए थे.
तस्वीर: Imagoहिटलर उस वक्त ओबरजाल्सबर्ग में सो रहा था. जब सुबह दस बजे उसे खबर दी गयी, तो उसने बहुत आत्मविश्वास से कहा, "इससे बेहतर क्या हो सकता है, वो लोग उस जगह पर गए हैं जहां हम उन्हें आसानी से हरा देंगे."
तस्वीर: picture-alliance/akg-imagesयूरोप में शांति आते आते ग्यारह महीने का वक्त लग गया. यूरोप में लड़ाई खत्म होने के बाद सैनिकों को एशिया में भेज दिया गया. लड़ाई 2 सितंबर 1945 को जापान के समर्पण के साथ खत्म हुई.
तस्वीर: APऑपरेशन ओवरलॉर्ड में मित्र देशों की सेनाओं के 57,000 सैनिकों की जान गयी. 1,55,000 बुरी तरह घायल हुए और 18,000 लापता हो गए. जर्मनी के भी दो लाख सैनिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी.
तस्वीर: APदस साल पहले जर्मन चांसलर गेरहार्ड श्रोएडर नॉरमंडी के समारोह में हिस्सा लेने वाले पहले चांसलर थे. श्रोएडर ने कहा था, "हम कभी भी उन पीड़ितों को नहीं भूलेंगे. यह अब उस अंधेरे युग का जर्मनी नहीं रहा और मैं इसका प्रतिनिधित्व करने आया हूं."
तस्वीर: picture-alliance/dpaइस साल जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल, ब्रिटेन की रानी एलिजाबेथ, बराक ओबामा और व्लादिमीर पुतिन भी समारोह में हिस्सा लेने फ्रांस पहुंचे हैं.
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कहां होंगे परिवर्तन
इन परिवर्तनों का सबसे ज्यादा असर ब्रिटेन पर होगा. मिल्डेनहॉल, एल्कनबरी और मोल्सवर्थ सैन्य ठिकानों से सैनिकों को हटा लिया जाएगा. जबकि लेकेनहीथ हवाई ठिकाने पर अमेरिका बहुप्रतीक्षित एफ35 ज्वाइंट स्ट्राइक फाइटर जेट के अपने पहले दो दस्ते 2018 से 2021 के बीच स्थायी रूप से तैनात करेगा. लेकेनहीथ के फैसले के चलते एफ35 के लिए अमेरिका को 1200 जवान लाने होंगे.
परिवर्तनों के अंतर्गत जर्मनी में 2000 अमेरिकी जवानों को राम्श्टाइन एयरबेस को दोबारा दे दिया जाएगा. जर्मनी में बंद हो रहे ठिकानों में सैनिकों के बच्चों के लिए एक स्कूल, एक गोदाम, वीसबाडेन का अमेलिया एरहार्ट होटल, कई आधिकारिक कार्यालय और कई डाकखाने शामिल हैं. जर्मनी में श्पांग्डालेम एयर बेस से वायु नियंत्रण दस्ते को इटली में स्थानांतरित करने के बाद वहां 200 सैन्य पद बढ़ाए जाएंगे. नए एफ35 के रखरखाव का जिम्मा भी इटली पर होगा. पुर्तगाल के लाजिश से करीब 500 सैनिक और असैनिक अमला हटाया जाएगा. बेल्जियम और नीदरलैंड्स में भी सैन्य तैनाती में फेरबदल होंगे.
एसएफ/एमजे (डीपीए)