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यूरोप में खुलते आतंक के सिरे

२१ मार्च २०१२

चुस्त दुरूस्त पुलिस और चौकस खुफिया तंत्र के सहारे यूरोप आतंकवाद से मोर्चा ले रहा है लेकिन आतंक भी चुप नहीं है. जर्मनी के कोब्लेंज में अहमद वली सिद्दीकी पर मुकदमा शुरू हुआ तो आतंक की नसें फिर सामने उभर आईं.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

अहमद वली सिद्दीकी के बारे में मिली जानकारी ने 2010 में यूरोप को यात्रा चेतावनी जारी करने पर विवश किया था. तब 26 नवंबर के मुंबई हमले जैसी घटना की आशंका ने जोर पकड़ लिया था. सिद्दीकी के पास जर्मनी और अफगानिस्तान की नागरिकता है. 37 साल के वली के संबंध अल कायदा और इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान (आईएमयू) से बताए जाते हैं. पश्चिमी देशों का कहना है कि आईएमयू मध्य एशिया में इस्लामिक शरीया कानून लागू करना चाहता है. उसने पाकिस्तान में सुरक्षा बलों और अफगानिस्तान में नाटो सैनिकों के खिलाफ छापामार जंग छेड़ रखी है.

सिद्दीकी ने कोर्ट को दिए लंबे बयान में कहा कि वह "अमेरिकी लोगों के खिलाफ जंग लड़ना चाहता था." वह चाहता था कि पाकिस्तान में ट्रेनिंग के बाद उसे अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों से लड़ने भेजा जाए. सिद्दीकी ने कोर्ट को बताया कि उसने उधार पर सोनी का लैपटॉप, आईफोन और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदे. बाद में वह सब ईबे पर बेच दिया और फिर उस पैसे से 2009 में पाकिस्तान अफगानिस्तान की यात्रा का खर्च जुटाया.

अमेरिकी सैनिकों ने उसको जुलाई 2010 में काबुल के बगराम एयरबेस के बाहर पकड़ा. उससे मिली जानकारी के आधार पर अमेरिका ने अक्टूबर 2010 में चेतावनी दी कि अल कायदा ने ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी में हमलों की साजिश रची है. इस चेतावनी के बाद इन देशों में सुरक्षा इंजाम सख्त कर दिए गए. जर्मन अधिकारियों ने अफगानिस्तान में कई बार सिद्दीकी से पूछताछ की और पिछले साल अप्रैल में उसे प्रत्यर्पित कर जर्मनी लाया गया. जर्मन मीडिया की खबरों के मुताबिक उसने जून 2010 में अल कायदा के तीसरे बड़े कमांडर शेख यूनुस अल मौरितानी से मुलाकात की जिसने उसे यूरोप में मुंबई जैसे हमले करने को कहा.

जर्मनी के संघीय अभियोजन अधिकारियों का कहना है कि सिद्दीकी ने मार्च 2009 में जर्मनी छोड़ दिया और पाकिस्तान अफगान सीमा पर आईएमयू कैंप में विस्फोटक और हथियारों की ट्रेनिंग लेने चला गया. ट्रेनिंग के बाद उसी साल मई में उसे आईएमयू का सदस्य बना लिया गया. हालांकि कुछ दिनों के बाद वह आईएमयू से पीछा छुड़ा कर अल कायदा में शामिल हो गया जहां उसे फिर से जंग की ट्रेनिंग दी गई. अभियोजकों के मुताबिक उसे जर्मनी और यूरोप में आतंकवादियों की भर्ती को कहा गया. सिद्दीकी के नेटवर्क को अल कायदा से पैसा मिलता और उसे इस संगठन के लिए कई तरह के काम करने की जिम्मेदारी सौंपी गई.

जर्मन न्याय व्यवस्था के तहत अभी कोई याचिका दायर नहीं की गई है और सिद्दीकी ने अपने ऊपर लगे आरोपों को फिलहाल कोई चुनौती नहीं दी है. उसने कोर्ट को बताया है कि वह जर्मनी कैसे आया और किस तरह के माहौल में पला बढ़ा. अधिकारियों का कहना है कि वह उन दर्जन भर कट्टर मुस्लमानों में शामिल है, जो 2009 में जर्मन शहर हैम्बर्ग शहर छोड़ आतंक की ट्रेनिंग लेने गए. इनमें से कई पकड़े या मारे गए. इस गुट के एक और जर्मन सीरियाई सदस्य रामी माकानेसी को पिछले साल फ्रैंकफर्ट की राज्य अदालत ने अल कायदा की सदस्यता रखने का दोषी करार दिया और उसे चार साल 9 महीने के कैद की सजा सुनाई गई.

पाकिस्तान जाने से पहले सिद्दीकी और दूसरे संदिग्ध हैम्बर्ग की अल कुद्दूस मस्जिद में मिला करते थे. जर्मन खुफिया अधिकारियों के मुताबिक यह वही मस्जिद है जहां 11 सितंबर को न्यू यॉर्क पर हमला करने वाले आतंकवादी साल 2000 में फ्लाइंग स्कूल के लिए रवाना होने से पहले मिले. अब इस मस्जिद पर सरकार ने ताला जड़वा दिया है. खुफिया अधिकारियों का कहना है कि वह मुनीर अल मोतासादिक का दोस्त है. मोतासादिक को 2006 में जर्मनी की अदालत ने 11 सितंबर के हमलों में 246 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की हत्या में सहयोग का दोषी करार दिया था. मोतासादिक खुद भी अल कुद्दूस मस्जिद में जाता था.

रिपोर्टः एपी, एएफपी/एन रंजन

संपादनः ए जमाल

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