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यूरोप में फिर ज्वालामुखी की राख फैलने का खतरा

२२ मई २०११

आइसलैंड में ज्वालामुखी के बाद एक बार फिर यूरोप के आसमानों में राख के बादल फैलने का खतरा बढ़ गया है, जिसका सबसे ज्यादा असर हवाई सेवाओं पर पड़ता है. आइसलैंड का एयरपोर्ट बंद कर दिया गया है और राख स्कॉटलैंड की ओर बढ़ चली है.

तस्वीर: AP

मौसम की भविष्यवाणी के आधार पर चेतावनी जारी की गई है कि आइसलैंड के सबसे बड़े ज्वालामुखी ग्रीम्सवोटेन से निकल रही राख मंगलवार तक पड़ोसी देश स्कॉटलैंड में पहुंच जाएगी और दो दिन बाद गुरुवार तक ब्रिटेन, फ्रांस और स्पेन में इसका असर होने लगेगा. हालांकि अनुमान में कहा गया है कि हवा का रुख बदलने से पांच दिन में स्थिति बदल भी सकती है.

पिछले साल भी आइसलैंड में ज्वालामुखी फूटा था, जिसकी राख की वजह से हफ्तों यूरोप के हवाई अड्डों को बंद रखना पड़ा था. उस वक्त हवाई कंपनियों को अरबों डॉलर का नुकसान हुआ था.

बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में यूरोपीय हवाई मार्गों की नियामक यूरोकंट्रोल ने कहा है कि फिलहाल ज्वालामुखी फटने की वजह से 24 घंटे के अंदर अंतरराष्ट्रीय हवाई सेवा पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है. सिर्फ आइसलैंड ने अपने प्रमुख एयरपोर्ट को बंद कर दिया है, जिससे उसकी घरेलू उड़ानें ठप हो गई हैं. ज्वालामुखी की राख हवा में करीब 20 किलोमीटर ऊपर तक फैल चुका है. लेकिन अब तक इसका असर सिर्फ आइसलैंड पर ही हुआ है. आइसलैंड के पडो़सी राष्ट्र स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं.

तस्वीर: AP

आइसलैंड के मौसम विभाग के मुताबिक यह ज्वालामुखी शनिवार को फटा. यह 1996 और 2004 में भी फट चुका है लेकिन इस बार इसकी तीव्रता ज्यादा लग रही है.

प्रभावित इलाके के लोगों को अपने दरवाजे खिड़कियां बंद रखने की सलाह दी गई है लेकिन अभी इलाके को खाली नहीं कराया जा रहा है. इस ज्वालामुखी के 100 किलोमीटर के दायरे में कोई नहीं रहता. 1996 में जब ज्वालामुखी फटा था, तो इलाका पानी में डूब गया था और यहां की सड़कें बह गई थीं. इस वक्त फिलहाल बाढ़ की कोई संभावना नहीं है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः एस गौड़

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