यूरोप की सर्वोच्च मानवाधिकार अदालत ने इटली की अदालत द्वारा एक बलात्कार पीड़िता पर "लैंगिकवादी" टिप्पणी की आलोचना की है. उसने कहा है कि इटली की अदालत ने पीड़िता पर फिर से अत्याचार किया है.
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मामला इटली के फ्लोरेंस शहर का है जहां 2008 में एक छात्रा का सामूहिक बलात्कार करने के जुर्म में छह लोगों को सजा हुई थी. लेकिन हाल ही में फ्लोरेंस की पुनर्विचार अदालत ने सभी अभियुक्तों को निर्दोष पाया और उन्हें बरी कर दिया. यूरोप की मानवाधिकार अदालत (ईसीएचआर) ने फ्लोरेंस की अदालत पर पीड़िता पर फिर से अत्याचार करने का और "लैंगिक स्टीरियोटाइप (रूढ़ रूपों)" को बनाए रखने का आरोप लगाया.
स्ट्रासबोर्ग स्थित मानवाधिकार अदालत ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा से मुकाबला करने में आपराधिक सुनवाइयों की एक अहम भूमिका होती है. उसने यह भी कहा है कि फ्लोरेंस अदालत का यह व्यवहार देश की न्यायिक व्यवस्था में भरोसे को कमजोर कर सकता है. उसके अनुसार अदालत ने जिस भाषा और दलीलों का इस्तेमाल किया है उससे "इटली के समाज में महिलाओं की भूमिका को लेकर मौजूद पूर्वाग्रहों का पता चलता है." ईसीएचआर ने कहा विशेष रूप से पीड़िता के लाल अंडरवियर, उसकी द्विलैंगिकता, उसके प्रेम संबंध और कैज़ुअल यौन संबंधों के बारे में टिप्पणियां अनुचीत थीं.
उसने यह भी कहा कि पुनर्विचार अदालत ने घटना के कुछ महीनों पहले अभियुक्तों में से एक द्वारा बनाई गई अश्लील फिल्म में शामिल होने के महिला के फैसले से जो निष्कर्ष निकाले हैं वो भी एक गलत कदम है. ईसीएचआर के मुताबिक अदालत द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा और दलीलें "संभवतः लिंग-आधारित हिंसा के पीड़ितों के अधिकारों की प्रभावी सुरक्षा के रास्ते में अड़चन बन सकती हैं."
मानवाधिकार अदालत ने यह भी कहा कि यूरोपीय मानवाधिकार कन्वेंशन के तहत पीड़िता के निजता के अधिकार का उल्लंघन हुआ है और उसके लिए इटली की सरकार को पीड़िता को 12,000 यूरो हर्जाना देना होगा. उसने कहा कि अदालतों को "लैंगिकवादी रूढ़ रूपों को दोहराने" से या "अपराध बोध प्रेरित करने वाली और आलोचनात्मक टिप्पणियों" के जरिए महिलाओं के अतिरिक्त उत्पीड़न का रास्ता खोलने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे न्यायिक व्यवस्था में भरोसा कमजोर होता है. ईसीएचआर को फ्लोरेंस अदालत के फैसले पर सुनवाई करने के लिए अपील नहीं की गई थी.
सीके/एए (रॉयटर्स)
इन देशों में कानून के सहारे सजा से बच जाते हैं रेपिस्ट
यूएन की एक रिपोर्ट के अनुसार 2021 में भी कई ऐसे देश हैं जहां बलात्कारी अगर पीड़िता से शादी कर लें तो वे सजा से बच सकते हैं. इस कानून के आलोचक इसे "मैरी योर रेपिस्ट" कानून कहते हैं. डालते हैं एक नजर ऐसे कुछ देशों पर.
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रूस
रूस की दंड संहिता के अनुच्छेद 134 के अनुसार अगर बलात्कार के दोषी सिद्ध हुए पुरुष की उम्र 18 वर्ष है और पीड़िता की उम्र 16 वर्ष से कम, तो वह पीड़िता से शादी करने पर बलात्कार की सजा से मुक्त हो सकता है. हालांकि कानून ऐसा विकल्प केवल पहली बार अपराध करने वालों को देता है.
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थाईलैंड
थाईलैंड में शादी बलात्कार के लिए एक समझौता माना जाता है. अगर अपराधी 18 वर्ष से ज्यादा उम्र का है और पीड़िता 15 वर्ष से ऊपर है और उसने सेक्स संबंध के लिए "सहमति" दी थी या अदालत विवाह की अनुमति देती है तो भी बलात्कारी सजा से बच सकता है.
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वेनेजुएला
वेनेजुएला के पीनल कोड में अगर बलात्कारी पीड़िता से कानूनी रूप से शादी कर ले तो वह बलात्कार की सजा से बच सकता है. सामाजिक कार्यकर्ता इसके खिलाफ कहते रहे हैं कि इस कानून से महिलाओं के खिलाफ बलात्कार जैसे अपराध को अंजाम देने को बढ़ावा मिलता है.
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कुवैत
कुवैत की दंड संहिता के अनुच्छेद 182 में भी बलात्कार के दोषियों के लिए सजा से बचने का प्रावधान है, अगर वह उस महिला से शादी कर ले जिसका उसने बलात्कार किया था. इस कानून को 1960 में लागू किया गया था.
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फिलीपींस
सन 1997 में फिलीपींस में रिपब्लिक एक्ट या एंटी रेप लॉ लागू किया गया था. इस कानून के अनुच्छेद 266-D के अनुसार अगर रेपिस्ट पीड़िता से कानूनी तौर पर शादी कर लेता है तो सजा माफ हो सकती है.
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इराक
इराक की दंड संहिता के अनुच्छेद 398 के अनुसार अगर बलात्कारी पीड़ित से कानूनी रूप से शादी कर लेता है, तो वह बलात्कार की सजा से बच सकता है. यह कानून 1969 में लागू किया गया था. मानवाधिकार कार्यकर्ता इसे निरस्त करने की मांग करते रहे हैं.
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बहरीन
बहरीन की दंड संहिता के अनुच्छेद 353 के तहत बलात्कारियों को सजा से छूट मिल सकती है अगर वे पीड़िता से शादी कर लें. इस कानून को 1976 में लागू किया गया था. हालांकि संसद ने 2016 को इसे समाप्त करने के लिए मतदान किया, लेकिन सरकार अभी भी इसका विरोध कर रही है.