फुटबॉल वर्ल्ड कप ने शरणार्थी संकट से परेशान यूरोप की चिंता और बढ़ा दी है. फैन वीजा पर रूस पहुंचे कुछ लोग वर्ल्ड कप देखने के बजाए यूरोपीय संघ के देशों में घुसने की कोशिश कर रहे हैं.
विज्ञापन
एक जर्मन मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एशिया और अफ्रीका से फैन वीजा पर रूस पहुंचे कई लोग फिनलैंड पहुंच चुके हैं. कई देशों की सीमा पुलिस के मुताबिक रूस का द्वारा वीजा नियमों की दी गई ढील के चलते कई लोग रूस के रास्ते गैरकानूनी ढंग से यूरोपीय संघ के देशों में दाखिल होने की कोशिश कर रहे हैं.
वर्ल्ड कप शुरू होने के एक हफ्ते के भीतर पांच लोग रूस से फिनलैंड पहुंच गए हैं. जर्मनी की प्रतिष्ठित पत्रिका डेय श्पीगेल के मुताबिक पांचों ने रूस का वर्ल्ड कप टिकट खरीदा था. टिकट के साथ उन्हें फैन आईडी मिली. फैन आईडी पाने वाले 15 जुलाई को वर्ल्ड कप खत्म होने के बाद अधिकतम 10 दिन तक रूस में बिना वीजा के रह सकते हैं.
फिनलैंड में पकड़े गए इन पांच लोगों में तीन मोरक्को के नागरिक हैं. एक शख्स नाइजीरिया और एक चीन का है. फिनलैंड पहुंचते ही पांचों ने प्रशासन को शरण की अर्जी दी. मोरक्को के नागरिक जमीन के रास्ते फिनलैंड में दाखिल हुए. चीनी नागरिक फ्लाइट से राजधानी हेलसिंकी पहुंचा.
श्पीगेल ऑनलाइन के मुताबिक रूस की पुलिस गैरकानूनी तरीके के बॉर्डर पार करने वालों को रोकने की कोशिश कर रही है. नॉर्वे की सीमा पर रूसी पुलिस ने मोरक्को के चार नागरिकों को गिरफ्तार भी किया. हालांकि बाद में 2,000 रूबल का जुर्माना लेकर उन्हें मोरक्को वापस भेज दिया गया.
बेलारूस की पुलिस ने भी फैन आईडी के साथ पोलैंड में दाखिल होने की कोशिश कर रहे मोरक्को के चार नागरिकों को गिरफ्तार किया है. कड़ी निगरानी के अभाव में रूस से बेलारूस आना आसान है. पूरब में रूस से सटे बेलारूस की उत्तरी सीमा ईयू के देश लिथुएनिया और लातविया से मिलती है. पश्चिम में पोलैंड है.
रिफ्यूजी मुद्दे पर बीते कुछ समय से यूरोप की राजनीति में घमासान छिड़ा हुआ है. जर्मनी में चांसलर अंगेला मैर्केल की कुर्सी दांव पर लगी है. यूरोपीय संघ में शामिल पूरब के देश शरणार्थियों को लेकर कड़ी नीति अपना रहे हैं. रिफ्यूजियों की बड़ी संख्या और कई देशों में उठती धुर दक्षिणपंथी ताकतों के कारण अब मैर्केल भी दबाव में हैं. मैर्केल कोशिश कर रही हैं कि शरणार्थियों की बड़ी संख्या को यूरोपीय संघ के दरवाजे तक पहुंचने से पहले ही रोक लिया जाए. इन हालातों के बीच फैन आईडी के जरिए यूरोपीय संघ में दाखिल होने की कोशिश करते लोग राजनीतिक बहस में नया आयाम जोड़ सकते हैं.
(हंगरी के दक्षिणपंथी प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान यूरोपीय संघ में शरणार्थियों के खिलाफ प्रमुख आवाजों में शामिल हैं. विवादों से डरे बिना उन्होंने आप्रवासन को हमला और आप्रवासियों को जहर बताया है.)
