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यूरोप में भी कन्या भ्रूण की हत्या

७ अक्टूबर २०११

भारत में ही नहीं, यूरोप में भी कन्या भ्रूण हत्या के मामले सामने आ रहे हैं. खास तौर से पूर्वी यूरोप के देशों में ऐसा देखा जा रहा है कि लड़कों को ज्यादा पसंद किया जाता है. यूरोपीय परिषद इस बारे में कदम उठाना चाहता है.

तस्वीर: AP

जॉर्जिया, अजरबैजान, आर्मीनिया और अल्बानिया ऐसे देश हैं जहां लड़कियों की संख्या लड़कों के मुकाबले बहुत कम है. इन देशों में औसतन हर सौ लड़कियों की तुलना में 112 लड़के हैं. जर्मन समाचार पत्रिका 'डेयर श्पीगल' से बात करते हुए स्विट्जरलैंड की डॉरिस श्टुम्प ने इसे चिंताजनक बताया है. डॉरिस श्टुम्प यूरोपीय परिषद में स्विट्जरलैंड का नेतृत्व करती हैं. श्पीगल ऑनलाइन को दिए इंटरव्यू में श्टुम्प ने कहा, "औरतों पर इस बात का दबाव होता है कि वे बेटा पैदा करें और खानदान को वारिस दें. यह जरूरी है कि इस दबाव को कम किया जाए."

यूरोपीय परिषद के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर श्टुम्प ने एक प्रस्ताव तैयार किया है जिसके अनुसार बच्चे का लिंग जानने के बाद गर्भपात पर रोक लगाई जा सके. अगले हफ्ते इस प्रस्ताव पर चर्चा होगी. परिषद का यह सुझाव भी है कि लिंग की जांच को गैर कानूनी बनाया जाए.

मेक्सिको में गर्भपात के खिलाफ प्रदर्शनतस्वीर: AP

डीएनए टेस्ट किट

जहां एक तरफ परिषद में लिंग जांच पर रोक लगाने की बहस हो रही है तो दूसरी ओर नई नई तकनीकों से जांच के और सरल तरीके लोगों को पेश किए जा रहे हैं. आम तौर पर गर्भ धारण करने के बारह हफ्ते बाद अल्ट्रासाउंड के जरिए देखा जा सकता है कि होने वाला बच्चा लड़का है या लड़की. लेकिन डीएनए टेस्ट के जरिए डॉक्टरों को बच्चे के लिंग के बारे में बहुत पहले से ही पता चल जाता है. 2007 में ब्रिटिश कंपनी 'डीएनए वर्ल्डवाइड' ने एक ऐसी किट तैयार की जिस से छह हफ्ते बाद ही यह टेस्ट किया जा सकता है. इसके बाद एक जर्मन कंपनी ने भी ऐसी ही किट बनाने का दावा किया. यानी घर बैठे ही आप अपना टेस्ट खुद ही कर सकते हैं वैसे ही जैसे प्रेगनेंसी टेस्ट किट से किया जाता है. यदि परिषद इस प्रस्ताव को पारित करता है तो उसे इस बात को भी सुनिश्चित करना होगा कि बाजार में इस तरह की चीजें उपलब्ध ना हों.

स्पेन में गर्भपात के खिलाफ प्रदर्शनतस्वीर: AP

कब हो जांच?

जर्मनी में गर्भपात को लेकर नियम काफी सख्त हैं. यहां बारहवे हफ्ते के बाद गर्भपात की अनुमति नहीं है और लिंग जांच की अनुमति केवल बारहवे हफ्ते के बाद ही है. इस तरह से बच्चे के लिंग के कारण गर्भपात की कोई संभावना नहीं बचती. श्टुम्प का मानना है कि पूरे यूरोप में इसी तरह का कानून लागू होना चाहिए. उनका कहना है कि कन्या भ्रूण हत्या केवल पूर्व यूरोप के इन चार देशों में ही नहीं होती, बल्कि पश्चिम यूरोप में ऐसे कई देश हैं जहां ऐसा किया जाता है, "हमें इस बात के प्रमाण मिले हैं कि कई आप्रवासी भ्रूण के लिंग के कारण गर्भपात कराते हैं." श्टुम्प के अनुसार अभी इस बार में और छानबीन की जरूरत है.

अब आगे क्या?

यदि यह प्रस्ताव पारित हो जाता है और इस पर यूरोप में नया कानून लागू हो जाता है, तो क्या उसके बाद स्थिति बदल जाएगी? भारत और चीन में कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ कानून है. डॉक्टरों को लिंग बताने की इजाजत नहीं है. कन्या भ्रूण हत्या करने वाले डॉक्टर और मरीज दोनों को सजा हो सकती है. लेकिन इन कानूनों के बावजूद आज भी लोग होने वाली बेटियों की जान लेते हैं. कुछ लोग डॉक्टरों को रिश्वत दे कर बच्ची के पैदा होने से पहले ही उसकी जान ले लेते हैं, तो कुछ लोग बेटी पैदा होने के बाद उसका कत्ल कर देते हैं. एशिया में इस समय पुरुषों की तुलना में 16 करोड़ कम महिलाएं हैं. इस से निपटने के लिए केवल कानून बदलना ही काफी नहीं होगा, लोगों की सोच में बदलाव आना जरूरी है.

रिपोर्ट: ईशा भाटिया

संपादन: आभा मोंढे

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