आप्रवासन पर विक्टर ओरबान के विवादास्पद बयान
हंगरी के दक्षिणपंथी प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान यूरोपीय संघ में शरणार्थियों के खिलाफ प्रमुख आवाजों में शामिल हैं. विवादों से डरे बिना उन्होंने आप्रवासन को हमला और आप्रवासियों को जहर बताया है.
तस्वीर: Reuters/B. Szabo
"मुस्लिम आक्रमणकारी"
"हम इन्हें मुस्लिम रिफ्यूजी के तौर पर नहीं देखते. हम उन्हें मुस्लिम आक्रमणकारी के तौर पर देखते हैं." ओरबान ने जर्मन दैनिक बिल्ड को एक इंटरव्यू में कहा था. हंगरी के 54 वर्षीय प्रधानमंत्री ने कहा, "हम समझते हैं कि मुसलमानों की बड़ी तादात से समांतर समाज बनेगा क्योंकि ईसाई और मुस्लिम समाज कभी एक नहीं हो सकते."
तस्वीर: Reuters/F. Lenoir
"आप आप्रवासी चाहते थे, हम नहीं"
पर कि क्या जर्मनी का लाखों शरणार्थियों को लेना और हंगरी का किसी को नहीं लेना उचित है, प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान का जबाव था, "अंतर ये है कि आप आप्रवासी चाहते थे, हम नहीं." ओरबान ने कहा कि आप्रवासन हंगरी की "संप्रभुता और सांस्कृतिक पहचान" को खतरा पहुंचाता है.
तस्वीर: Reuters/L. Balogh
"आप्रवासन जहर है"
हंगरी के प्रधानमंत्री काफी समय से आप्रवासन के खिलाफ रहे हैं और उसे अपने देश के लिए समस्या बताते रहे हैं. 2016 में उन्होंने कहा था कि हंगरी को "अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए एक भी आप्रवासी की जरूरत नहीं है." उनका कहना है, "आप्रवासन समाधान नहीं बल्कि समस्या है, दवा नहीं जहर है, हमें इसकी जरूरत नहीं."
तस्वीर: picture alliance/dpa/AP Photo/P. Gorondi
"होमोफोबिया का आयात"
विक्टर ओरबान ने 2015 में लाखों शरणार्थियों को जर्मनी में आने की अनुमति देने के लिए अंगेला मैर्केल की बार बार आलोचना की है. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, "अगर आप देश में भारी संख्या में मध्य पूर्व के गैर रजिस्टर्ड आप्रवासियों को लेते हैं तो आप आतंकवाद, अपराध, यहूदीविरोध और होमोफोबिया आयात कर रहे हैं."
तस्वीर: Reuters/L. Balogh
"सभी आतंकवादी मूलतः आप्रवासी हैं"
ओरबान ने राष्ट्रीय कोटा के आधार पर शरणार्थी लेने के सदस्य देशों पर यूरोपीय संघ के दबाव की भी आलोचना की है. 2015 में उन्होंने बाहरी सीमा को सुरक्षित बनाने पर जोर दिया था. उन्होंने कहा था, "हां ये स्वीकार्य नहीं है, लेकिन तथ्य ये है कि सभी आतंकवादी मूलतः आप्रवासी हैं."
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Bozon
"समांतर समाज"
ओरबान को पोलैंड जैसे पूर्वी यूरोप की दक्षिणपंथी सरकारों में साथी भी मिला है जो हंगरी की ही तरह ईयू की शरणार्थी नीति का विरोध कर रहे हैं. यूरोपीय संघ में मुस्लिम आप्रवासियों के समेकन पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा था, "हम कैसा यूरोप चाहते हैं? समांतर समाज? ईसाई समुदायों के साथ रहता मुस्लिम समुदाय?"